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Saturday 18 September 2021 06:22:20 PM
शिमला। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि लेखा परीक्षा सरकार की कार्यप्रणाली की गहरी समझ हासिल करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) को सुधार का सुझाव देने की एक अच्छी स्थिति में स्थान देती है। राष्ट्रपति आज शिमला में राष्ट्रीय लेखा परीक्षा एवं लेखा अकादमी में 2018 एवं 2019 बैच के भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा अधिकारी प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण समापन समारोह में बोल रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि यहां आकर उन्हें बहुत खुशी है। उन्होंने कहा कि नियंत्रक महालेखा परीक्षक के प्रशिक्षुओं केलिए यह स्कूल 1950 में स्थापित किया गया था और अब तक अधिकारियों के कई बैच यहां प्रशिक्षित किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि सीएजी अपने विभिन्न रूपों में देश की सबसे पुरानी संस्थाओं में से एक है और आजादी के समय हमारे राष्ट्र के संस्थापक कैग के महत्व से पूरी तरह अवगत थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संविधान सभा की बहस के दौरान बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर का विचार था कि सीएजी शायद भारत के संविधान में सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी है और उन्होंने प्रभावी निरीक्षण केलिए सीएजी की स्वतंत्रता केलिए व्यापक रूपसे तर्क दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर की परिकल्पित संस्था पिछले सात दशक में मजबूत हुई और इसने बेहतर शासन में बहुत बड़ा योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीने देश के लिए बहुत ही कठिन रहे हैं, कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि सरकार ने संकट को कम करने और गरीबों के कल्याण केलिए विभिन्न वित्तीय उपाय किए हैं, इन्हें अक्सर वित्तपोषित किया जाता है, जिसके बारे में कहा जा सकता है कि यह हमारे बच्चों और पोते-पोतियों से उधार लिया गया था, हम उनके ऋणी हैं कि इन दुर्लभ संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग किया जाता है और गरीबों एवं जरूरतमंदों के कल्याण केलिए सबसे प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाता है, इसमें सीएजी की बहुत अहम भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा कि निरीक्षण कार्य करते समय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को प्रणालीगत सुधारों केलिए निवेश प्रदान करने के अवसरों के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारें सीएजी जैसी संस्था की सलाह को गंभीरता से लेंगी, जो हमारे सार्वजनिक सेवा वितरण मानकों को सकारात्मक रूपसे प्रभावित करेंगी। राष्ट्रपति ने कहा कि नागरिकों की सुविधा केलिए सरकारी प्रक्रियाओं को तेजी से डिजिटल किया जा रहा है, तेजी से फैलती प्रौद्योगिकी की सीमाओं ने राज्य और नागरिकों के बीच की दूरी को कम कर दिया है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण से देश के सबसे दूरदराज के किसी कोने में सबसे गरीब नागरिक तक पैसा कंप्यूटर का बटन दबा देने भरसे पहुंच सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि लेखा परीक्षा के दृष्टिकोण से यह एक छोटी चुनौती और विशाल अवसर है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि उन्नत विश्लेषक प्रविधियों का उपयोग करके, बड़ी मात्रा में डेटा की जानकारी को दूर की यात्रा किए बिना वांछित जानकारी को अलग किया जा सकता है, यह लेखा परीक्षा कार्यों को अधिक केंद्रित और कुशल बना सकता है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि 21वीं सदी में ज्ञान और सूचना सबसे कीमती वस्तु है, हमें विकसित हो रहे प्रौद्योगिकी परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाना होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विकास संबंधी जरूरतों के बावजूद हमने वैश्विक जलवायु परिवर्तन चुनौती और पर्यावरण संरक्षण को संबोधित करने केलिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी ली है। उन्होंने कहा कि सीएजी ने पर्यावरण लेखा परीक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के उपाय किए हैं, यह हमारे भविष्य केलिए बहुत ही स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि संसाधन परिमितता की बाधाओं को केवल मानव नवाचार से ही आंशिक रूपसे दूर किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थान के रूपमें सीएजी को संयुक्तराष्ट्र जैसे विभिन्न महत्वपूर्ण बहुपक्षीय निकायों की लेखा परीक्षा जिम्मेदारी केलिए चुना गया है, यह भारत की सॉफ्ट पावर की मान्यता है। राष्ट्रपति ने इन उपलब्धियों केलिए विभाग की व्यावसायिकता की सराहना की।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षुओं से कहा कि लोकसेवकों के रूपमें वे सबसे निर्धन लोगों की सेवा करने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में सक्षम होने पर सबसे अधिक संतुष्टि प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते हुए हमें सभी पदाधिकारियों को सौंपी गई इस जिम्मेदारी के प्रति हमेशा सचेत रहना चाहिए और पारस्परिक सहानुभूति से भरपूर ऐसी सोच यह सुनिश्चित करेगी कि हम अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों तक बहुत तेजीसे पहुंच सकें। राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान में निहित स्वतंत्रता को निश्चित ही पोषित किया जाना चाहिए, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यावसायिकता और पूर्ण सत्यनिष्ठा से इसमें और अधिक मूल्यों को जोड़ने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहा कि अधिकारियों को इन गुणों को पूरी तरह से आत्मसात करने की आवश्यकता है, क्योंकि ऐसा करने पर ही वे लेखा परीक्षा और लेखा विभाग की ऐसी समृद्ध परंपराओं के अग्रदूत बन जाते हैं।