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आत्मनिर्भर नौसेना का पहला स्वावलम्बन सेमिनार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया नौसेना के 'स्प्रिंट चैलेंजेज' का अनावरण

'भारतीय नौसेना की खरीदार से निर्माता तक एक परिवर्तनकारी यात्रा'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 19 July 2022 11:31:18 AM

pm narendra modi unveils 'sprint challenges'

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन के सेमिनार 'स्वावलंबन' के दौरान भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 'स्प्रिंट चैलेंजेज' का अनावरण किया है। गौरतलब हैकि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने केलिए एवं 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' के अंतर्गत एनआईआईओ का उद्देश्य रक्षा नवाचार संगठन केसाथ मिलकर भारतीय नौसेना में कम से कम 75 नई स्वदेशी प्रौद्योगिकियों एवं उत्पादों को शामिल करना है। इस सहयोगी परियोजना का नाम स्प्रिंट यानी सपोर्टिंग पोल वॉल्टिंग इन आर एंड डी थ्रू इनोवेशन फ़ॉर डिफेंस एक्सीलेंस, एनआईआईओ एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एक्सीलरेशन सेल है। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहाकि 21वीं सदी के भारत केलिए भारतीय रक्षाबलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य बहुत महत्वपूर्ण है, आत्मनिर्भर नौसेना केलिए पहला स्वावलंबन सेमिनार का आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत केलिए नए संकल्प लेने के इस दौर में 75 स्वदेशी तकनीक बनाने का संकल्प अपने आपमें प्रेरणादायी है और उन्होंने विश्वास जतायाकि यह बहुत जल्द पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहाकि हमें स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की संख्या को लगातार बढ़ाने केलिए काम करना है और हम सबका लक्ष्य यह होना चाहिएकि जब भारत अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष मनाए, उस समय हमारी नौसेना अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो। भारत की अर्थव्यवस्था में महासागरों और तटों के महत्व का उल्लेख करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारतीय नौसेना की भूमिका लगातार बढ़ रही है, इसलिए इसकी आत्मनिर्भरता महत्वपूर्ण है। देश की गौरवशाली समुद्री परंपरा को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी से पहले भी भारत का रक्षा क्षेत्र बहुत मजबूत हुआ करता था, आजादी के समय देश में 18 आयुध कारखाने थे, जहां देश में आर्टिलरी गन समेत कई तरह के सैन्य उपकरण बनाए जाते थे, द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत रक्षा उपकरणों का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता था। उन्होंने सवाल कियाकि ईशापुर राइफल फैक्ट्री में बने हमारे हॉवित्जर, मशीनगनों को सबसे अच्छा माना जाता था, हम बहुत निर्यात करते थे, लेकिन फिर ऐसा क्या हुआकि एक समय में हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े आयातक बन गए?
नरेंद्र मोदी ने कहाकि जिन देशों ने विश्वयुद्ध की चुनौती को बड़े हथियारों के निर्यातक के रूपमें उभरने केलिए भुनाया, भारत ने भी कोरोनाकाल के दौरान विपरीत परिस्थितियों को अवसर में बदल दिया और अर्थव्यवस्था, विनिर्माण और विज्ञान में प्रगति की है। उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त कियाकि स्वतंत्रता के प्रारंभिक दशक के दौरान रक्षा उत्पादन के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया और अनुसंधान एवं विकास गंभीर रूपसे सीमित रहा, क्योंकि यह सरकारी क्षेत्र तक ही सीमित था। उन्होंने कहाकि नवाचार महत्वपूर्ण है और इसे स्वदेशी होना चाहिए, आयातित सामान नवाचार का स्रोत नहीं हो सकता। उन्होंने आयातित वस्तुओं के प्रति आकर्षण की मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली अर्थव्यवस्था केलिए और सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि देश ने 2014 केबाद इस निर्भरता को कम करने केलिए मिशन मोड में काम किया है। उन्होंने टिप्पणी कीकि सरकार ने हमारी सार्वजनिक क्षेत्र की रक्षा कंपनियों को विभिन्न क्षेत्रों में संगठित करके उन्हें नई ताकत दी है और आज हम यह सुनिश्चित कर रहे हैंकि हम अपने प्रमुख संस्थानों जैसे आईआईटी को रक्षा अनुसंधान एवं नवाचार से जोड़ सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पिछले दशक के दृष्टिकोण से सीखते हुए आज हम सभीके प्रयासों की ताकत केसाथ एक नया रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर रहे हैं, आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास निजी क्षेत्र शिक्षाविदों, एमएसएमई और स्टार्ट-अप केलिए खोल दिया गया है, इससे लंबे समय से लंबित रक्षा परियोजनाओं में एक नई गति आई है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत के आने का इंतजार जल्द ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहाकि इन आठ वर्ष में सरकार ने न केवल रक्षा बजट में वृद्धि की है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया हैकि यह बजट देश मेंही रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में उपयोगी हो, रक्षा उपकरणों की खरीद केलिए निर्धारित बजट का एक बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों से खरीद पर खर्च किया जा रहा है। उन्होंने उन 300 वस्तुओं की सूची तैयार करने केलिए रक्षाबलों की प्रशंसा की, जिनका आयात नहीं किया जाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि 4-5 वर्ष में रक्षा आयात में लगभग 21 प्रतिशत की कमी आई है, हम सबसे बड़े रक्षा आयातक से बड़े निर्यातक की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने बतायाकि पिछले साल 13,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया गया था, जिसमें से 70 प्रतिशत से अधिक निजी क्षेत्र से था।
प्रधानमंत्री ने कहाकि अब राष्ट्रीय सुरक्षा केलिए खतरे भी व्यापक हो गए हैं, युद्ध के तरीके भी बदल रहे हैं, पहले हम केवल जमीन, समुद्र और आकाश तक अपनी रक्षा की कल्पना करते थे, अब यह चक्र अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा है, साइबर स्पेस की ओर बढ़ रहा है, आर्थिक, सामाजिक अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा है, ऐसेमें हमें भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए आगे बढ़ना होगा और उसी के मुताबिक खुद को बदलना होगा। उन्होंने कहाकि इस संबंध में आत्मनिर्भरता से देश को काफी मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने नए खतरों के प्रति आगाह किया और कहाकि हमें भारत के आत्मविश्वास, अपनी आत्मनिर्भरता को चुनौती देनेवाली ताकतों के खिलाफ भी अपनी जंग तेज करनी होगी, जैसे-जैसे भारत वैश्विक मंच पर खुद को स्थापित कर रहा है, गलत सूचना, दुष्प्रचार और झूंठे प्रचार आदि के माध्यम से लगातार हमले हो रहे हैं, हमें विश्वास रखते हुए देश या विदेश में भारत के हितों को नुकसान पहुंचाने वाली ताकतों को अपने हर प्रयास में विफल करना होगा। उन्होंने कहाकि राष्ट्र की रक्षा अब सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बहुत व्यापक है, इसलिए हर नागरिक को इसके बारेमें जागरुक करना भी उतना ही जरूरी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जैसाकि हम एक आत्मनिर्भर भारत केलिए संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण केसाथ आगे बढ़ रहे हैं, इसी तरह संपूर्ण राष्ट्र दृष्टिकोण राष्ट्र की रक्षा केलिए समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि भारत के विभिन्न लोगों की सामूहिक राष्ट्रीय चेतना सुरक्षा और समृद्धि का मजबूत आधार है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नवाचार और स्वदेशीकरण को महत्वपूर्ण घटकों के रूपमें परिभाषित किया, जो सशस्त्र बलों, उद्योग, अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठानों तथा शिक्षाविदों के बीच एक मजबूत और दीर्घकालिक सहयोग केलिए केंद्रीय भूमिका में हैं। उन्होंने कहाकि रक्षा और राष्ट्र की संरक्षा, सुरक्षा और समग्र विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए इस सहयोग की आवश्यकता है। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए इसकी तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से की। यह कहते हुए कि 'न्यू इंडिया' एक नए संकल्प के साथ आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए बड़ी प्रगति कर रहा है, उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि हम जल्द ही आयात पर निर्भरता को समाप्त करेंगे और नई ऊंचाइयों को छुएंगे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि एक ऐसे समय में जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, स्वतंत्रता की परिभाषा में आत्मनिर्भरता का एक नया आयाम जोड़ा गया है। उन्होंने कहाकि हमने न केवल खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता हासिल की है, बल्कि इसके प्रमुख निर्यातक देशों में से एक हैं। उन्होंने कहाकि भारत में बनने वाले टीके दुनियाभर में लोगों की जान बचा रहे हैं, हमारा अंतरिक्ष यान दूसरे देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जा रहा है, भारत न केवल कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर है, बल्कि अन्य देशों की जरूरतों को भी पूरा कर रहा है। राजनाथ सिंह ने कहाकि आत्मनिर्भरता का अर्थ न केवल आर्थिक बाधाओं को दूर करना है, बल्कि कूटनीतिक बाधाओं को दूर करके देश केलिए निर्णयात्मक स्वायत्तता प्राप्त करना भी है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में रक्षा क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता के प्रयासों ने भारत की छवि बदल दी है और हम जल्द ही वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन जाएंगे। रक्षामंत्री ने सरफेस, सब-सरफेस एवं एयर डोमेन में उल्लेखनीय प्रगति करके इस प्रयास में अग्रणी भूमिका निभाने केलिए एक 'इन-हाउस-शिप-डिज़ाइन-संगठन' की स्थापना करने और खुद को 'खरीदने वाली नौसेना' से 'निर्माण करने वाली नौसेना' में बदलने केलिए भारतीय नौसेना की सराहना की।
राजनाथ सिंह ने युद्धपोतों में लगातार बढ़ती स्वदेशी सामग्री को आत्मनिर्भर भारत केप्रति भारतीय नौसेना की अटूट प्रतिबद्धता का एक वसीयतनामा बताते हुए कहाकि यह राष्ट्र केलिए बहुत गर्व की बात हैकि शिपयार्ड और उद्योग मिलकर सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं का विकास कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री को जानकारी दीकि आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप भारतीय नौसेना ने पिछले वित्तीय वर्ष में अपने पूंजीगत बजट का 64 प्रतिशत से अधिक घरेलू खरीद में खर्च किया है और वर्तमान वित्तीय वर्ष में इसके 70 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहाकि निजी क्षेत्र, एमएसएमई और स्टार्ट-अप की सक्रिय भागीदारी के साथ रक्षाक्षेत्र में नवाचार को आईडेक्स पहल और 'प्रौद्योगिकी विकास कोष' केतहत कई परियोजनाओं के माध्यम से बढ़ावा दिया जा रहा है। रक्षामंत्री ने इस बात पर प्रकाश डालाकि इन प्रयासों के कारण भारतीय नौसेना ने न केवल भारत के समुद्री हितों की रक्षा करने केलिए आवश्यक क्षमताएं विकसित की हैं, बल्कि अपने मित्र देशों के हितों की रक्षा भी प्रधानमंत्री के 'क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास' (सागर) के दृष्टिकोण के अनुरूप की है।
रक्षामंत्री का मानना थाकि आनेवाले समय में हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत में भारतीय नौसेना की भूमिका और बढ़ने वाली है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि भारतीय नौसेना हर स्थिति से निपटने केलिए तैयार है और जरूरत पड़ने पर हर परिस्थिति में अपनी काबिलियत साबित करेगी। राजनाथ सिंह ने सेमिनार में उपस्थित छात्रों और शोधकर्ताओं का आह्वान कियाकि वे आगे आएं और अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से सशस्त्र बलों और राष्ट्र को मजबूत, समृद्ध और 'आत्मनिर्भर' बनाएं। उन्होंने न केवल रक्षाक्षेत्र, बल्कि सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और सतत विकास सुनिश्चित करने केलिए सरकार के संकल्प को दोहराया। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार, नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे और सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स के अध्यक्ष एसपी शुक्ला भी इस अवसर पर उपस्थित थे। दो दिवसीय सेमिनार का उद्देश्य रक्षाक्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में भारतीय उद्योग और शिक्षाविदों को साथ जोड़ना है। यहां उद्योग, शिक्षा जगत, सेवाओं और सरकार को एक मंच पर आकर चिंतन और रक्षा क्षेत्र में अपनी सिफारिशों केसाथ आगे आने का अवसर मिला। नवाचार, स्वदेशीकरण, आयुध और विमानन को समर्पित सत्र हुए और सेमिनार का दूसरा दिन सरकार के सागर के दृष्टिकोण के अनुरूप हिंद महासागर क्षेत्र में देश के कदमों का गवाह बना।

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