इरफान गाजी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की मौत सत्ताइस दिसंबर को रावलपिंडी के लियाकत अली पार्क में गोली लगने से नहीं बल्कि बम विस्फोट के कारण हुई थी। ब्रिटेन से आए जांच दल ने भी अपनी रिपोर्ट में यह बात कह दी है। पाकिस्तान सरकार भी शुरू से यही कह रही है। राजनीतिक खून खराबे की सरजमीं बनते जा रहे पाकिस्तान में अब ऐसी हत्याएं आम होती जा रही हैं। इस समय जो सबसे बड़ी खबर है वह यह चिंता है कि दुनिया का सबसे बड़ा दहशतगर्द ओसामा बिन लादेन अपने खुफिया नेटवर्क के जरिए पाकिस्तान के परमाणु बम के बटन को कब्जाने की योजना बना रहा है। वहां के हालात को देखते हुए उसके लिए यह काम अब मुश्किल नहीं रहा है। बेनजीर भुट्टो इस चुनाव में भारी बहुमत से पाकिस्तान की सत्ता में वापस आ रही थीं।बेनजीर का अलकायदा और वहां के कट्टरपंथियों से छत्तीस का आंकड़ा रहा है सब जानते हैं औरयह भी किबेनजीर के सत्ता में आने से अलकायदा की सारी उम्मीदों पर पानी फिरने वाला था। पाकिस्तान में राजनीतिक हत्याएं कराने के लिए हमेशा आईएसआई का ही नाम लिया जाता है, इसमें भी ऐसा ही हो रहा है इसलिए जो लोग बेनजीर भुट्टो की हत्या के पीछे पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ का नाम ले रहे हैं, वह कितना सही है, यह विवाद का विषय बन गया है।
बेनजीर भुट्टो की हत्या लियाकत अली पार्क से निकलते समय की गयी। यह वही पार्क है जहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की हत्या हुई थी। फर्क यह है कि लियाकत अली उस समय मंच पर अपने समर्थकों के नारो का हाथ हिलाकर जवाब देने में मशगूल थे और बेनजीर भुट्टो अपनी गाड़ी में बैठी हुई थी, जो कि कार्यकर्ताओं के या उनके भेष मेंअलकायदा हत्यारों के जोश को देखकर, अपनी गाड़ी की छत से निकलने वाली खिड़की से झांककर उनका अभिवादन लेने लगीं, बस यही एक चूक हुई जो उनकी मौत का कारण बनी। दोनों हत्याओं में समानता देखिए कि रावलपिंडी की सभा में लियाकत अली खान ने कहा था कि मुझे फौज के कुछ अफसर खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि बेनजीर ने कहा था कि मुझे मारने के लिए अलकायदा ने चार जत्थे बनाए हैं। दोनों की हत्या इसी पार्क में हुई। पाकिस्तान का सत्ताधारी राजनीतिक नेतृत्व बेनजीर की इस आशंका से पूरी तरह वाकिफ होने के बाद भी उसे सुरक्षा नहीं दे पाया। लियाकत अली खान ने अपनी हत्या के पीछे जो आशंका व्यक्त की थी, वह लगभग सही साबित हुई क्योंकि लियाकत अली को मारने वाला सैय्यद अकबर अली खान जो कि अफगानिस्तान के कबीला जादरान का रहने वाला था और तथ्य बोलते हैं कि उसने आईएसआई का पिट्ठू बनकर लियाकत अली खान की हत्या की थी। उस समय पाकिस्तान के गवर्नर जनरल ख्वाजा निजामुद्दीन थे जिन्होंने लियाकत अली की हत्या के तत्काल बाद ही अपने को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री घोषित करके अपने भाई ख्वाजा शहाबुद्दीन को आईएसआई का चीफ बना दिया था।
बेनजीर भुट्टो की हत्या को देखकर तुरंत ऐसा लगताहै, जैसे यह काम भी आईएसआई का ही है और यह भी सत्य है कि बेनजीर भुट्टो इस ऐतिहासिक चुनाव में जबरदस्त बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही थीं जो कि मुशर्रफ की कुर्सी के लिए सबसे बड़ा खतरा था। जनरल मुशर्रफ ने उनकी सुरक्षा का भी उतना ख्याल भी नहीं रखा था जिसका कि जिक्र हर सभा में बेनजीर भुट्टो करतीं थीं। लेकिन यहां भी मौजूदा तथ्यों पर गौर करें तो इसकी योजना के पीछे आईएसआई का कम पाकिस्तान को कट्टरपंथियों का अड्डा बनाने की कोशिश करने वाले अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का ज्यादा हाथ है। पाकिस्तान सरकार के अंतरिम गृहमंत्री हमीद नवाज ने स्कार्डलैंड यार्ड की रिपोर्ट के हवाले से यह भी कहा है कि बेनजीर पर गोली चलाने और विस्फोट करके खुद को उड़ाने वाला शख्स एक ही था। बेनजीर खुद को बचाने के लिए जैसे ही नीचे झुकी होंगी तो उनका सर गाड़ी की छत पर लगे ऐंगल से टकराया जिससे उनकी मौत हो गयी। इसके बावजूद यह विवाद हमेशा बना रहेगा कि बेनजीर की हत्या कैसे हुई थी,विस्फोटसे या उनके चेहरे पर रिवाल्वर से दागी गई गोलियों से?
बेनजीर भुट्टो पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के लिए भारी चुनौती थीं जबकि मियां नवाज शरीफप्रधानमंत्री पद की दौड़ से बाहर हो चुके थे। यह बात पाकिस्तान के परमाणु बम के बटन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश में लगा दुनिया का सबसे बड़ा दहशतगर्द अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन अच्छी तरह से समझता है। लादेन को यह खतरा था कि बेनजीर के सत्ता में आते ही पाकिस्तान की सीमाओं में अलकायदा की गतिविधियों को चलाना बेहद मुश्किल हो जाएगा और वह अपने उस लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा जिस तक पहुंचने के बाद पूरा भारतीय उपमहाद्वीप ओसामा बिन लादेन के नियंत्रण में होगा। ओसामा यह समझता है कि पाकिस्तान की मौजूदा आंतरिक स्थितियों में वहां का परमाणु बटन हासिल करना उसके लिए ज्यादा मुश्किल नहीं है।
अमरीका और दूसरे देश भी यही मानते हैं और उनकी यह चिंता है कि कहीं ऐसा न हो जाए कि पाकिस्तान के परमाणु बम का अड्डा अलकायदा के कब्जे में आ जाए क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो यह पूरी दुनिया में मानवता के लिए एक बड़ा खतरा होगा।पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ पहले से ही पाकिस्तान के कटटरपंथियों के भारी दबाव का सामना कर रहे हैं और उनकी उनसे हिंसक मुठभेड़ हो रही हैं।सूत्रों के अनुसार जिस दिन बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई उस समय अमेरिका के इंटेलीसेट सेटलाइट ने जो कि सीआईए के कब्जे में रहता है, पाक अधिकृत कश्मीर मेंस्वातघाटी मेंअलकायदा के जबरदस्त मूवमेन्ट को रिकार्ड किया। उस समय ओसामा बिन लादेन का पूराहमला सक्रिय दिखाई दिया और हत्या के तुरंत बाद वहां भारी चहलपहल देखी गई। इससे लगता है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में राजनीतिक हत्याओं को अंजाम देने की मुहिम पर है। वहपाकिस्तान में अब किसी भी प्रकार की स्थिरता नहीं चाहता है इसलिए यह खतरा जनरल परवेज मुशर्रफ के लिए भी कायम है जो कि इस समय बेहद सुरक्षाकवच में रहने के बावजूद अपने को महफूज नहीं समझते हैं।
पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन की गतिविधियां भारत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक हैं, क्योंकि वह कश्मीर में अलगाववादियों को समर्थन देकर उनकी सहानुभूति हासिल किए हुए है।अलकायदा और लश्कर के अलगाववादीलोग कश्मीरएवं शेष भारत में अपनीआतंकवादी गतिविधियों को धड़ल्ले से अंजाम दे रहे हैं। हाल के वर्षों में इनकी गतिविधियों में तेजी से इजाफा हुआ है, जिसका परिणाम भारत के प्रमुख सार्वजनिक धार्मिक और सामयिक ठिकानों परआये दिन आतंकवादियों के आत्मघातीहमले हो रहें हैं। इनमें राजनीतिक हत्याएं भी हैं। यही नही उनको भी ठिकाने लगाया जा रहा है जो ओसामा के अभियान में आड़े आ रहें हैं। इनमें भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के कुछ नेता और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं।
हाल के दिनों में भारतीय इलाकों में आतंकवादी घटनाएं कुछ ज्यादा ही हो रही हैं जिससे अनुमान लगाया जाता है कि ओसामा बिन लादेन के ठिकाने पाकिस्तान और भारत के कश्मीर की सीमाओं पर हैं। भारतीय राजनीतिक नेतृत्व की गतिविधियों पर भी लादेन की नजर है और वह समझता है कि इस समय भारत भी आंतरिक समस्याओं से जूझ रहा है। इसलिए ओसामा बिन लादेन भारतीय उपमहाद्वीप में पूरी तरह से सक्रिय है और उसके अभियान के पहले चरण का शिकार पाकिस्तान है जहां वह अपने को मजबूत करके बाकी इलाकों और खास तौर से भारत में प्रवेश करेगा जहाँ उसे अनुकूल वातावरण मिल सकता है क्योंकि ओसामा बिन लादेन अपने लिए सबसे सुरक्षित देशों ईराक और ईरान में दाखिल नहीं हो सकता क्योंकि इन देशों पर अमेरिका का सख्त पहरा है। उसने अपनी योजना को अंजाम देने के लिए सबसे पहले बेनजीर को रास्ते से हटाया और उसका अगला शिकार कौन होगा इसमें भी ज्यादा समय नहीं है।