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स्वर्णिम विजय पर स्मारक डाक टिकट जारी

'1971 की विजय भारत-बांग्ला सेनाओं की एकजुटता का परिणाम'

रक्षामंत्री ने जारी किए विशेष दिवस आवरण और स्मारक डाक टिकट

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 16 December 2021 04:34:50 PM

defense minister issued commemorative postage stamp on golden victory year

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 1971 में भारत और पाकिस्तान केबीच हुए युद्ध में भारत की विजय की स्वर्णजयंती पर आज नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में भारतीय डाक के तैयार विशेष दिवस आवरण और स्मारक डाक टिकट जारी किया। इसके साथ ही दिसंबर 2020 में शुरू हुए वर्षभर के स्वर्णिम विजय वर्ष समारोहों का भी समापन हो गया है। गौरतलब हैकि पाकिस्तानी सशस्त्र सेनाओं के आत्मसमर्पण और उसपर भारतीय सेनाओं की निर्णायक विजय की याद में 16 दिसंबर को प्रतिवर्ष विजय दिवस के रूपमें मनाया जाता है। इसी दिन पाकिस्तान की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अमीर अब्दुला खान नियाज़ी ने पूर्वी क्षेत्र में अपनी निर्णायक पराजय को स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण के कागजों पर दस्तखत किए थे।
भारत की ओर से पूर्वी क्षेत्र के भारत और बांग्लादेश की सेनाओं के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने इन कागजात पर दस्तखत किए थे। इस दौरान पूर्वी नौसैनिक कमान के फील्ड ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एन कृष्णन और पूर्वी वायुसैनिक कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल एचसी दीवान भी उपस्थित थे। सन् 1971 में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना के बहुत से अड्डों पर अचानक हमले शुरू कर दिए थे, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध छिड़ गया। भारतीय सेनाओं ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर भूमि, जल और आकाश से इन अकारण किए गए हमलों का तत्काल जवाब दिया। भारतीय सशस्त्र सेनाओं की इस कार्रवाई केबाद भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान स्थिति ढाका को अपने कब्जे में ले लिया और करीब 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों से आत्मसमर्पण कराया तथा एक नए स्वतंत्र देश बांग्लादेश का उदय हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध केबाद से किसी देश की सेना का यह सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहाकि वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध में यह ऐतिहासिक विजय भारतीय सशस्त्र सेनाओं के कमांडरों और जवानों के प्रदर्शित अदम्य साहस, शौर्य, उच्चस्तरीय योजना, गतिशील नेतृत्व और विभिन्न विभागों की प्रदर्शित एकजुटता का परिणाम था। उन्होंने कहाकि यह डाक टिकट हमारी सेना के जवानों, नाविकों और वायुसैनिकों के साहस और दृढ़ता का संकेत देता है, जिन्हें उनके नेताओं ने प्रेरणा, दिशा दी और जो अपने कर्तव्य के प्रति सचेत थे, दूसरी ओर दुश्मन केलिए आत्मसमर्पण के अलावा कोई दूसरा विकल्प ही नहीं था। उन्होंने कहाकि इस युद्ध की सबसे बड़ी विशेषता यह थीकि भारतीय रक्षा सेनाओं के तीनों हिस्सों ने पूरी एकजुटता और समावेशिता केसाथ इस युद्ध में लड़कर विजय हासिल की तथा युद्ध का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम बांग्लादेश के स्वतंत्रता अभियान की सफलता थी। रक्षामंत्री ने कहाकि यह डाक टिकट भारतीय उपमहाद्वीप के इस सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम की याद में जारी किया गया है।
डाक टिकट के बीचोंबीच स्वर्णिम विजय वर्ष का लोगो है। डाक टिकट का डिजाइन भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर कुशल चंद्रशेखर ने तैयार किया है। डाक टिकट का चयन अक्टूबर-नवंबर 2020 में अखिल भारतीय स्पर्धा में किया गया था। यह डाक टिकट स्पिरिट डी कोर्प्स तथा भारतीय सशस्त्र सेनाओं के साथ भारत-बांग्ला सेनाओं की प्रदर्शित एकजुटता की भावना की भी याद दिलाता है। भारतीय डाक विभाग अपनी संकल्पना के दिनों सेही ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को इसी तरह स्मरण करते हुए स्मारक टिकट जारी करता रहा है। स्वर्णिम विजय वर्ष डाक टिकट को जारी करके भारत अपनी सशस्त्र सेनाओं के साहस एवं पेशेवरता का जश्न मना रहा है और अपने पुराने मित्र एवं करीबी पड़ोसी बांग्लादेश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहरा रहा है। कार्यक्रम में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, संचार राज्यमंत्री देवसिंह चौहान, सेना अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार, वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल विवेकराम चौधरी, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार और सैनिक अधिकारी उपस्थित थे।

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