स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 3 November 2021 01:49:18 PM
विशाखापत्तनम। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने न्याय को सभी केलिए सुलभ और सस्ता बनाने एवं अदालतों में देरी को कम करने का आह्वान किया है। दामोदरम संजीवय्या लॉ यूनिवर्सिटी के 'स्वतंत्रता की भावना: आगे की ओर' विषय पर आज़ादी के अमृत महोत्सव समारोह का ऑनलाइन उद्घाटन किया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमें लंबित मामलों और अदालतों में अनुचित देरी से बाहर निकलने का रास्ता खोजने की जरूरत है, क्योंकि न्याय देने केलिए समयबद्धता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्यों का ध्यान न्यायिक रिक्तियों को भरने और आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण पर होना चाहिए एवं कानूनी प्रक्रिया की लागत न्याय प्रणाली तक आम आदमी की पहुंच में बाधा नहीं बननी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि लॉ विश्वविद्यालयों के संकायों को यहां के छात्रों को बदलाव के वाहक बनने और देश में न्याय प्रणाली के प्रशासन में परिवर्तन लाने केलिए प्रशिक्षण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कानूनी बिरादरी से दबे-कुचले लोगों केलिए लड़ने और उन्हें कानूनी सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लोगों को उनका हक बिना किसी ढील या डायवर्जन के मिले। उन्होंने कहा कि अगर अधिकार नहीं दिए जाते हैं तो कानूनी बिरादरी को कार्रवाई करनी चाहिए। वेंकैया नायडू ने लोगों को त्वरित न्याय सुनिश्चित करने केलिए सूचना प्रौद्योगिकी के इष्टतम उपयोग का आह्वान किया और वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र का पूरी तरह से लाभ उठाने को भी कहा। उन्होंने कहाकि हमने भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने और उसके सभी नागरिकों को सुरक्षित करने का संकल्प लिया है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि हम अपनी पिछली उपलब्धियों पर ही नहीं रुक सकते हैं, गरीबी, लैंगिक भेदभाव, निरक्षरता, जातिवाद और भ्रष्टाचार को खत्म करने केलिए स्वतंत्रता संग्राम की तर्ज पर बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय आंदोलन का समय आ गया है। धर्म, क्षेत्र, भाषा या अन्य मुद्दों के नाम पर विभाजन पैदा करने केलिए भारत के विरोधी ताकतों के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी देते हुए उन्होंने युवाओं से लोगों के जीवन को बदलने और एक मजबूत, समृद्ध, स्वस्थ और खुशहाल भारत के निर्माण की दिशा में अपनी ताकत का योगदान करने केलिए इस राष्ट्रीय अभियान में सबसे आगे रहने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में सभी स्वतंत्रता सेनानियों, समाज सुधारकों के बलिदान और भूमिका को उजागर करना चाहिए एवं युवाओं को देश के समृद्ध इतिहास के बारे में जागरुक करना चाहिए।
विश्वविद्यालय की ओर से दामोदरम संजीवय्या के जन्म शताब्दी समारोह पर उपराष्ट्रपति ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहाकि दामोदरम संजीवय्या को उनकी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और निःस्वार्थ भाव से राष्ट्रसेवा करने की प्रतिबद्धता केलिए याद किया जाता है। उन्होंने कहाकि यह वास्तव में एक सम्मान की बात है कि इस विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर रखा गया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस सूर्य प्रकाश, कुलसचिव प्रोफेसर के मधुसूदन राव, संकाय और छात्र उपस्थित थे।