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Wednesday 13 July 2022 02:17:46 PM
पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना में बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह के समापन कार्यक्रम में शताब्दी स्मृति स्तंभ का अनावरण किया, जिसे बिहार विधानसभा के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बनाया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि बिहार जितना समृद्ध होगा, भारत का लोकतंत्र उतना ही शक्तिशाली होगा और बिहार जितना मजबूत होगा, भारत उतना ही सामर्थ्यवान होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी का अमृत महोत्सव और बिहार विधानसभा के 100 साल का यह ऐतिहासिक अवसर हम सभी एवं प्रत्येक जनप्रतिनिधि केलिए आत्मनिरीक्षण और आत्मविश्लेषण का संदेश लेकर आया है, हम अपने लोकतंत्र को जितना मजबूत करेंगे, हमें अपनी आजादी और अपने अधिकारों केलिए उतनी ही ताकत मिलेगी। उन्होंने कहाकि 21वीं सदी की बदलती जरूरतों और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में नए भारत के संकल्पों के संदर्भ में देश के सांसद के रूपमें, राज्य के विधायक के रूपमें हमारी ये भी ज़िम्मेदारी हैकि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं, पक्ष-विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर देश केलिए देशहित केलिए हमारी आवाज़ एकजुट होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विधानसभा संग्रहालय की आधारशिला रखी, संग्रहालय में विभिन्न दीर्घाएं बिहार में लोकतंत्र के इतिहास और मौजूदा बुनियादी सुविधाओं के विकास को प्रदर्शित करेंगी, इसमें 250 से अधिक लोगों की क्षमता वाला एक सम्मेलन हॉल भी होगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने विधानसभा गेस्ट हाउस की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर बिहार के राज्यपाल फागू चौहान और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि बिहार का ये स्वभाव हैकि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उसे वो प्यार कई गुना करके लौटाता है। उन्होंने कहाकि उन्हें बिहार विधानसभा परिसर में आनेवाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है, मैं इस स्नेह केलिए बिहार के जन-जन को हृदय से नमन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि शताब्दी स्मृति स्तंभ बिहार की असंख्य आकांक्षाओं को प्रेरित करेगा। बिहार विधानसभा के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी, आजादी केबाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। उन्होंने याद दिलाते हुए कहाकि इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नीतीश कुमार सरकार ने बिहार पंचायतीराज जैसे अधिनियम को पास किया, जिसके तहत महिलाओं को पंचायतों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह विधानसभा इस बात का उदाहरण हैकि लोकतंत्र में सामाजिक जीवन में समान भागीदारी और समान अधिकारों का पालन कैसे किया जाता है। प्रधानमंत्री ने भारतीय लोकतंत्र की प्राचीन जड़ों के बारेमें चर्चा करते हुए कहाकि दशकों से हमें ये बताने की कोशिश होती रही हैकि भारत को लोकतंत्र विदेशी हुकूमत और विदेशी सोच के कारण मिला है, लेकिन कोई भी व्यक्ति जब ये कहता है तो वो बिहार के इतिहास और बिहार की विरासत पर पर्दा डालने की कोशिश करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब दुनिया के बड़े भू-भाग सभ्यता और संस्कृति की ओर अपना पहला कदम बढ़ा रहे थे, तब वैशाली में परिष्कृत लोकतन्त्र का संचालन हो रहा था, जब दुनिया के अन्य क्षेत्रों में जनतांत्रिक अधिकारों की समझ विकसित होनी शुरू हुई थी, तब लिच्छवी और वज्जीसंघ जैसे गणराज्य अपने शिखर पर थे। प्रधानमंत्री ने बतायाकि भारत में लोकतंत्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है, जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है। उन्होंने कहाकि भारत लोकतंत्र को समता और समानता का माध्यम मानता है, भारत सह अस्तित्व और सौहार्द के विचार में भरोसा करता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम सत् में भरोसा करते हैं, सहकार में भरोसा करते हैं, सामंजस्य में भरोसा करते हैं और समाज की संगठित शक्ति में भरोसा करते हैं। प्रधानमंत्री ने दोहराते हुए कहाकि विश्व में लोकतंत्र की जननी हमारा भारत है, भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है और बिहार की गौरवशाली विरासत, पाली में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज भी इसके जीवंत प्रमाण हैं। उन्होंने कहाकि बिहार के इस वैभव को न कोई मिटा सकता है, न छिपा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि इस भवन ने सौ वर्ष से भारतीय लोकतंत्र को मजबूत किया है, इसलिए यह हमारे लिए नमन का पात्र है, यह भवन उस चेतना से जुड़ा हुआ है, जिसने गुलामी के दौर मेंभी लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षय नहीं होने दिया। प्रधानमंत्री ने अंग्रेजों के खिलाफ बाबू द्वारा शासन में स्वतंत्रता के दावे को याद किया और कहाकि बिहार हमेशा लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा केलिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि बिहार ने आजाद भारत को डॉ राजेंद्र प्रसाद के रूपमें पहला राष्ट्रपति दिया, लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवनराम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। उन्होंने कहाकि जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ तोभी उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका। प्रधानमंत्री ने कहाकि विधानसभाओं के सदनों को जनता से संबंधित विषयों पर सकारात्मक बातचीत का केंद्र बनने दें। संसद के कार्य निष्पादन पर उन्होंने कहाकि कुछ वर्ष में संसद में सांसदों की उपस्थिति और संसद की उत्पादकता में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पिछले बजट सत्र में भी लोकसभा की उत्पादकता 129 प्रतिशत थी, राज्यसभा मेंभी 99 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की गई यानी देश लगातार नए संकल्पों पर काम कर रहा है, लोकतांत्रिक विमर्श को आगे बढ़ा रहा है। इक्कीसवीं सदी को भारत की सदी के रूपमें चिन्हित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत केलिए ये सदी कर्तव्यों की सदी है, हमें इसी सदी में अगले 25 साल में नए भारत के स्वर्णिम लक्ष्य तक पहुंचना है, इन लक्ष्यों तक हमें हमारे कर्तव्य ही लेकर जाएंगे, इसलिए ये 25 साल देश के लिए कर्तव्य पथ पर चलने के साल हैं। नरेंद्र मोदी ने विस्तार से कहाकि हमें अपने कर्तव्यों को अपने अधिकारों से अलग नहीं मानना चाहिए, हम अपने कर्तव्यों केलिए जितना परिश्रम करेंगे, हमारे अधिकारों को भी उतना ही बल मिलेगा, हमारी कर्तव्य निष्ठा ही हमारे अधिकारों की गारंटी है।