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Tuesday 5 July 2022 05:11:29 PM
हैदराबाद। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आईआईटी हैदराबाद परिसर में मानवरहित जमीनी और हवाई वाहनों को विकसित करने केलिए अपनी तरह की पहली अत्याधुनिक स्वायत्त नेविगेशन सुविधा की शुरूआत की है। राज्यमंत्री ने चालक रहित स्वचालित मोटरकार, चालकरहित स्वचालित साइकिल आदि जैसे मानवरहित जमीनी मोटर वाहन और विभिन्न आकारों तथा लंबाई-चौड़ाई के ड्रोनों सहित मानवरहित हवाई वाहनों को विकसित करने वाले स्टार्टअप्स केसाथ भी बातचीत की। उन्होंने कहाकि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 130 करोड़ रुपये के बजट से वित्तपोषित स्वायत्त नेविगेशन पर प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र एक बहुविषयक पहल है, जो भारत को भविष्य और अगली पीढ़ी की स्मार्ट मोबिलिटी तकनीक में एक वैश्विक खिलाड़ी बना देगा।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मानवरहित वाहन नेविगेशन परियोजनाओं में लगे नवीन स्टार्टअप्स के अनुभवों को ध्यान से सुना और सुझाव दियाकि आगे बने रहने और विकास केलिए उन्हें उद्योग से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने इस बात कीभी सराहना कीकि आईआईटी हैदराबाद ने स्मार्ट मोबिलिटी में एमटेक का एक नया स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू किया है, जो भारत में अपनी तरह का पहला है। उन्होंने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हैकि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भारत में इस दूरदर्शी और भविष्य की पहल को बढ़ावा देने में एक भूमिका निभाई है, जिसकी आनेवाले वर्षों में वैश्विक प्रासंगिकता होगी। राज्यमंत्री ने कहाकि टीआईएचएएन-आईआईटीएच का विजन अगली पीढ़ी की स्मार्ट मोबिलिटी प्रौद्योगिकियों का वैश्विक खिलाड़ी बनना है और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस पहल का समर्थन करने केलिए आगे आया है, जो दूसरों केलिए भी एक नई चलन स्थापित करेगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने बतायाकि दुनियाभर में नियंत्रित वातावरण में मानव रहित और इनसे जुड़े वाहनों के संचालन की जांच करने केलिए सीमित टेस्टबेड या प्रोविंग ग्राउंड मौजूद हैं, इसमें वास्तविक जीवन के यातायात संचालन में होने वाले विभिन्न परिदृश्यों का अनुकरण किया जाता है, जिसमें अक्सर आने वाली स्थितियों से लेकर चरम परिस्थिति तक शामिल किए जाते हैं। उन्होंने बतायाकि ब्रिटेन में मिलब्रुक प्रोविंग ग्राउंड, अमेरिका में एम-सिटी, सिंगापुर में सेट्रान, दक्षिण कोरिया में के-सिटी, जापान में जरी आदि उदाहरण के तौरपर शामिल हैं। उन्होंने कहाकि भारत में स्वायत्त वाहन प्रदर्शन का आकलन करने केलिए वर्तमान में ऐसी कोई टेस्टबेड सुविधा नहीं है, इसलिए इस टीआईएचएएन टेस्टबेड की आवश्यकता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रौद्योगिकी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब ऑन ऑटोनोमस नेविगेशन फाउंडेशन-आईआईटीएच ने मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने केलिए पहले ही कई पहले की हुई हैं।
प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री ने कहाकि टीआईएचएएन टेस्टबेड राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर शिक्षा, उद्योग और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं के बीच उच्चगुणवत्ता वाले अनुसंधान केलिए एक अनूठा मंच प्रदान करेगा, इस प्रकार यह भारत को स्वायत्त नेविगेशन प्रौद्योगिकियों में वैश्विक मार्गदर्शक बना देगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत का मोबिलिटी क्षेत्र दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है और टीआईएचएएन-आईआईटीएच स्वायत्त वाहनों केलिए भविष्य की प्रौद्योगिकी सृजन का स्रोत होगा। उन्होंने बतायाकि स्वायत्त नेविगेशन पर टीआईएचएएन-आईआईटीएच टेस्टबेड हमें अगली पीढ़ी की स्वायत्त नेविगेशन प्रौद्योगिकियों का सटीक परीक्षण करने और तेजी से प्रौद्योगिकी विकास और वैश्विक बाजार में प्रवेश की अनुमति देगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि हमारे देश ने तकनीकी रूपसे एक लंबा सफर तय किया है और भारत को भविष्य की प्रौद्योगिकियों केलिए एक मार्गदर्शक और गंतव्य बनाने केलिए इस दौरान कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
राज्यमंत्री ने कहाकि ऐसी ही एक पहल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से देशभर में बहुविषयक साइबर भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन के तहत 25 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों की स्थापना है। राज्यमंत्री ने कहाकि टीआईएचएएन विशेष रूपसे इस दशक के राष्ट्रीय महत्व के कई अनुप्रयोग क्षेत्रों के लिए स्वायत्त यूएवी और जमीनी/सतह वाहनों का उपयोग करके एक वास्तविक समय सीपीएस प्रणाली विकसित और तैनात कर रहा है। उन्होंने कहाकि इस टेस्टबेड में सिमुलेशन प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जिससे एल्गोरिदम और प्रोटोटाइप के गैर-विनाशकारी परीक्षण संभव होगा। उन्होंने कहाकि इस टेस्टबेड पर वास्तविक दुनिया के कई परिदृश्यों का उत्साह के साथ अनुकरण और परीक्षण किया जा सकता है, जमीनी प्रणालियों में इन परिदृश्यों के कुछ उदाहरण स्मार्ट सिटी, सिग्नल वाले चौराहे, साइकिल चालकों और पैदल चलने वालों केसाथ स्वायत्त वाहनों का रवैया, वाहनों और सड़क किनारे इकाइयों के बीच वायरलेस नेटवर्किंग आदि हैं। उन्होंने कहाकि स्वायत्त वाहन टेस्टबेड में डमी साइनबोर्ड, पैदल यात्री, ओवरपास और बाईक चालक भी होंगे, ताकि सभी तरह की वास्तविक स्थितियों में परीक्षण हो सके।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ श्रीवरी चंद्रशेखर ने बतायाकि इस परीक्षण सुविधा में एक हवाई पट्टी, सॉफ्ट लैंडिंग क्षेत्र, ड्रोन रखने केलिए जगह, एक ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन, प्रदर्शन मूल्यांकन केलिए टेलीमेट्री स्टेशन भी शामिल है। उन्होंने बतायाकि एलआईडीएआर, रडार, कैमरा जैसे पेलोड के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जा रहा है, मैनुअल और स्वायत्त संचालन केबीच नियंत्रण संक्रमण और चालक रहित वाहनों की सार्वजनिक स्वीकृति पर अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि भारतीय परिदृश्य में विभिन्न अनुप्रयोगों केलिए नियमों और संचालन नीतियों को तैयार करने में मानवरहित वाहनों केलिए मानक संचालन प्रक्रियाएं महत्वपूर्ण सहायता करेंगी। गौरतलब हैकि राष्ट्रीय मिशन केतहत आईआईटी हैदराबाद को स्वायत्त नेविगेशन और डेटा अधिग्रहण प्रणाली के तकनीकी शाखा में प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र प्रदान किया गया है। टीआईएचएएन एक बहुविषयक पहल है, जिसमें आईआईटी हैदराबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, गणित, डिजाइन, लिबरल आर्ट्स और उद्यमिता के शोधकर्ता शामिल हैं। टीआईएचएएन को एक वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान संगठन के रूपमें मान्यता प्राप्त है। कार्यक्रम में डॉ बीवीआर मोहन रेड्डी अध्यक्ष बोर्ड ऑफ गवर्नर्स आईआईटी हैदराबाद और प्रोफेसर बीएस मूर्ति निदेशक आईआईटी हैदराबाद, वरिष्ठ अधिकारी संकाय और छात्र उपस्थित थे।