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Tuesday 31 May 2022 12:31:28 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय तटरक्षक बल के तीन दिवसीय 39वें कमांडर सम्मेलन में आईसीजी की दक्षता और समर्पण की सराहना करते हुए कहा हैकि इसके अद्वितीय प्रदर्शन ने इसे विश्व के सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़े तटरक्षकों में से एक बना दिया है। रक्षामंत्री ने लगातार बदलते वैश्विक परिदृश्य में समुद्री तैयारियों को बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण पहलू बताया जो किसी राष्ट्र के आर्थिक और रणनीतिक हितों की रक्षा करता है। रक्षामंत्री ने रेखांकित कियाकि लगातार विकसित हो रही वैश्विक स्थिति के कारण भारत की समुद्री सुरक्षा जरूरतों में बदलाव आया है। वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि इस घटना से पता चलता हैकि लंबे समय तक देश का उन्मुखीकरण भूमि सीमाओं की सुरक्षा पर केंद्रित था और तटीय सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया था। उन्होंने भारत सरकार की सोच के अनुरूप पिछले कुछ वर्ष में लगातार अपनी क्षमता बढ़ाने और तटीय सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने केलिए आईसीजी की प्रशंसा की।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि इन प्रयासों से देश ने 2008 के मुंबई हमलों के बादसे समुद्री मार्ग के जरिए कोई आतंकवादी गतिविधि नहीं देखी है। रक्षामंत्री ने एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के महत्व पर विचार साझा किए और इस क्षेत्र को भारत की समुद्री सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्र में बढ़ते क्षेत्रीय और वैश्विक व्यापार ने नई चुनौतियां उत्पन्न की हैं, भू-राजनीतिक तनाव और सामरिक हितों के टकराव ने पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों को जन्म दिया है, आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी और समुद्री डकैती हमारे सामने कुछ गैर-पारंपरिक चुनौतियां हैं, इनसे पूरा क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। रक्षामंत्री ने कहाकि एक जिम्मेदार समुद्री शक्ति होने के चलते नियम आधारित शांतिपूर्ण और स्थिर वातावरण बनाने में हमारी स्पष्ट रुचि है। उन्होंने कहाकि ऐसा नियम आधारित माहौल क्षेत्रीय और वैश्विक समृद्धि दोनों केलिए जरूरी है, इस स्थिति में निभाने केलिए आईसीजी केपास एक बड़ी भूमिका है।
हिंद महासागर क्षेत्र पर रक्षामंत्री ने कहाकि भारत की भौगोलिक स्थिति सामरिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, गहरे पानी के पत्तनों केसाथ हमारी लंबी तटरेखा, एक समृद्ध विशेष आर्थिक क्षेत्र और दोनों सिरों पर द्वीप एक अद्वितीय स्थिति प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने कहाकि आईओआर विश्व के तेल लदान (शिपमेंट) के दो-तिहाई से अधिक केलिए जिम्मेदार है, एक तिहाई बल्क कार्गो और आधे से अधिक कंटेनर ट्रैफिक इससे होकर गुजरते हैं, इन समुद्री मार्गों की सुरक्षा न केवल हमारे आर्थिक हितों से सीधे जुड़ी हुई है, बल्कि यह भारत को आईओआर में एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता के रूपमें भी स्थापित करती है। रक्षामंत्री ने कहाकि आईसीजी की भूमिका केवल तटीय क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है, उसे भारत के राष्ट्रीय हितों और क्षेत्रीय समुद्रों एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र में संप्रभु अधिकारों के रक्षक के रूपमें वर्णित किया गया है। उन्होंने कहाकि आईसीजी की डायनमिक रणनीति और भारतीय नौसेना एवं स्थानीय प्रशासन केसाथ इसके सहयोग के कारण 14 वर्ष में तटीय सुरक्षा में किसी भी उल्लंघन की कोई घटना नहीं हुई है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सागर यानी क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास की सोच पड़ोसी देशों केसाथ मित्रता, खुलेपन, संवाद एवं सहअस्तित्व की भावना पर आधारित है। उन्होंने कहाकि यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है, जिसे आईसीजी सफलतापूर्वक पूरा कर रही है। रक्षामंत्री ने रेखांकित कियाकि सरकार के प्रयासों के कारण भारत एक मजबूत और विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूपमें सामने आया है। राजनाथ सिंह ने कहाकि देश की वास्तविक क्षमता उस समय ही सामने आ सकती है, जब देश की अर्थव्यवस्था, विशेष रूपसे नीली (समुद्री) अर्थव्यवस्था को एक सुरक्षित और नियम आधारित समुद्री वातावरण प्रदान किया जाए। उन्होंने आईसीजी का इस उद्देश्य को प्राप्त करने केलिए देश की विशाल तटरेखा और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र केसाथ व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में प्रयास करने का आह्वान किया। रक्षामंत्री ने बतायाकि जैसे-जैसे मुख्य भूमि के संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, विश्व के देश जीविका केलिए समुद्र की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने समुद्री अन्वेषण, संसाधन दोहन और संरक्षण की बढ़ती भूमिका को रेखांकित किया।
रक्षामंत्री ने कहाकि गहरे समुद्र के अन्वेषण ने समुद्री संसाधनों केलिए प्रतिस्पर्धा को और अधिक बढ़ा दिया है। राजनाथ सिंह ने प्राकृतिक आपदाओं के दौरान नागरिक प्रशासन की सहायता करने में अतुलनीय भूमिका निभाने केलिए आईसीजी की प्रशंसा की और कहाकि आईसीजी का यह प्रयास तटवर्ती पड़ोसियों तकभी विस्तृत है। उन्होंने बतायाकि पिछले साल विनाशकारी चक्रवात के दौरान 24,000 मछुआरों केसाथ 3,000 से अधिक मछली पकड़ने वाली नौकाओं को आईसीजी संचालन के निवारक और सोची-समझी प्रतिक्रिया पहल के कारण सुरक्षा प्रदान की गई थी। रक्षामंत्री ने कहाकि व्यापार सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण में भी आईसीजी ने सफलता प्राप्त की है। रक्षामंत्री ने बतायाकि सुरक्षा, व्यापार, पर्यावरण और मानवीय सहायता जैसे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय ने आईसीजी के आधुनिकीकरण केलिए प्रदूषण नियंत्रण पोतों के अधिग्रहण एवं डोर्नियर विमान के मध्यावधि जीवन उन्नयन सहित कई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। उन्होंने 'आत्मनिर्भर भारत' की सोच को प्राप्त करने की दिशा में आईसीजी के प्रयास सराहे।
रक्षामंत्री ने कहाकि आज स्वदेशी रूपसे आईसीजी के पोतों और विमानों का निर्माण एवं मरम्मत की जा रही है, आईसीजी अपने पूंजीगत बजट का लगभग 90 फीसदी हिस्सा स्वदेशी संपत्ति के विकास पर खर्च कर रही है। राजनाथ सिंह ने कहाकि सरकार ने एक एकीकृत दृष्टिकोण लाने का प्रयास किया है और आईसीजी इसका एक अभिन्न हितधारक है, तटीय निगरानी नेटवर्क की स्थापना एवं कामकाज एक और उपलब्धि है, जिसने देश की विशाल तटरेखा की सुरक्षा को बढ़ावा दिया है। उन्होंने आशा व्यक्त कीकि आईसीजी अपने शक्तिशाली पोतों, विमानों और जनशक्ति केसाथ राष्ट्र की रक्षा, सुरक्षा और विकास में अमूल्य योगदान देता रहेगा। गौरतलब हैकि आईसीजी कमांडरों का यह सम्मेलन हर साल होता है, इसमें सभी क्षेत्रीय कमांडर भविष्य केलिए रोडमैप प्रस्तुत करते हैं और विभिन्न नीति एवं रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं। सम्मेलन का उद्देश्य भविष्य केलिए तैयार रहना और चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपटने के तौर-तरीकों का निर्धारण करना है। सम्मेलन में रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, डीजी आईसीजी वीएस पठानिया, रक्षा मंत्रालय और आईसीजी के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।