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'विरोधी ताकतों से सुरक्षा बल दृढ़ता से निपटें'

उपराष्ट्रपति का रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन में संबोधन

ड्रोन साइबर जैसे प्रतीकात्‍मक युद्ध बदलावों को चिन्हित किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 18 May 2022 12:08:49 PM

vice president addressing the officers and staff of defence services staff college wellington

वेलिंगटन। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने कहा हैकि ड्रोन और साइबर युद्ध के बढ़ते उपयोग केसाथ संघर्षों की मिश्रित प्रकृति के कारण युद्ध के मैदान में प्रतीकात्‍मक बदलाव आया है। उन्‍होंने सशस्त्र बलों से इन नए और उभरते क्षेत्रों में युद्ध कौशल को विकसित करने केलिए कहा है। उन्होंने कहाकि भारतीय सेना को ‘भविष्य की ताकत’ के रूपमें विकसित करना हमारा दृष्टिकोण होना चाहिए। रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन के अधिकारियों और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत अत्यधिक जटिल और अप्रत्याशित भू-राजनीतिक वातावरण में कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह देखते हुएकि हम बाहर और भीतर से संतुलित और विषम दोनों तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं, उपराष्ट्रपति चाहते हैंकि सशस्त्र बल किसीभी चुनौती से निपटने केलिए पूरी तरह से तैयार हों और किसीभी सुरक्षा खतरे का मजबूती से मुकाबला करें।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने कहाकि भारत का दृष्टिकोण हमेशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रहा है, कभीभी विस्तारवादी नहीं रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारत की संप्रभुता को विरोधी ताकतों द्वारा चुनौती देने के किसीभी प्रयास से हमारे सुरक्षा बल दृढ़ता से निपटेंगे। वेंकैया नायडु ने कहाकि इतिहास में भारत ने कभीभी अन्य देशों पर आक्रमण नहीं किया और हमेशा अन्य देशों केसाथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व बनाए रखा है। उन्होंने कहाकि हम वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत में विश्वास करते हैं। वेंकैया नायडु ने कहाकि भू-रणनीतिक और भू-राजनीतिक मजबूरियों, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन ने सुरक्षा ढांचे की जटिलता को बढ़ा दिया है, उन्‍होंने ऐसे मुद्दों की गहरी समझ रखने का आह्वान किया। उन्होंने अपनी तैयारियों को लगातार मजबूत करने और एक मजबूत रणनीति तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया।
वेंकैया नायडु ने रक्षा और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई पहल करने केलिए नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना की। उन्होंने अधिकारियों से कहाकि भविष्य में कदम रखने केसाथ ही आपको एकल सेवा दक्षताओं से बहुडोमेन चुनौतियों में स्नातक होना होगा, जिसके लिए संयुक्त और बहुडोमेन संचालन की गहन समझ की आवश्यकता होती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि चाहे बाहरी आक्रमण हो, उग्रवाद से लड़ना हो या प्राकृतिक आपदाओं के समय नागरिक प्रशासन की सहायता करना हो, वर्दी में पुरुषों और महिलाओं ने हमेशा देश को गौरवांवित किया है। उपराष्ट्रपति ने अपनी सीमाओं की स्थिति से निपटने केसाथ हाल हीमें कोविड महामारी से निपटने केलिए सशस्त्र बलों के कार्यों कीभी प्रशंसा की। उन्होंने कहाकि बहादुर सैनिकों के समर्पण और बलिदान के बारेमें लोगों को और अधिक जागरुक करने की आवश्यकता है, शैक्षणिक संस्थानों में ऐसे नायकों केलिए स्मारक बनाने का आह्वान किया, ताकि युवा पीढ़ी में देशभक्ति और सशस्त्र बलों केप्रति सम्मान की भावना पैदा हो सके।
उपराष्ट्रपति ने इतिहास में उत्कृष्ट महिला सैन्य जनरलों के कई उदाहरणों का हवाला दिया जैसे-गोंडवाना की रानी दुर्गावती, रानी अब्बक्का, तुलुवा रानी, ​​रुद्रमा देवी, कित्तूर चेन्नमा, रानी वेलु नचियार, लक्ष्मीबाई और बेगम हजरत महल। उन्होंने महिला अधिकारियों केलिए स्थायी आयोग के कार्यांवयन, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और लड़कियों केलिए सभी सैनिक स्कूल खोलने जैसी वर्दी वाली सेवाओं में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों पर प्रसन्नता व्यक्त की। वेंकैया नायडु ने कहाकि उन्हें खुशी हैकि महिला अधिकारियों को वायुसेना की लड़ाकू धारा में नौसेना के जहाजों पर सैन्य पुलिस कोर और विदेशों में मिशनों में भी तैनात किया जा रहा है। उन्होंने इन संकेतों को एक स्वागत योग्य प्रवृत्ति कहा। वेंकैया नायडु ने कहाकि महिलाओं को जीवन के हर क्षेत्र में समान अवसर देने केलिए सभी कदम उठाए जाने चाहिएं।
भारत के सशस्त्र बलों के भविष्य के नेताओं के प्रशिक्षण और उन्‍हें शिक्षित करने में उनके उत्कृष्ट योगदान केलिए डीएसएससी की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने डीएसएससी के संकाय सदस्यों और प्रशिक्षकों को 21वीं सदी के सैन्य पेशेवरों और विचारशील नेताओं का पोषण करने वाले अनुभवी गुरुओं के रूपमें बधाई दी। उन्होंने मद्रास रेजीमेंट के अधिकारियों और सैनिकों के गौरवपूर्ण इतिहास का भी जिक्र किया। इस अवसर पर तमिलनाडु के वनमंत्री थिरु के रामचंद्रन, डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज के कमांडेंट एवीएसएम, एसएम, वीएसएम लेफ्टिनेंट जनरल एस मोहन, रक्षा सेवाओं के विशिष्ट सदस्य और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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