Wednesday 9 February 2022 06:59:40 PM
दिनेश शर्मा
हिंदुस्तान में 'तलाक' और 'नागरिकता संशोधन कानून' के खिलाफ देशव्यापी 'शो' की बड़ी विफलता के बाद अब 'हिजाब' को भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ जंग में उतार दिया गया है। कर्नाटक में एक मुसलमान छात्रा, जिसका नाम मुस्कान खान बताया जा रहा है ने अचानक अपने स्कूल के यूनीफॉर्म कोड की धज्जियां उड़ाते हुए हिजाब और बुर्के में स्कूल आकर भलेही ज़िद पकड़ ली होकि वह हिजाब व बुर्के में ही स्कूल आएगी, जिसका की स्कूल में प्रबल विरोध हो रहा है और मुसलमानों की एक संस्था जमीअत-उलेमा-ए-हिंद ने इस विवाद में कूदकर छात्रा को उसकी 'बहादुरी' केलिए पांच लाख रुपये का ईनाम भी ऐलान किया हो, लेकिन उसने मुस्लिम समाज की उन लड़कियों महिलाओं के सामने बड़ा संकट खड़ाकर दिया है, जो देश में ग़ैरमुस्लिमों और दूसरे मुस्लिम देशों की छात्राओं लड़कियों महिलाओं की तरह वह भी अपने पहनावे और दिखने में आजादी चाहती हैं। यह मामला दोनों पक्षों की ओर से कर्नाटक हाईकोर्ट में जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की एकल पीठ के सामने पहुंचा था, जिन्होंने दो दिन सुनवाई केबाद उसे कुछ टिप्पणियों के साथ यह कहते हुए बड़ी पीठ को भेज दियाकि जब मैं पढ़ता था तो क्लास का रंग एक था, मगर यह मामला महत्वपूर्ण है।
जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित की टिप्पणी इस मामले के पीछे आकर खड़े हो गए देश के कुछ महत्वपूर्ण कारकों के उद्देश्यों को गहराई तक समझ लेने केलिए काफी है। जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने यह समझने केलिए कोर्ट में क़ुरान भी मंगवाई थीकि उसमें मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं केलिए हिजाब और बुर्का अनिवार्य हैकि नहीं। यह मामला रातों-रात देश-विदेश तक तूल पकड़ गया है। इसे उन ताकतों ने लपक लिया है, जो हिंदुस्तान में 'तलाक' और 'नागरिकता संशोधन कानून' के खिलाफ हो चुके देशव्यापी 'शो' की बड़ी विफलता से बौखलाई बैठी हैं। इनमें मुसलमान नेताओं, कट्टरपंथियों से लेकर गैरभाजपाई राजनीतिक दल भी शामिल हैं। इन सभीको अब 'हिजाब' हाथ लग गया है और उन्होंने इसे 'तलाक' और 'नागरिकता संशोधन कानून' के विरोध की तरह पूरी ताकत से उछाल दिया है। छात्रा मुस्कान खान के हिजाब और बुर्के में स्कूल आने से खफा और उस कारण कॉलेज परिसर में जय श्रीराम के नारे लगाने वाले छात्रों को छात्रा के अल्लाह-हू-अकबर बोलकर जवाब देने से मामला और भी ज्यादा भड़क गया और दोनों ओर से उसके दूरगामी निष्कर्ष निकाल लिए गए हैं। मुस्कान खान ने विवाद में देशके इस्लामिक कट्टरपंथियों और पाकिस्तान के कूदने के बाद कहा है कि वह अदालत के आदेश का पालन करेगी और उसने साथ ही लोगों से अपील कीकि वे इस मामले को हिंदू-मुस्लिम न बनाएं, क्योंकि हिजाब पहनकर स्कूल आना उसके अधिकार की लड़ाई है।
मुस्कान खान की हिजाब नौटंकी ने असदुद्दीन ओवैसी सहित देश के मुस्लिम कट्टरपंथियों तंजीमों और ग़ैरभाजपाई राजनीतिक दलों को सड़क पर हुड़दंग और भाजपा एवं मोदी सरकार के खिलाफ ज़हर उगलने का मौका दे दिया है। उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे है, जिनमें भाजपा का खेल बिगाड़ने की कोशिशें भी सामने आ गई हैं। हिजाब से कर्नाटक का माहौल तो गर्म है ही। मुस्कान खान के आप यहां दो लिबास और चेहरे देख सकते हैं, जिनमें एकमें मुस्कान खान को इस्लाम धर्म में होते हुए हिजाब और बुर्के केबिना किसी सार्वजनिक स्थान पर घूमने की रत्तीभर भी शर्म नहीं दिखती है, दूसरी ओर वह बुर्के हिजाब में अचानक अपने स्कूल पहुंचकर स्कूल के ड्रेसकोड को भंग करने से रोकने पर हंगामा खड़ा करती हैकि वह हिजाब जरूर लगाएगी, परिणामस्वरूप दूसरेदिन छात्र जिद में भगवा गमछा धारणकर स्कूल आते हैं और उन छात्राओं से कहते हैं कि या तो वे स्कूल के ड्रेसकोड का पालन करें या अपने घर जाएं। इस उत्तेजनात्मक वातावरण के बाद मामला स्कूल परिसर से निकलकर कर्नाटक हाईकोर्ट होता हुआ कर्नाटक राज्य, फिर देश में और फिर पाकिस्तान और मुस्लिम देशों में पहुंच गया है। बहरहाल मुस्कान खान ने भारत में कॉमन सिविल कोड कानून लाने की राह भी आसान कर दी है।
क़ुरान और इस्लाम में इस्लामिक जीवनशैली की हिदायतों और परंपराओं में इस्लामिक विद्वान मुसलमान लड़कियों और महिलाओं केलिए सर ढकने की बात तो कहते हैं, लेकिन उसमें हिजाब और बुर्के का कहीं ज़िक्र नहीं मिलता है, ग़ौरतलब है कि मुस्कान खान बिना हिजाब और बुर्के के 'नागरिकता संशोधन कानून' के खिलाफ प्रदर्शनों और धरनों पर सक्रिय रूपसे भाग ले चुकी है जिसके, बिना हिजाब और बुर्के के बड़ी संख्या में फोटो सोशल मीडिया और गूगल पर देखे जा सकते हैं। हिजाब के नामपर आज जो मुसलमान नेता मुस्कान खान की पीठ थप-थपाकर उसका भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल कर रहे हैं, उसे मुबारकबाद दे रहे हैं, वास्तव में वह मुबारकबाद नहीं, बल्कि मुस्लिम लड़कियों को घरमें क़ैद रहने का दबाव बना रहे हैं, वोट देने नहीं जाने का दबाव बना रहे हैं, ताकि कहीं वे भाजपा को वोट न करदें। मुस्कान खान के हिजाब प्रोपेगंडा केबाद देश की मुस्लिम लड़कियों को यह तय करना होगाकि वह स्कूल के अनुशासन और वहां के ड्रेसकोड को फॉलो करेंगी या उकसावे में आकर हिंदुस्तान में अपने लिए ख़तरा बताकर अपनी मनमर्जी कर अपने उज्जवल भविष्य के अवसरों को ठुकराएंगी।
जमीअत-उलेमा-ए-हिंद और असदुद्दीन ओवैसी जैसे मुस्लिम कट्टरपंथी जिस प्रकार मुस्कान खान के कंधों पर बंदूक रखकर स्कूली अनुशासन को धता बताकर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला कर रहे हैं, वे हिजाब के समर्थन में धार्मिक और भावनात्मक अभियान चलाने निकल पड़े हैं, उससे दूसरे समुदाय के लोग और ज्यादा संगठित होने लगे हैं। सच तो यह है कि इन इस्लामिक कट्टरपंथियों ने मौका मिलते ही मुस्कान खान से हिजाब का मुद्दा छीन लिया है और उससे भी आगे बढ़कर मुस्लिम लड़कियों की जीवनशैली की आजादी पर पहरा बैठा रहे हैं। सवाल हैकि क्या देश के मिशन स्कूलों में ये हिजाब और बुर्के का समर्थन करेंगे और उन स्कूलों के ड्रेसकोड पर कुछ भी बोलने की हिम्मत कर पाएंगे? शायद बिल्कुल नहीं। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी भी मुस्लिम छात्राओं के क्या पहनने और क्या नहीं पहनने पर जिस प्रकार बयान दे रही हैं, तो क्या वे भारत में मिशन स्कूलों के लड़कियों के ड्रेसकोड के विपरीत कहेंगी कि वे भी अपने स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं को उनके धर्म और जाति के नामपर हिजाब और बुर्का पहने आने दें? पाकिस्तान ने मुस्कान खान को अपने कंधों पर बैठा लिया है, वहां की मलाला युसुफजई भी उसके साथ खड़ी हो गई है।
दुनिया के अधिकांश मुस्लिम देशों में मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों को हिजाब या बुर्का पहनने से छूट है। उन देशों के लोग अपने यहां धर्म मजहब की सदियों पुरानी गलतियां, परंपराएं सुधारने में लगे हैं और ये हिजाब में अपना भविष्य खोज रहे हैं। जॉर्डन जैसा मुस्लिम देश, जहां का मुस्लिम राज परिवार अपने को मोहम्मद साहब का वंशज मानता है, उस परिवार का लिबास भी अत्याधुनिक है, जिसमें महिला न बुर्का पहनती हैं और न हिजाब लगाती हैं। जॉर्डन में महिलाओं को उनकी जीवनशैली में काफी हदतक आजादी है और ये देश भारत के मुसलमानों को यदाकदा नसीहत भी देते हैंकि वे दुनिया के मुसलमानों की जीवनशैली से कुछ सीखें। भारत में मुसलमान नेता और धर्मगुरू अपवाद को छोड़कर अपने यहां के मुसलमानों को देश की मुख्यधारा से अलग चलने केलिए ही उकसाते देखे गए हैं। वे शिक्षा, प्रशासन या राजनीति सभी जगह विघटन की नीति अपनाते हैं, खासतौर से जबसे देश में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार है। मुस्लिम कट्टरपंथी नेता और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले राजनीतिक दल अब हिजाब को ही भुनाने में लग गए हैं, इनमें कांग्रेस हो या समाजवादी पार्टी। कर्नाटक के स्कूल की छात्राओं की हिजाब के समर्थन में अचानक कुछ लोगों का कूदना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। मुस्कान खान का यह प्रोपेगंडा मुसलमान लड़कियों का कितना साथ देगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन उसने पांच राज्यों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और हिंदू संगठनों को एकत्र होने का उन्हें एक बड़ा मुद्दा तो थमा ही दिया है।
कर्नाटक के स्कूल में छात्राओं के हिजाब पहनकर जाने के विवाद को कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ ने बड़ी पीठ को भेज दिया है और अब यह मामला बड़ी पीठ के गठन के बाद ही सुनवाई में आएगा। कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा हैकि जबतक हाईकोर्ट यह मामला तय नहीं करता है, तबतक स्कूलों की ड्रेसकोड की चालू व्यवस्था ही लागू रहेगी। हिजाब को देशभर में आग की तरह फैलाने की होड़ सी लग गई है। सीएबी के विरोध की तरह उकसाई हुई राजनीति शुरू हो गई है। इस मामले पर नज़र रखने वाले अपने-अपने विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं और कई जगह पर ये कोशिशें देखी जा रही हैं कि विधानसभा चुनावों में मुस्लिम महिलाओं को भाजपा के खिलाफ इस्तेमाल किया जाए, लेकिन वही बात कि क्या बुर्का और हिजाब से आजादी की इच्छा चाहने वाली लड़कियों और महिलाओं का मुस्कान खान को पूरा समर्थन मिल सकेगा? जिसमें यह तथ्य गौर करने काबिल हैकि जहां आए दिन यह देखने को मिलता होकि घरसे बुर्का और हिजाब पहनकर स्कूल-कालेज के लिए निकली मुस्लिम लड़की अपने अभिभावक पिता भाई या रिश्तेदार को घर से दूर मनोरंजन पार्क, मॉल या बाज़ार में बदले हुए खुले फैशनेबल लिबास जींस आदि में सहेली संग घूमती या खरीदारी करती पाई जाती हों तो फिर बुर्के या हिजाब का क्या मतलब रहा? भारत जैसी खुली जीवनशैली के बीच बुर्का या हिजाब कितना चल पा रहा है? भारत में बुर्का या हिजाब केवल इस्लाम धर्म की रस्मों तक ही सीमित होते जा रहे हैं।
जरा ग़ौर कीजिए! मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने वाले तलाक कानून से भारत के मुस्लिम कट्टरपंथी पहले से ही बौखलाए हुए हैं, क्योंकि मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं की मोदी सरकार और भाजपा से सहानुभूतियां सामने आ रही हैं, यहां तककि मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं का वोट भी भाजपा को जाता नज़र आ रहा है। मुस्लिम वोटों पर सियासत करने वाले मुसलमान नेताओं, राजनीतिक दलों में यह खौफ देखा जा रहा हैकि भाजपा की तथाकथित मुस्लिम विरोधी नीतियों के बावजूद मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं का भाजपा को समर्थन बढ़ता ही जा रहा है और यदि यही हालात रहे तो यह मुस्लिम राजनीति केलिए और दूसरे राजनीतिक दलों पर वज्रपात की भाति हो जाएगा। वो जानते हैंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार का खासतौर से मुस्लिम बालिकाओं लड़कियों महिलाओं के उत्थान पर बड़ा फोकस है, जिससे इस्लामिक कट्टरपंथियों का मुसलमानों को भाजपा से डराने का एजेंडा फेल होता जा रहा है। मुस्लिम लीडर और कट्टरपंथी ऐसे मौके तलाश रहे और उछाल रहे हैं, जिससे मुस्लिम महिलाएं और लड़कियां भाजपा की ओर रुख करने से रुक जाएं। सीएबी के नाम पर भाजपा के विरोध केलिए मुस्लिम महिलाओं के इस्तेमाल का इनका एजेंडा विफल हो ही चुका है। देखना है कि हिजाब की जंग का क्या हस्र होता है। (मुस्कान खान के साथ जो नाम था और पिक्चर में फोटो थी त्रुटि के कारण उसे हटा दिया गया है। इस गलती केलिए खेद है-संपादक)।