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Wednesday 2 June 2021 03:00:06 PM
पुणे। आधुनिक प्रौद्योगिकी और आयुर्वेद के भारतीय पारंपरिक ज्ञान पानी को पूरी तरह कीटाणुरहित करने के लिए समाधान पाने तथा प्राकृतिक तेलों के संभावित स्वास्थ्य लाभों की पेशकश करने के लिए भी इकट्ठा हुए हैं। जल का विसंक्रमण रोगजनक सूक्ष्मजीवों को हटाने के लिए अनिवार्य है, जो कई प्रकार के जल-जनित रोगों की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार है। बहरहाल क्लोरोनिकरण जैसी रसायनिक पद्धतियों की आम कमियों में बाई-प्रोडक्ट द्वारा नुकसानदायक/ कैंसरकारी विसंक्रमण का निर्माण शामिल है, इसलिए ऐसी प्रौद्योगिकी का विकास करना उचित है जो प्रचालन की सुगमता, सहज उपयोग तथा बाई-प्रोडक्ट द्वारा होने वाले नुकसानदायक विसंक्रमण के बिना निम्न लागत के साथ सुरक्षित और स्वस्थ पेयजल उपलब्ध कराती है।
वैज्ञानिक डॉ वीएम भंडारी एवं उनके ग्रुप ने पुणे के सीएसआईआर-एनसीएल में भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की जल प्रौद्योगिकी पहल से सहायता के साथ ‘स्वास्तिक’ नाम से एक नवीन हाईब्रिड टेक्नोलॉजी विकसित की है, जिसमें प्रेशर रिडक्शन के परिणामस्वरूप तरल का उबालना शामिल है तथा यह रोगाणुरोधी गुणों वाले प्राकृतिक तेलों का भी उपयोग करता है। यह प्रौद्योगिकी किफायती रूप से रोगाणुरोधी-सहिष्णु जीवाणु सहित नुकसानदायक जीवाणु को खत्म कर सकती है। यह न केवल पानी को पूरी तरह विसंक्रमित करने के लिए आयुर्वेद के भारतीय पारंपरिक ज्ञान को समेकित करती है, बल्कि प्राकृतिक तेलों के संभावित स्वास्थ्य लाभों को भी प्रस्तुत करती है। इसमें हाइड्रोनैमिक कैविटेशन तकनीक का उपयोग किया जाता है और यह प्राकृतिक तेलों तथा पादप रस के रूपमें प्राकृतिक संसाधनों के साथ कैमिस्ट्री, बायोलॉजी तथा कैमिकल इंजीनियरिंग को संयोजित करती है। भारतीय पारंपरिक ज्ञान से प्रेरित इस प्रक्रिया का परिणाम जल उपचार की दक्षता में वृद्धि तथा लागत में कमी के रूप में आया है।
आमतौर पर इस टीम ने 5-10 मिनट में ग्राम-निगेटिव ई कोली तथा ग्राम-पोजिटव एस औरेस बैक्टिरिया और यहां तककि एएमआर बैक्टिरिया/ कठिन अवसरवादी रोगाणुजनक बैक्टिरिया का पूरी तरह खात्मा अर्जित किया। ऐसा देखा गया कि तेल का उपयोग करते हुए विसंक्रमण की बढ़ी हुई दरों में प्रचालन के समय में बहुत तेजी से कमी ला सकता है और इसके परिणामरूवरूप अन्य आधुनिक उपचार प्रक्रियाओं की तुलना में लागत में काफी कमी हो सकती है। स्वास्तिक यानी भारतीय ज्ञान आधार से सुरक्षित जल और टिकाऊ प्रौद्योगिकी पहल की नवीन कार्यनीति का सुरक्षित जल उपलब्ध कराने के लिहाज से उल्लेखनीय लाभ हो सकता है और इसके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने से संबंधित संभावित स्वास्थ्य लाभ भी हो सकते हैं, जिसका महत्वपूर्ण पहलू वर्तमान कोविड-19 के समय में रेखांकित हो चुका है।