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उत्तर-पूर्वोत्तर राज्यों में कम हुए अशांत क्षेत्र

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत फैसला

शांति-सुरक्षा में उल्लेखनीय सुधार और तेज विकास

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 31 March 2022 05:01:58 PM

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में केंद्र सरकार के निरंतर प्रयासों से उत्तर-पूर्वोत्तर राज्यों में ऐसे अनेक कदम उठाए गए हैं, जिससे यहां शांति एवं सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और बुनियादी ढांचे के विकास में भी तेजी आई है। वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2021 में उग्रवादी घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है, इसी प्रकार इस अवधि में सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की मृत्यु में भी क्रमश: 60 प्रतिशत और 84 प्रतिशत की कमी आई है। पूर्वोत्तर में शांति एवं सुरक्षा स्थिति में सुधार के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम केतहत दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शांतिपूर्ण और समृद्ध उत्तर-पूर्व क्षेत्र की परिकल्पना को साकार करने केलिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सभी उत्तर-पूर्व राज्यों से निरंतर संवाद किया, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश उग्रवादी समूहों ने देश के संविधान और नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों में विश्वास जताते हुए हथियार डाल दिए, आज वो सभी लोग लोकतंत्र का हिस्सा बनकर उत्तर-पूर्व की शांति और विकास में सहभागी बन रहे हैं। पिछले कुछ वर्ष में लगभग 7000 उग्रवादियों ने सरेंडर किया है। तीन वर्ष के दौरान भारत सरकार ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्त करने और स्थायी शांति लाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वप्न को साकार करने केलिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं, जैसे-जनवरी 2020 का बोडो समझौता जिसने असम की 5 दशक पुरानी बोडो समस्या का समाधान किया है। करबी-आंगलांग समझौता 4 सितंबर 2021 ने लंबे समय से चल रहे असम के करबी क्षेत्र के विवाद को हल किया है।
त्रिपुरा में उग्रवादियों को समाज की मुख्यधारा में लाने केलिए अगस्त 2019 में एनएलएफटी (एसडी) समझौता किया गया था। तेइस साल पुराने ब्रु-रिआंग शरणार्थी संकट को सुलझाने केलिए 16 जनवरी 2020 को ऐतिहासिक समझौता किया गया, जिसके अधीन 37000 आंतरिक विस्थापित लोगों को त्रिपुरा में बसाया जा रहा है। असम और मेघालय राज्य की सीमा के संदर्भ में 29 मार्च 2022 को एक और महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे उत्तर-पूर्व क्षेत्र को उग्रवाद मुक्त करने केलिए संकल्पित हैं, इस संबंध में केंद्र सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों केसाथ संवाद करती रही है। नरेंद्र मोदी सरकार सुरक्षा स्थिति में सुधार के कारण एएफएसपीए के अंतर्गत अशांत क्षेत्र अधिसूचना को त्रिपुरा से 2015 में और मेघालय से 2018 में पूरी तरहसे हटा लिया गया है। संपूर्ण असम में वर्ष 1990 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना लागू है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने केबाद सुरक्षा स्थिति में उल्लेखनीय सुधार के कारण अब 1 अप्रैल 2022 से असम के 23 जिलों को पूर्ण रूपसे और 1 जिले को आंशिक रूपसे एएफएसपीए के प्रभाव से हटाया जा रहा है।
मणिपुर में इंफाल नगरपालिका क्षेत्र को छोड़कर में अशांत क्षेत्र घोषणा वर्ष 2004 से चल रही है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशन क्षेत्र को 1 अप्रैल 2022 से अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर कर दिया है। अरूणाचल प्रदेश में 2015 में 3 जिले, अरूणाचल प्रदेश की असम से लगने वाली 20 किलोमीटर की पट्टी और 9 अन्य जिलों में 16 पुलिस स्टेशन क्षेत्र में एएफएसपीए लागू था, जो धीरे धीरे कम करते हुए वर्तमान में सिर्फ 3 जिलों में और 1 अन्य जिले के 2 पुलिस स्टेशन क्षेत्र में लागू है। नागालैंड में अशांत क्षेत्र अधिसूचना वर्ष 1995 से लागू है। केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में गठित कमेटी की चरणबद्ध तरीके से एएफएसपीए हटाने की सिफारिश को मान लिया है। नागालैंड में 1 अप्रैल 2022 से 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया जा रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा हैकि नरेंद्र मोदी की अटूट प्रतिबद्धता के कारण हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र, जो दशकों से उपेक्षित था, अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास के एक नए युग का गवाह बन रहा है, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं।

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