स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 15 December 2021 03:44:39 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान से बांग्लादेश को आजाद कराने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले पूर्व भारतीय सैनिकों और बांग्लादेश मुक्ति योद्धाओं से स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह में मुलाकात की। स्वर्णिम विजय वर्ष समारोह 1971 के युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत के 50 साल पूरे होने का प्रतीक है, इसमें 30 मुक्ति योद्धा, चारों परमवीर चक्र प्राप्तकर्ताओं के परिवार और युद्ध के पूर्व सैनिक शामिल हुए। रक्षामंत्री ने इस अवसर पर कर्तव्य केप्रति समर्पण का प्रदर्शन करते हुए सर्वोच्च बलिदान देकर 1971 के युद्ध में जीत सुनिश्चित करनेवाले वीर सैनिकों, नाविकों और वायु योद्धाओं को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस जीत को विश्व इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं मेंसे एक और अन्याय पर न्याय की जीत बताते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि आम लोगों पर अत्याचार के खिलाफ लड़ी गई लड़ाई मानवता किप्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना के उन नायकों को याद किया, जिन्होंने ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित की, जैसे फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ, लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा (तत्कालीन जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी कमान), लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब और एयर मार्शल इदरीस हसन लतीफ व अन्य। उन्होंने कहाकि इन नायकों में हिंदू, मुस्लिम, पारसी, सिख और एक यहूदी शामिल थे, यह सभी धर्मों को समान सम्मान देने के प्रति भारत के दृढ़ विश्वास का प्रमाण है, साथ ही उन्होंने जोड़ाकि ये सभी बहादुर सैनिक अलग-अलग राज्यों के थे, हालांकि यह भारतीयता की भावना थी, जिसने उन्हें एक बना दिया। रक्षामंत्री ने बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को श्रद्धासुमन अर्पित किए और उन्हें अपने देश के लोगों केलिए एक मार्गदर्शक प्रकाशपुंज बताया। उन्होंने इस तथ्य की सराहना कीकि बांग्लादेश अपनी मुक्ति केबाद से विकास केपथ पर प्रगति कर रहा है।
राजनाथ सिंह ने पूर्व सैनिकों सहित सशस्त्र बलों के जवानों की नि:स्वार्थ सेवा की सराहना की और भारत की एकता-अखंडता के रक्षक के रूपमें उन्हें वर्णित किया। उन्होंने कहाकि आज हमारा देश निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ रहा है, यह हमारे बहादुर सैनिकों की वजह से है, जो सीमाओं पर मजबूती से खड़े हैं। रक्षामंत्री ने सैनिकों के बलिदानों केप्रति आभार व्यक्त किया और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने केलिए सरकार के हर संभव साथ का आश्वासन दिया। उन्होंने कहाकि आज का हमारा हर योद्धा कल का एक सम्मानित वयोवृद्ध है, उनकी भलाई सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है, यह सरकार इसे अच्छी तरह से समझती है, इसलिए 2014 में सत्ता में आते ही हमने वन रैंक वन पेंशन की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया। पूर्व सैनिकों के कल्याण केलिए सरकार के संकल्प को दोहराते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि डिजिटल इंडिया केतहत कई ऑनलाइन सेवाएं शुरू की गई हैं, जिसमें खरीदारी केलिए स्मार्ट कैंटीन कार्ड, स्पर्श यह केंद्रीय सैनिक बोर्ड एवं पुनर्वास महानिदेशालय की सेवाओं का लाभ उठाने केलिए रक्षा पेंशन की मंजूरी, संवितरण और ऑनलाइन पहुंच के स्वचालन केलिए है।
रक्षामंत्री ने कहा कि हमारा उद्देश्य सशस्त्र बलों के कर्मियों की भलाई न केवल सेवा के दौरान, बल्कि उनकी सेवानिवृत्ति केबाद भी सुनिश्चित करना है। रक्षामंत्री ने विशेषकर युवाओं का आह्वान कियाकि वे पूर्व सैनिकों के वीरतापूर्ण पदचिन्हों पर चलें और पूरी क्षमता, समर्पण केसाथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम करें। राजनाथ सिंह ने हाल ही में तमिलनाडु में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में अपनी जान गंवाने वाले देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और अन्य सशस्त्र बलों के जवानों को भी श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर युद्ध के दौरान लड़े गए प्रमुख युद्धों के विभिन्न स्थानों से एकत्र की गई मिट्टी को रक्षामंत्री ने 1971 की युद्ध जीत की स्वर्ण जयंती मनाने केलिए मिश्रित किया। उन्होंने इसे विविधता में एकता का प्रतीक बताया, एकत्रित मिट्टी का उपयोग 1971 की युद्ध जीत को समर्पित एक प्रस्तावित स्मारक के निर्माण में किया जाएगा।
राजनाथ सिंह ने 'द 1971 वॉर: एन इलस्ट्रेटेड हिस्ट्री' कॉफी टेबल बुक का भी विमोचन किया। पुस्तक को छह अध्यायों में संकलित किया गया है और इसमें युद्ध के पूर्व सैनिकों के कुछ प्रत्यक्ष अनुभव शामिल हैं। पुस्तक में चार परमवीर चक्र, 76 महावीर चक्र और अन्य वीरता पुरस्कार विजेताओं की वीरता की कहानियों के साथ-साथ युद्ध में शामिल पूर्व सैनिकों के किस्से शामिल हैं। समारोह में थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आरहरि कुमार, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ नागरिक, सैन्य अधिकारी, पूर्व सैनिकों के परिवार और बांग्लादेश प्रतिनिधिमंडल के सदस्य उपस्थित थे।