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भू-स्थानिक डेटा विमोचन की पहली वर्षगांठ

भारत की भावी आर्थिक प्रगति की पहचान-पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री

स्वामित्व योजना के तहत छह लाख गांव का मानचित्रण का है लक्ष्य

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 17 February 2022 02:32:36 PM

dr jitendra singh in 1st anniversary of geospatial data release

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन तथा परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि नरेंद्र मोदी सरकार की स्वामित्व योजना के अंतर्गत ड्रोन केसाथ भू-स्थानिक तकनीक भारत के 6 लाख से अधिक गांवों का सर्वेक्षण करेगी, इसके साथ ही 100 भारतीय शहरों केलिए अखिल भारतीय त्रि-आयामी (3डी) मानचित्र तैयार किया जाएगा, जो गेम चेंजर सिद्ध होगा। भू-स्थानिक डेटा के विमोचन की पहली वर्षगांठ पर कार्यक्रम में पर मुख्य अतिथि के रूपमें राज्यमंत्री ने कहाकि भू-स्थानिक प्रणाली, ड्रोन नीति और खुला अंतरिक्ष क्षेत्र की त्रिमूर्ति भारत की भावी आर्थिक प्रगति की पहचान होगी। उन्होंने कहाकि यह 5 ख़रब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए राष्ट्रीय मिशनमोड परियोजनाओं में इन उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाने केलिए भारत सरकार के रणनीतिक दवाब के अनुरूप है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ एस चंद्रशेखर, भू-स्थानिक उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष अगेंद्र कुमार, जियोस्पेशियल वर्ल्ड के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार, मैप माई इंडिया के अध्यक्ष एवं महाप्रबंधक राकेश वर्मा, जेनेसिस के अध्यक्ष एवं महाप्रबंधक साजिद मलिक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के प्रोफेसर भरत लोहानी, गूगल के प्रतिनिधि, हेक्सागोन और अन्य उद्योगों के सदस्य तथा अधिकारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि भू-स्थानिक नीति की घोषणा शीघ्र की जाएगी, क्योंकि दिशानिर्देशों के उदारीकरण के एक साल के भीतर ही बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने कहाकि स्वामित्व योजना के अंतर्गत 6 लाख गांवों के मानचित्रण केलिए भारतीय सर्वेक्षण ने भू-स्थानिक कंपनियों के पैनल केलिए खुला आह्वान और डिजिटल ट्विन्स की अवधारणा पर जेनेसिस इंटरनेशनल द्वारा 100 शहरों केलिए अखिल भारतीय त्रि-आयामी मानचित्रों के कार्यक्रम का शुभारंभ ऐतिहासिक है, यह अपने आपमें क्रांतिकारी निर्णय सिद्ध होगा।
पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री ने वन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, विद्युत उपयोगिताओं, भूमि अभिलेखों, जल वितरण और संपत्ति कराधान के क्षेत्रों में पहले से उपयोग केलिए तैयार भौगोलिक सूचना प्रणाली आधारित समाधान उत्पादों एवं सामग्री की आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए ईएसआरआई की लांच की गई इंडो एआरसीजीआईएस परियोजना की ओर भी ध्यान दिलाया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लीक से हटकर तथा साहसिक निर्णय लेने केलिए जाना जाता है, चाहे वह निजी कंपनियों केलिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलना हो, परमाणु ऊर्जा में संयुक्त उद्यम हो अथवा ड्रोन नीति। उन्होंने कहाकि भारी वित्तीय प्रभाव और रोज़गार सृजन केसाथ नवोन्मेषी स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने हितधारकों को आश्वासन दिया कि इन सभी क्षेत्रों में गुणक प्रभाव केलिए आपस में समन्वयन किया जाएगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियां देश की वे डिजिटल मुद्राएं हैं, जो आधारभूत ढांचे, विनिर्माण, स्वास्थ्य, कृषि, शहरी नियोजन, राजमार्ग और सेवा वितरण जैसे कई क्षेत्रों में गतिशील अनुप्रयोग ढूंढती हैं। उन्होंने कहाकि एक उद्योग अनुमान के अनुसार 2020 में भारतीय भू-स्थानिक बाजार का आकार भारतीय रूपये में 23,345 करोड़ रुपये था, जिसमें 10,595 करोड़ रूपये का निर्यात शामिल था और जिसके 2025 में 36,300 करोड़ रूपये तक बढ़ जाने की संभावना है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा की ज्ञान विस्फोट और तेजी से प्रौद्योगिक परिवर्तन के युग में भारत को वैश्विक मानकों पर खरा उतरना है। उन्होंने कहाकि यथास्थिति में काम करने का युग अब समाप्त हो गया है, क्योंकि प्रधानमंत्री ने दुनिया की गतिशीलता केसाथ आगे बढ़ने की एक नई कार्यसंस्कृति की शुरुआत की है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि 2025 तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था केलिए भारत सरकार का लक्ष्य एवं आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के प्रमुख स्तंभों पर टिकी है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, ड्रोन और दिशानिर्देशों द्वारा भू-स्थानिक डेटा के उदारीकरण में सभी साहसिक निर्णय उद्योगों द्वारा नए पड़ावों तक पहुंचने के पीछे एक प्रमुख चालक रहे हैं, जिनसे पारदर्शिता और दक्षता के स्तंभों पर जुड़ाव, सहयोग और नवाचारों को बढ़ावा मिला है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भू-स्थानिक जानकारी केलिए खुली और सुगम पहुंच ने इसके लॉंच के एक वर्ष के भीतर डेटा के उपयोग और पुन: उपयोग को अधिकतम स्तर तक पहुंचाने में मदद की है। उन्होंने कहाकि हम आनेवाले समय में मौजूदा संसाधनों पर मूल्य निर्माण करते हुए कई और अभिनव समाधान एवं नए व्यापार मॉडल देखने की उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहाकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने इन दिशानिर्देशों के साथ भू-स्थानिक पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर वास्तव में एक व्यवस्थित परिवर्तन शुरू किया है। डॉ जितेंद्र सिंह ने अबतक के प्रभाव और एक संशोधित दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए आगे की राह पर चर्चा करने केलिए सभी हितधारकों को एकसाथ लाने में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा भू-स्थानिक उद्योग परिसंघ के प्रयासों की सराहना की।

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