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Thursday 24 March 2022 05:57:40 PM
गांधीनगर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात विधानसभा के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा हैकि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, वे अपने क्षेत्रों और राज्य के प्रतिनिधि होते हैं, लेकिन इस बात का महत्व और अधिक हैकि लोग उन्हें अपना भाग्य विधाता मानते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि लोगों की आशाएं और आकांक्षाएं उनसे जुड़ी होती हैं और इन जन आकांक्षाओं को पूरा करना सभी जनप्रतिनिधियों केलिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि वे उस समय गुजरात विधानसभा सदस्यों को संबोधित कर रहे हैं, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, आजादी और उसका अमृत महोत्सव मनाने केलिए गुजरात से बेहतर स्थान और क्या हो सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि गुजरात क्षेत्र के लोग स्वतंत्र भारत की अलख जगाने में अग्रणी रहे हैं, उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में दादाभाई नौरोजी और फिरोज शाह मेहता जैसी हस्तियों ने भारतीयों के अधिकारों केलिए आवाज़ उठाई थी, उस संघर्ष को गुजरात के लोग लगातार मजबूत करते रहे, जो फलस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की पराकाष्ठा को पहुंचा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि महात्मा गांधी ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को नई राह भी दिखाई, नए विचार और नया दर्शन दिया, आज विश्व में जहां भी किसी प्रकार की हिंसा होती है तो बापू के मंत्र ‘अहिंसा’ का महत्व समझ में आने लगता है। राष्ट्रपति ने कहाकि गुजरात का इतिहास अनोखा है, यह महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमि है तथा इसे सत्याग्रह की भूमि कहा जा सकता है, सत्याग्रह का मंत्र पूरी दुनिया में उपनिवेश के विरुद्ध अचूक अस्त्र के रूपमें स्थापित हो गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि बारडोली सत्याग्रह, नमक आंदोलन और दांडी मार्च ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को न केवल नया आकार दिया, बल्कि प्रतिरोध की अभिव्यक्ति तथा जनआंदोलन की पद्धति को नए आयाम भी दिए। राष्ट्रपति ने कहाकि सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्र भारत को एकता के सूत्र में बांधा और प्रशासन की आधारशिला रखी, नर्मदा के किनारे उनकी प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है तथा उनकी स्मृति केप्रति यह कृतज्ञ राष्ट्र का अकिंचन उपहार है और भारतवासियों के मन में उनका कद तो इससे भी बड़ा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि राजनीति से इतर गुजरात ने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, आध्यात्मिक रूपसे देखा जाए तो नरसिंह मेहता की इस भूमि का बहुत प्रभाव है, उनका भजन वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे तो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का गान बन गया था, इस भजन ने भारतीय संस्कृति के मानवीय पक्ष का भी प्रसार किया। राष्ट्रपति ने कहाकि गुजरात के लोगों की उदारता भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है, सभी वर्गों और समुदायों के लोग प्राचीनकाल से ही यहां भाईचारे की भावना के साथ रह रहे हैं। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि गुजरात ने आधुनिककाल में विज्ञान के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान किया है, जहां डॉ होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का पितामह कहा जाता है, वहीं भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के संस्थापक डॉ विक्रम साराभाई को भारतीय विज्ञान विशेषकर भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान का युगद्रष्टा माना जाता है। राष्ट्रपति ने कहाकि 1960 में जब गुजरात अस्तित्व में आया था, तबसे वह अपने उद्यम और नई सोच के आधार पर विकासपथ पर बढ़ता जा रहा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि श्वेत क्रांति गुजरात की भूमि पर ही शुरू हुई थी और उसने पोषण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है, आज भारत दूध के कुल उत्पादन और खपत में विश्व में पहले स्थान पर है, गुजरात की दूध सहकारिताएं इस सफलता की जनक हैं। उन्होंने कहाकि भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है, जिसका उद्देश्य गुजरात की सफलता तथा सहकारी संस्कृति के लाभों का देशभर में विस्तार करना है। राष्ट्रपति ने कहाकि गुजरात विधानसभा ने राज्य के आमूल विकास के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि गुजरात पंचायत विधेयक-1961 और गुजरात अनिवार्य बुनियादी शिक्षा अधिनियम-1961 के जरिए स्थानीय स्वशासन तथा शिक्षा में प्रगतिशील प्रणाली स्थापित की गई थी। राष्ट्रपति ने कहाकि गुजरात अकेला ऐसा राज्य है, जहां गुजरात अधोसंरचना विकास अधिनियम-1999 को विधानसभा ने पारित किया था, ताकि अवसंरचना में निवेश तथा विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने कहाकि गुजरात जैविक कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम-2017 को विधानसभा ने पारित किया, जो भविष्य को देखते हुए कानून को दिशा देने के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुजरात की वर्तमान और पूर्व की सरकारों तथा गुजरात विधानसभा के वर्तमान और पूर्व सदस्यों की प्रशंसा कीकि उन सभी ने गुजरात की बहुपक्षीय प्रगति में योगदान किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि पिछले कुछ वर्ष से विकास के गुजरात मॉडल को अनुकरणीय माना जा रहा है, जिसे देश के किसी भी राज्य और क्षेत्र में लागू किया जा सकता है, साबरमती रिवर फ्रंट शहरी रूपांतरण का प्रभावशाली उदाहरण है, साबरमती और उसके रहने वालों केबीच के रिश्ते को एक नया आयाम मिला है, वहीं पर्यावरण भी सुरक्षित हो गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि यह देश के उन शहरों केलिए भी अच्छा उदाहरण बन सकता है, जो नदी किनारे आबाद हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो हमारा यह कर्तव्य बनता हैकि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए देश के उज्ज्वल भविष्य केलिए सार्थक कदम उठाएं, इसलिए 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शती मना रहा होगा तो उस समय की पीढ़ी अपने देश पर गर्व करेगी। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत सरकार, राज्य सरकारें तथा समस्त देशवासी भारत के शताब्दी वर्ष को स्वर्ण युग बनाने केलिए एकसाथ विकासपथ पर आगे बढ़ते रहेंगे। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।