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Friday 11 February 2022 04:57:20 PM
मुंबई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज मुंबई राजभवन के नए दरबार हॉल का उद्घाटन किया और महाराष्ट्र की जनता एवं सरकार को बधाई दी है। राष्ट्रपति ने कहा हैकि राष्ट्रपति भवन की तरह यह राजभवन भी आज के युग में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के जनमानस की आशाओं और आकांक्षाओं का संवैधानिक प्रतीक बन चुका है, इसका इतिहास भले ही अंग्रेजी उपनिवेश के महत्व से जुड़ा हो, इसका वर्तमान और भविष्य महाराष्ट्र और पूरे देश की गौरव यात्रा से जुड़ा है। उन्होंने कहाकि आज से लगभग ढाई वर्ष पहले अगस्त 2019 में उन्हें इस राजभवन के अंडरग्राउंड बंकर म्यूजियम का उद्घाटन करने का अवसर भी प्राप्त हुआ था, इसमें राजभवन से जुड़ी रोचक जानकारियां उपलब्ध हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जिस राजभवन में स्वाधीनता के पहले जन साधारण को आतंकित करने वाली औपचारिकता तथा आन-बान-शान की परंपरा थी, वहां आज भगतसिंह कोश्यारी जैसे भारत की धरती और हमारी परंपरा की जड़ों को अपनी सेवा से सिंचित करने वाले राज्यपाल का आवास और कार्यालय है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि हमारे संविधान के अनुसार 'हम भारत के लोग' देश की सम्प्रभुता के आधार हैं और दरबार हॉल के उद्घाटन समारोह को मैं भारत की स्वाधीनता और लोकतंत्र के उत्सव के रूपमें देखता हूं। उन्होंने कहाकि जनता सर्वोपरि है और मुझे विश्वास हैकि राजभवन सहित दरबार हॉल भी लोककल्याण की गतिविधियों का एक प्रभावी केंद्र बनेगा। उन्होंने बतायाकि स्वाधीनता प्राप्ति के पहले तक दरबार शब्द राजशाही से जुड़ा था, लेकिन आज का दरबार लोकशाही से सम्बद्ध है, लोकतांत्रिक व्यवस्था में पारदर्शिता सुशासन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पक्ष है और दरबार का आधुनिक स्वरूप पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहाकि दरबार की व्यवस्था में न तो कोई व्यक्तिगत बात होती है और न ही कोई गोपनीय बात होती है, जो भी बात होती है, वह पारदर्शी तरीके से सबकी उपस्थिति, सबके साथ, सार्वजनिक रूपसे होती है। राष्ट्रपति ने कहाकि जनसेवकों द्वारा जनता दरबार के माध्यम से लोगों से जुड़ने का तरीका प्रचलित हो रहा है, इस प्रकार नए संदर्भ में यह नया दरबार हॉल हमारे नए भारत, नए महाराष्ट्र और हमारे जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक है। रामनाथ कोविंद ने कहाकि उन्हें दरबार हॉल के इतिहास और वर्तमान से जुड़ी ऑडियो-विज़ुअल फिल्म को देखकर रोचक और महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है।
राष्ट्रपति ने कहाकि उच्चतम नैतिक आदर्शों पर आधारित राजनीति के पक्षधर और असाधारण प्रशासनिक क्षमता केलिए सम्मानित मोरारजी देसाई का बंबई राज्य के मुख्यमंत्री पद केलिए शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन राजभवन के इसी दरबार हॉल में हुआ था और इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूंकि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने मुझे अपने निजी सचिव के रूपमें कार्य करने का अवसर प्रदान किया था। राष्ट्रपति ने कहाकि महाराष्ट्र के लोगों से यदि कोई उनके राज्य के नाम की उत्पत्ति या अर्थ पूछे तो उनको भाषा विज्ञान और इतिहास में जाने की जरूरत नहीं है, महाराष्ट्र यानि महान राष्ट्र अर्थात भारत का एक महान राज्य और क्षेत्र। उन्होंने कहाकि महाराष्ट्र की महानता के इतने अधिक आयाम हैंकि उनका जितना वर्णन किया जाए वह कम है। राष्ट्रपति ने कहाकि यदि केवल महाराष्ट्र की विभूतियों का नाम गिनाया जाए तो ऐसी सूची का अंत नहीं होगा, शिवाजी महाराज, संत एकनाथ, संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, महात्मा जोतिबा फुले, बालगंगाधर तिलक, गोपालकृष्ण गोखले, बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर और डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जैसी अनेक विभूतियों में महाराष्ट्र की महानता का ऐसा विशाल प्रवाह दिखाई देता है, जिसकी धाराएं अनेक हैं, लेकिन सबका उद्देश्य मानव जीवन की ऊंचाई हासिल करना रहा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि महाराष्ट्र अध्यात्म की भूमि है और अन्याय के विरुद्ध वीरतापूर्ण संघर्षों की धरती रही है, यह देशभक्तों की भूमि है और भगवद् भक्तों की भी, यह राज्य भारत का प्रमुख आर्थिक केंद्र है और सांस्कृतिक भी। उन्होंने कहाकि अजंता-एलोरा की गुफाओं में प्राप्त कला की ऊंचाई हो या पश्चिमी घाट का प्राकृतिक सौंदर्य महाराष्ट्र में प्रतिभा व प्रकृति दोनों का प्रचुर वरदान दिखाई देता है, यहां के लोगों का अतिथि सत्कार प्रसिद्ध है, ऐसी अनेक विशेषताओं के कारण मेरे लिए ही नहीं, देश-विदेश के असंख्य लोगों केलिए महाराष्ट्र की बार-बार यात्रा करने का आकर्षण बना रहता है। राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले साढ़े चार साल में वे इस दौरे सहित 12 बार महाराष्ट्र आ चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि अपनी इस बार की महाराष्ट्र यात्रा में मुझे एक शून्यता का एहसास भी हो रहा है, एक सप्ताह पूर्व हम सबने स्वर कोकिला भारत रत्न अपनी प्रिय लता दीदी को खो दिया, उनके जैसी महान प्रतिभा सदियों में एकबार ही जन्म लेती है, लताजी का संगीत अमर है, जो सभी संगीतप्रेमियों को सदैव मंत्रमुग्ध करता रहेगा, साथ ही उनकी सादगी और सौम्य स्वभाव की स्मृति भी लोगों के मानस पटल पर अंकित रहेगी।
राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें निजी तौरपर उनका स्नेह मिलता रहा, उनका जाना उनके लिए एक व्यक्तिगत क्षति भी है। राष्ट्रपति ने कहाकि महाराष्ट्र में ही बाबासाहब डॉ भीमराव आम्बेडकर की जीवन यात्रा से जुड़े स्थल मुंबई, नागपुर और रत्नागिरि हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें रत्नागिरि जिले में बाबासाहब के पैतृक गांव ‘आम्बडवे’ जाने तथा उनके स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्होंने बतायाकि दो माह पूर्व उन्हें महाराष्ट्र केसरी छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी रायगढ़ दुर्ग में जाकर उनके समाधि स्थल पर उनकी पुण्य स्मृति को भी नमन करने का अवसर भी मिला। राष्ट्रपति ने कहाकि शिवाजी महाराज ने लगभग 350 वर्ष पहले इसी क्षेत्र में देशप्रेम और स्वाभिमान की ज्योति प्रज्ज्वलित की थी, उस ज्योति के प्रकाश से पूरे देश में मराठा राज्य का अभ्युदय हुआ था और आज भी महाराष्ट्र अनेक महत्वपूर्ण मापदंडो पर देश के अग्रणी राज्यों में है एवं मुंबई का यह राजभवन महाराष्ट्र के अग्रणी राज्य होने का साक्षी रहा है और रहेगा। समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मंत्री एवं वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।