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Wednesday 30 June 2021 03:31:19 PM
गढ़वाल। हिमालय की तलहटी में बादल फटने की घटना से जिस तरह जीवन प्रभावित हो रहा है, क्या वह जंगल की आग से जुड़ा हुआ है? हाल ही में एक अध्ययन में छोटे सीसीएनएस कणों के बनने से इसका एक संबंध पाया गया है। बादल की छोटी बूंद का आकार जिसपर जलवाष्प संघनित होकर बादलों का निर्माण करता उसमें आग उत्पन्न होती है। क्लाउड कंडेनसेशन न्यूक्लियर (सीसीएनएस) नाम के ऐसे कणों की मात्रा पाई गईं हैं, जिनका जंगल की आग की घटनाओं से गहरा सम्बंध है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूपसे क्लाउड कंडेनसेशन न्यूक्लियर की सक्रियता को मापा है।
वैज्ञानिकों ने पहलीबार मध्य हिमालय के ईको सिस्टम के रूपसे संवेदनशील क्षेत्रों में मौसम की विभिन्न स्थिति के प्रभाव में अधिक ऊंचाई वाले बादलों के निर्माण और स्थानीय मौसम की जटिलता पर इसके प्रभाव का अध्ययन किया है। यह हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, बादशाहीथौल, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड, भारत के स्वामी रामतीर्थ परिसर में क्लाउड कंडेनसेशन न्यूक्लियर जो सक्रिय हो सकता है और सुपर सेटेशन की उपस्थिति में कोहरे या बादल की बूंदों में विकसित हो सकता है को हिमालयी क्लाउड ऑब्जर्वेटरी में प्राचीन हिमालयी क्षेत्र में एक छोटी बूंद माप तकनीक सीसीएन काउंटर से मापा गया था। यह अवलोकन एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय और आईआईटी कानपुर के सहयोग से जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम प्रभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की वित्तपोषित परियोजना के तहत किया गया था, जहां दैनिक, मौसमी और मासिक पैमाने पर सीसीएन की भिन्नता की सूचना दी गई थी।
'एटमॉस्फेरिक एनवायरनमेंट जर्नल' में पहलीबार प्रकाशित इस अध्ययन से पता चला है कि सीसीएन की उच्चतम सांद्रता भारतीय उपमहाद्वीप के जंगलों में आग की अत्यधिक गतिविधियों से जुड़ी हुई पाई गई थी। लंबी दूरी के परिवहन और स्थानीय आवासीय उत्सर्जन जैसी कई घटनाएं भी जंगल की आग की घटनाओं से प्रबल रूपसे जुड़ी थीं। यह शोध गढ़वाल हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहुंचने वाले प्रदूषण स्रोतों का पता लगाने में सहायक होगा, साथ ही यह इस क्षेत्र में बादल निर्माण तंत्र और मौसम की चरम सीमाओं के लिए बेहतर समझ प्रदान करेगा। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर उत्तराखंड के आलोक सागर गौतम और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के एसएन त्रिपाठी सह लेखक ने एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर उत्तराखंड के अभिषेक जोशी, करण सिंह, संजीव कुमार, आरसी रमोला के नेतृत्व में यह कार्य किया है।