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Saturday 26 March 2022 04:15:12 PM
जामनगर (गुजरात)। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आईएनएस वलसुरा को प्रतिष्ठित 'प्रेसिडेंटस कलर' प्रदान किया। 'निशान अधिकारी' लेफ्टिनेंट अरुण सिंह संब्याल ने एक प्रभावशाली परेड में अपनी यूनिट की ओरसे यह राष्ट्रपति निशान प्राप्त किया। गौरतलब हैकि शांति और युद्ध दोनों समय में राष्ट्र की असाधारण सेवा के सम्मान में किसी सैन्य इकाई को राष्ट्रपति निशान प्रदान किया जाता है। भारतीय नौसेना पहली भारतीय सशस्त्र सेना थी, जिसे 27 मई 1951 को डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति निशान से सम्मानित किया था। औपचारिक परिधानों में अद्भुत दिख रहे आईएनएस वलसुरा के 800 से अधिक अधिकारियों और जवानों ने नौसेना बैंड की धुन पर गर्व केसाथ मार्च किया। आईएनएस वलसुरा यूनिट ने राष्ट्रपति केलिए 150 पुरुषों की गार्ड ऑफ ऑनर परेड प्रस्तुत की।
आईएनएस वलसुरा की विरासत 1942 जितनी पुरानी है, जब द्वितीय विश्वयुद्ध में रॉयल इंडियन नेवी की मारक क्षमता बढ़ाने केलिए परिचालन आवश्यकता को देखते हुए एक उन्नत टॉरपीडो प्रशिक्षण स्कूल का निर्माण जरूरी हो गया था। भारत के गणतंत्र बनने के बाद इस यूनिट का नाम बदलकर 1 जुलाई 1950 को आईएनएस वलसुरा कर दिया गया। इसके बादसे आईएनएस वलसुरा ने खुदको पेशेवर तकनीकी प्रशिक्षण के एक प्रतीक के रूपमें परिवर्तित किया है। भारतीय नौसेना की आधुनिकीकरण योजनाओं के साथ कदमताल करते हुए ये यूनिट तेजी से विकसित हुई है। यह भारतीय नौसेना के अधिकारियों और नाविकों को जरूरी स्किल-सेट से लैस करने केलिए हमेशा समय से आगे रही है, ताकि सूचना प्रौद्योगिकी में उन्नति केसाथ अपनी गति बनाए रखने के अलावा तेजी से जटिल हो रहे हथियारों और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों की युद्ध योग्यता को बरकरार रखा जा सके।
आईएनएस वलसुरा प्रशिक्षण ढांचे के प्रगतिशील संवर्धन के जरिए समकालीन और विशिष्ट प्रौद्योगिकियों पर गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करता है। हाल के वर्षों में यहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा और मीडियम वोल्टेज लैब की स्थापना, अधिकारियों और नाविकों के प्रशिक्षण में और समकालीन तकनीक में तकनीकी उत्कृष्टता इसकी चाह की एक अनूठी मिसाल है। आईएनएस वलसुरा का ये प्रतिष्ठान एक वर्ष में 262 से अधिक पाठ्यक्रम संचालित करता है और 750 से अधिक अधिकारियों व 4200 नाविकों को वार्षिक प्रशिक्षण देता है। आईएनएस वलसुरा भारत की मित्र विदेशी नौसेनाओं केलिए भी पसंदीदा प्रशिक्षण का गंतव्य है। इसपर अबतक 15 मित्र विदेशी नौसेनाओं के 1800 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। वर्ष 2001 के विनाशकारी भूकंप केबाद नेवी मोडा गांव के पुनर्निर्माण और सामुदायिक सेवा की दिशामें उसका कार्य सराहनीय था। सितंबर 2021 में जामनगर में बाढ़ के दौरान आईएनएस वलसुरा की टीमों ने बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित 400 से अधिक नागरिकों को बचाया था।
आईएनएस वलसुरा के इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आईएनएस वलसुरा के अधिकारियों और नाविकों को बधाई दी और भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा केलिए उनके पेशेवराना रवैये और समर्पण की सराहना की। उन्होंने पिछले 79 वर्ष में राष्ट्र को दी गई सराहनीय सेवा केलिए आईएनएस वलसुरा के पूर्व और वर्तमान कर्मियों को भी बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करने और सक्षम समुद्री योद्धाओं को तैयार करने की दिशा में इस यूनिट के निरंतर प्रयासों की सराहना की। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में 'पसंदीदा सुरक्षा भागीदार' के रूपमें भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और सफेद वर्दी में सजे पुरुषों से राष्ट्र केलिए अपनी निस्वार्थ और समर्पित सेवा जारी रखने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने आईएनएस वलसुरा के कर्मियों को बधाई दी और उन्हें तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के इस युग में और भी अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक विशेष डाक कवर भी जारी किया। राष्ट्रपति निशान से सम्मानित होना आईएनएस वलसुरा के इतिहास में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। नौसेना परंपराओं के अनुसार, अब आईएनएस वलसुरा में सभी औपचारिक परेडों में राष्ट्रपति निशान को गर्व से प्रदर्शित और शामिल किया जाएगा। ये, प्रदान की गई सेवा का एक प्रतीक है और भारतीय नौसेना के अधिकारियों और जवानों को प्रेरित करेगा। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार, दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली, वरिष्ठ नागरिक और सैन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे। गौरतलब हैकि सौराष्ट्र क्षेत्र में सोशल आउटरीच कार्यक्रमों के हिस्से के रूपमें आईएनएस वलसुरा ने कई कल्याणकारी उपाय शुरू किए हुए हैं।