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Friday 3 June 2022 05:26:27 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अलंकरण समारोह और रुस्तमजी मेमोरियल लेक्चर में वीर सीमा प्रहरियों का शौर्य सम्मान करते हुए अदम्य साहस, वीरता और कर्तव्य केप्रति समर्पण केलिए पदक प्रदान किए। उन्होंने ड्रोन विरोधी तकनीक प्रारूप का हस्तांतरण भी किया। नित्यानंद राय ने बड़े गर्व से उल्लेख कियाकि सीमा सुरक्षा बल देश के प्रतिष्ठित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में से एक है, जो 01 दिसंबर 1965 से भारत की हजारों किलोमीटर लंबी सीमाओं की रक्षा के साथ संकट के समय देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहा है। उन्होंने कहाकि सीमा सुरक्षा बल का गौरवशाली इतिहास बलिदानी वीरों की गाथाओं से परिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बीएसएफ़ के स्थापना से अब तक सीमा प्रहरियों को 1 पद्म विभूषण, 2 पद्मभूषण, 1 महावीरचक्र, 4 कीर्तिचक्र, सात पद्मश्री, 13 वीरचक्र, 13 शौर्यचक्र और 56 सेना मेडल सहित 1202 कई वीरता पदक मिले हैं, जो इस बात का प्रमाण हैंकि सीमा सुरक्षा बल के जवान देश केलिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने केलिए सदैव तत्पर रहते हैं। समारोह में बीएसएफ़ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक और सीमा सुरक्षा बल के वरिष्ठ अधिकारी, गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहाकि कश्मीर की बर्फीली चोटियों, झुलसा देने वाले थार, कच्छ का रण और घने वर्षावनों के बीच से भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश से लगतीं अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं, सीमा सुरक्षा बल के अभेद्य सुरक्षा घेरे में सुरक्षित हैं। उन्होंने कहाकि समय के साथ-साथ नवीनतम तकनीक के समावेश से सीमावर्ती अपराधों और चुनौतियों में नित नए बदलाव देखने को मिल रहे हैं, प्रतिदिन नई छद्म युक्तियों से पड़ोसी देश प्रायोजित ढंग से देश विरोधी शक्तियों द्वारा राजनैतिक नुकसान पहुंचाने के प्रयास लगातार कर रहा है। उन्होंने कहाकि देश की पश्चिमी सीमाओं पर ड्रोन की गतिविधियां, सीमापार से खोदी गई सुरंगों, घुसपैठ के प्रयास आदि घटनाएं सीमा प्रहरियों के बुलंद हौसलों का प्रतिदिन इम्तिहान ले रही है और BSF इस इम्तिहान में सफल भी हो रहा है। नित्यानंद राय ने कहाकि इन सभी नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सीमा सुरक्षा बल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रेरित बीएसएफ हैकाथॉन (भूमि) एवं अग्नि मिशन पर पूर्ण लगन के साथ काम कर रहा है।
नित्यानंद राय ने कहाकि इसमें सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय और अन्य प्रमुख सरकारी संस्थाओं केसाथ मिलकर बीएसएफ़ एंटी ड्रोन एवं एंटी टनल तकनीक के क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता हासिल करने सफलता प्राप्त कर रहा है, साथही पूर्वोत्तर में लंबे समय से सक्रिय राष्ट्र विरोधी ताकतों से निपटने में बल का सराहनीय योगदान रहा है। उन्होंने कहाकि देश की सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ, बीएसएफ़ वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था का सफलतापूर्वक संभाल रहा है। नित्यानंद राय ने कहाकि गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल को मजबूती प्रदान करते हुए सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र की प्रभावी निगरानी और सुरक्षा केलिए छह नई फ्लोटिंग सीमा चौकियां तैनात की हैं, प्रत्येक सीमा चौकी आधुनिक सुविधाओं एवं तकनीकी उपकरणों से सुसज्जित है, जो लगातार लगभग एक महीने तक बिना दोबारा ईंधन भरे तैनात रह सकती हैं। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि निकट भविष्य में गुजरात के क्रीक एरिया में तीन अन्य नई फ्लोटिंग सीमा चौकियों की तैनाती की जाएगी, इन नई फ्लोटिंग सीमा चौकियों पर जवानों की तैनाती केलिए गृह मंत्रालय 54 अतिरिक्त तकनीकी कार्मिकों का शीघ्र ही ऑथोराइजेशन प्रदान करेगा।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहाकि 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता युद्ध में बीएसएफ़ महानिदेशक केएफ रुस्तमजी के नेतृत्व में सीमा सुरक्षा बल ने बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी केसाथ मिलकर जिस तरह की भूमिका को अंजाम दिया है, आज पूरा देश उससे परिचित है और इसकी प्रशंसा करता है। उन्होंने कहाकि अपनी स्थापना से लेकर आजतक जिस स्वरूप में यह बल स्थापित हुआ है, इसमें रुस्तमजी की महती भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहाकि बल के संस्थापक एवं प्रथम महानिदेशक रुस्तमजी की स्मृति में सीमा सुरक्षा बल द्वारा प्रत्येक वर्ष अलंकरण समारोह और रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान का आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है, इस वर्ष रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान शृंखला में 'सीमावर्ती जनसंख्या: सीमा प्रबंधन से राष्ट्र निर्माण तक' विषय बहुत ही सामयिक एवं विषयगत है। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि भारत की 15,106.7 किलोमीटर लम्बी सीमारेखा 7 पड़ोसी देशों केसाथ मिलती है, सियाचीन ग्लेशियर से थार मरूभूमि और कच्छ के रन से लेकर सुंदरबन तक भारतीय सीमारेखा, भौगोलिक विभिन्नता के साथ सुरक्षा दृष्टिकोण से दुर्गम और कठिन है। उन्होंने कहाकि प्रशासनिक दृष्टिकोण से दूर दराज होने और देश की मुख्य धारा से कम जुड़े होने के कारण सीमावर्ती जनसंख्या में साक्षरता का स्तर निम्न देखा जाता है।
गृह राज्यमंत्री ने कहाकि राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में सुधार पर मंत्रियों के समूह (GOM) ने वर्ष 2001 में अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी की थीकि भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोग विशेष रूपसे भूमि सीमाओं पर बसे लोग दुर्गम क्षेत्र और कठिन जीवन परिस्थितियों में रहते हुए आम सुविधाओं से वंचित हैं, पर्याप्त आर्थिक अवसरों और अपेक्षाकृत अविकसित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण कुछ सीमावर्ती लोग बेहतर जीवनशैली और रोज़गार केलिए सीमावर्ती क्षेत्रों से मुख्य भूमि की ओर पलायन करते हैं। उन्होंने कहाकि इन सभी कारणों से सीमावर्ती जनसंख्या का राष्ट्र केसाथ पूर्ण एकीकरण नहीं हो पाया है। नित्यानंद राय ने कहाकि देश की सीमा को सुरक्षित बनाने में सीमावर्ती इलाकों में बसे लोग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेतृत्व में भारत सरकार सीमा प्रबंधन को और अधिक प्रभावशाली बनाने केलिए सीमा सुरक्षा की अवधारणा को पुनः परिभाषित कर रही है, जिसमें स्थानीय जनसंख्या को केंद्र में रखा जा रहा है। उन्होंने कहाकि आजसे 75 वर्ष पहले जब भारत ने स्वतंत्रता की दहलीज पर कदम रखा, तब हमने आधुनिक राष्ट्र और विभिन्न समुदायों, जो विभिन्न मूल, इतिहास, भाषा, संस्कृति और धर्म से आते हैंको एकसाथ पिरोने का जो सपना देखा था वो कहीं कमजोर पड़ा है, लेकिन 2014 में मोदी सरकार बनते ही देश सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से काम करते हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प केसाथ आगे बढ़ रहा है।
गृह राज्यमंत्री ने कहाकि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, देश के हर हिस्से से लोगों को एकजुट करने और आत्मनिर्भर भारत की भावना के अनुरूप भारत 2.0 का उत्सव मनाया जा रहा है। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि भारत सरकार स्थानीय सीमावर्ती समुदाय को सीमा प्रबंधन में एक प्रमुख हितधारक मानती है और यह सुरक्षित सीमा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार सीमावर्ती आबादी के आर्थिक और सामाजिक कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 के बजट में एक नए कार्यक्रम वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की घोषणा की थी, ऐसे सीमावर्ती गांव, जहांकी जनसंख्या बहुत ही कम है और सीमित कनेक्टिविटी तथा बुनियादी सुविधाओं की वजह से वे विकास के लाभ से वंचित रह गए हैं, उत्तरीय सीमा के ऐसे गावों को नए वाइव्रेंट विलेजेज कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा। उन्होंने कहाकि यहांके क्रियाकलापों में गांव की बुनियादी सुविधाओं, आवास, पर्यटन केंद्रों के निर्माण, सड़क संपर्क, विकेंद्रित नवीकरणीय ऊर्जा की व्यवस्था है, दूरदर्शन और शिक्षण चैनलों केलिए 'डाइरेक्ट टू होम एक्सेस' की व्यवस्था और आजीविका सृजन केलिए सहायता जैसे कार्य किए जाएंगे, इन क्रियाकलापों केलिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराया जाएगा और उनकी लगातार मॉनीटर भी की जाएगी।
नित्यानंद राय ने कहाकि गृहमंत्री अमित शाह ने नवंबर 2020 में गुजरात के धोरडो (कच्छ) में सीमान्त क्षेत्र विकासोत्सव को संबोधित करते हुए कहा थाकि सीमावर्ती गांव में रहनेवाले नागरिकों को उतनी सुविधा नहीं मिलती, जितनी शहरों में रहनेवाले नागरिकों को मिलती है, सीमान्त क्षेत्र विकासोत्सव से यहां के जनप्रतिनिधियों में राष्ट्रीय सुरक्षा का भाव जागृत होने केसाथ-साथ सुरक्षा पहलू तथा सामरिक महत्व की संवेदनशीलता को साझा किया जा रहा है। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि सीमा सुरक्षा बल ने स्थानीय जनसंख्या के महत्व तथा योगदान को बखूबी समझा है और उन्हे अपने सीमा प्रबंधन के कार्यकलापों में भागीदार बनाने का अनवरत प्रयास किया है, सीमा पर तैनात सुरक्षाकर्मी कई स्थानों पर सरकार के एकमात्र प्रतिनिधि हैं, जिनका सीमावर्ती जनसंख्या के साथ सीधा संबंध है, इसलिए सीमा सुरक्षा बल केलिए यह आवश्यक हो जाता हैकि वह स्थानीय लोगों के योगदान को पहचानते हुए उनके हितों का भी ध्यान रखे और उनके जीवन को बेहतर करने का प्रयास करे। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति केलिए मोदी सरकार ने बॉर्डर एरिया डेवलमेंट प्रोग्राम को मजबूत किया है और सीमावर्ती क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विकास संबंधी निर्णय लेने में सीमा पर तैनात सीमा रक्षक बलों को इसमें शामिल किया है।
गृह राज्यमंत्री ने कहाकि इस प्रोग्राम में सड़क निर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा, सामाजिक एवं खेलकूद सुविधा आदि का निर्माण शामिल है। उन्होंने कहाकि मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता केसाथ सीमावर्ती जनसंख्या का भावनात्मक रूपसे जुड़ना भी आवश्यक है, ताकि उनमें स्वजन होने की अनुभूति पैदा हो सके, इसके लिए भारत सरकार ने सिविक एक्शन प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिसके तहत सीमा रक्षक बलों द्वारा सीमावर्ती जनसंख्या में भावनात्मक एकता की भावना को सुदृढ़ बनाने केलिए कई कल्याणकारी एवं विकासात्मक कार्य किए जा रहे हैं। गृह राज्यमंत्री ने कहाकि इसके तहत दूर-दराज सीमावर्ती क्षेत्र के स्कूलों में बायो शौचालय और चल शौचालय का निर्माण, पाठ्यक्रम पुस्तकों एवं सामग्री, टेबल कुर्सी, खेलकूद के समान का वितरण एवं कंप्यूटर कक्षाओं का आयोजन और स्वास्थ्य जांच कैंप तथा आपात स्थिति के समय एम्बुलेंस की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। उन्होंने बतायाकि शारीरिक एवं विशेष परीक्षा की कोचिंग, विशेषभर्ती अभियान का आयोजन, स्वरोज़गार केलिए डेयरी फार्मिंग, मधुमक्खी पालन, फलों के बाग, कढ़ाई, मोमबत्ती एवं अगरबत्ती बनाने आदि का व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।