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Friday 9 September 2022 04:59:41 PM
लंदन। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गुरुवार को 96 साल की उम्र में निधन हो गया। महारानी से संबंधित एक कोड 'लंदन ब्रिज इज डाउन' के प्रसारित होने पर इंग्लैंड को पता चला कि महारानी क्वीन एलिजाबेथ-2 नहीं रहीं। इन दिनों सुनने में आ रहा थाकि महारानी का स्वास्थ्य गिर रहा है, जिससे उन्हें आराम की सलाह दी गई थी, मगर गुरुवार को उनका निधन हो गया।महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के समय स्कॉटिश इस्टेट में उनका पूरा परिवार मौजूद था। महारानी एलिजाबेथ-2 के निधन के बाद प्रिंस चार्ल्स ब्रिटेन के सम्राट बन गए हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने महारानी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। एलिजाबेथ की नवंबर 1947 में प्रिंस फ़िलिप की शाही शादी हुई थी। महारानी एलिजाबेथ-2 ने इंग्लैंड पर सत्तर साल राज किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक प्रकट करते हुए कहा हैकि 'महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय के एक दिग्गज के रूपमें याद किया जाएगा, उन्होंने अपने राष्ट्र और लोगों को प्रेरक नेतृत्व प्रदान किया, उन्होंने सार्वजनिक जीवन में गरिमा और शालीनता का परिचय दिया, उनके निधन से मैं आहत हूं और इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और ब्रिटेन के लोगों के साथ हैं।' प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि 2015 और 2018 में ब्रिटेन की यात्राओं के दौरान उनकी महारानी एलिजाबेथ द्वितीय से यादगार भेंट हुईं, मैं उनके उत्साहपूर्ण भाव और सहृदयता को कभी नहीं भूलूंगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक बैठक के दौरान उन्होंने मुझे वह रूमाल दिखाया जो महात्मा गांधी ने उन्हें उनके विवाह में उपहार में दिया था, मैं उस भावपूर्ण क्षण को हमेशा संजोकर रखूंगा।
ग्रेट ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के यूनाइटेड किंगडम की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 8 सितंबर 2022 को निधन हुआ। प्रतिष्ठित महारानी के सम्मान में भारत सरकार ने 11 सितंबर को देशभर में एक दिन का राजकीय शोक मनाने का निर्णय किया है। इसदिन देशभर में उनसभी भवनों पर जहां नियमित रूपसे राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और उसदिन आधिकारिक मनोरंजन की गतिविधियां आयोजित नहीं होंगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा हैकि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन से दुनिया ने एक महान शख्सियत खो दी है, एक युग बीत चुका है, जब उसने अपने देश और लोगों को 7 दशकों से अधिक समय तक चलाया। उन्होंने कहाकि मैं यूके के लोगों के दुख को साझा करती हूं और परिवार के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करती हूं। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर इंग्लैंड और मित्र देशों में शोक व्याप्त है।
प्रिंस चार्ल्स तृतीय महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय और एडिनबर्ग के ड्यूक राजकुमार फिलिप के ज्येष्ठ पुत्र हैं। प्रिंस चार्ल्स 14 नवम्बर 1948 में बकिंघम पैलेस में पैदा हुए। वे एडिनबर्ग की डचेस राजकुमारी एलिजाबेथ और एडिनबर्ग के ड्यूक फिलिप की पहली संतान हैं और किंग जॉर्ज VI और महारानी एलिजाबेथ के पहले पोते हैं। वे 1952 से ही राष्ट्रमंडल शक्तियों की गद्दी के उत्तराधिकारी हैं। शाही वंश की प्रथा के अनुसार कैथरीन पीबल्स नामक एक महिला की नियुक्ति उनकी अध्यापिका के रूपमें की गई और 5 से 8 साल के बीच उनकी शिक्षा इन्हीं की देख-रेख में हुई। बकिंघम पैलेस ने 1955 में यह घोषणा कीकि प्रिंस चार्ल्स निजी शिक्षक के बजाए स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त करेंगे और इस प्रक्रिया से शिक्षा प्राप्त करने वाले चार्ल्स ऐसे पहले उत्तराधिकारी बने।
कैम्ब्रिज ट्रिनिटी कॉलेज से कला में स्नातक प्रिंस चार्ल्स ने रॉयल नेवी मे 1971-1976 तक अपनी सेवाएं दी हैं। वर्ष 1981 में उन्होंने लेडी डायना स्पेंसर के साथ संसारभर के टेलीविजन के दर्शकों के सामने ब्याह किया था। उनकी दो संताने हैं। वर्ष 1982 में जन्में वेल्स के युवराज विलियम और वर्ष 1984 में जन्में वेल्स के युवराज हेनरी। वर्ष 1992 में प्रिंस चार्ल्स और डायना अलग हो गए। इनके खराब संबंधों को मीडिया में बहुत चर्चा मिली, अंतत: डायना के आरोप लगाने के बादकि प्रिंस चार्ल्स का केमिला पार्कर बोल्स के साथ प्रेम सम्बंध चल रहा है, उन्होंने 1996 में प्रिंस चार्ल्स से तलाक ले लिया। पैरिस में 31 अगस्त 1997 एक कार-दुर्घटना में डायना की मौत हो गई। एक लंबे समय तक एक दूसरे के साथ रहने के बाद राजकुमार ने उन्हीं केमिला पार्कर बोल्स के साथ शादी कर ली, जोकि इस समय डचेस ऑफ कॉर्नवॉल की पदवी ग्रहण करती हैं।
प्रिंस चार्ल्स को धर्मार्थ कार्यों और द प्रिंसेस ट्रस्ट, द प्रिंसेस रीजेनरेशन ट्रस्ट और प्रिंसेस फाउंडेशनर द बिल्ट एनवायरनमेंट के प्रायोजक के लिए जाना जाता है। प्रिंस चार्ल्स को वास्तुकला और पुरानी इमारतों के संरक्षण संबंधित विषयों का हितरक्षक माना जाता है और इस विषय पर उन्होंने किताब भी लिखी है, जिसका नाम ए विजन ऑफ ब्रिटेन (1989) है। उन्होंने हर्बल और अन्य वैकल्पिक चिकित्सा उपचार के विषय में विवादास्पद विचार भी व्यक्त किए हैं। उनकी एक और प्रमुख किताब एचआरएच द प्रिंस ऑफ वेल्स है। स्कॉटलैंड में उन्हें द ड्यूक ऑफ रोथेसे और कॉर्नवेल में द ड्यूक ऑफ कॉर्नवेल के रूपमें जाना जाता है।