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Monday 12 September 2022 03:11:47 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में 'समांजस्य से शक्ति' विषय पर पहली भारतीय सेना रसद संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा हैकि नरेंद्र मोदी सरकार भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने एवं देशको और अधिक ऊंचाइयों पर लेजाने केलिए एक मजबूत, सुरक्षित, तेज और आत्मनिर्भर रसद प्रणाली बनाने केलिए प्रतिबद्ध है। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और यह तेजीसे 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि भविष्य में, चाहे युद्ध के मैदान में या नागरिक क्षेत्रमें रसद निर्वाह की महत्वपूर्णता बढ़ने वाली है, ऐसे में 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से लॉजिस्टिक्स की व्यवस्था में सुधार समय की मांग है, लॉजिस्टिक्स यानी सैन्य-तंत्र के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता एक महत्वपूर्ण घटक है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए हमें एक आत्मनिर्भर रसद आपूर्ति प्रणाली की आवश्यकता है। उन्होंने 2047 तक भारत को अमृतकाल में महाशक्ति बनाने केलिए सरकार की निर्धारित रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की। रक्षामंत्री ने बीते कुछ वर्षमें तीनों सैन्य सेवाओं केबीच संयुक्तता को रक्षा मंत्रालय में किएगए प्रमुख नीतिगत परिवर्तनों मेसे एक करार दिया, जिससे कई क्षेत्रों को लाभ हुआ है, विशेष रूपसे रसद। उन्होंने कहाकि एक मजबूत रसद प्रणाली केलिए नींव रखी गई है, जो सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों केलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता हैकि सही गुणवत्ता और मात्रा केसाथ सही वस्तुएं सेना को सही समय और सही जगह पर उपलब्ध हों। उन्होंने कहाकि सैन्य रसद एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है, जो युद्ध के परिणाम को निर्धारित करता है।
राजनाथ सिंह ने प्रत्यक्ष सकारात्मक परिणामों पर कहाकि सरकार के प्रयासों के कारण काउंटर विद्रोहियों केसाथ-साथ आपदा राहत, मानवीय सहायता, गैर-लड़ाकू निकासी, मुकाबला, खोज और बचाव से निपटने केलिए प्रतिक्रिया समय में काफी कमी आई है। उन्होंने कहाकि यह राष्ट्रनिर्माण का एक महत्वपूर्ण पहलू है और इस संबंध में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार तीनों सेवाओं की जरूरतों के अनुसार देश में सामान्य रसद नोड्स स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, इन नोड्स के माध्यम से एक सेवा के संसाधन बाकी केलिए निर्बाध रूपसे उपलब्ध होंगे। राजनाथ सिंह ने सूचना और संचार प्रौद्योगिकी वास्तुकला पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की, इसे कुशल रसद का एक प्रमुख हिस्सा बताया। उन्होंने कहाकि सैन्य सेवाओं ने अपनी आईसीटी वास्तुकला विकसित की है, हमारा प्रयास हैकि तीनों केबीच अंतर-संचालन हो, ताकि वे रक्षा संसाधनों का सर्वोत्तम तरीके से उपयोग कर सकें।
रक्षामंत्री ने लॉजिस्टिक्स सिस्टम को और मजबूत करने एवं भविष्य की चुनौतियों से निपटने केलिए तैयार रहने केलिए असैन्य-सैन्य संलयन का आह्वान किया। उन्होंने इस बातपर जोर दियाकि भविष्य के युद्धों में रसद केलिए न केवल तीन सेवाओं केबीच, बल्कि औद्योगिक बैकअप, अनुसंधान और विकास, सामग्री सहायता, उद्योग और मानवशक्ति के रूपमें विभिन्न निकायों केबीच संयुक्तता की आवश्यकता होगी। उन्होंने नागरिक और सेना केबीच प्रतिबद्धता एवं आपसी विश्वास केलिए मजबूत नीतियां तैयार करने का आह्वान किया, जो लोगों को भविष्य के खतरों से बचाने के सरकार के दृष्टिकोण को बल प्रदान करेगा। उन्होंने विभिन्न देशों की नीतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने का सुझाव दिया। उन्होंने कहाकि उच्चतम स्तर का नागरिक-सैन्य समन्वय तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब सभी हितधारक एक मजबूत ढांचे केतहत एकसाथ आते हैं। रक्षामंत्री ने देशमें रसद को एकीकृत करने और इसे आत्मनिर्भर बनाने केलिए सरकार की कई नीतियों पर भी प्रकाश डाला, इन नीतियों में राष्ट्रीय रसद नीति, पीएम गति शक्ति और बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करने के प्रयास शामिल हैं।
थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने भी संगोष्ठी को संबोधित किया और भारत को रक्षा रसद की वैश्विक महाशक्ति बनाने केलिए राष्ट्र के प्रयासों में तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि सशस्त्र बलों को मजबूत करने के ये प्रयास न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि मित्र देशों कोभी मदद करेंगे। इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरिकुमार और रक्षा मंत्रालय, रेलवे, नागरिक उड्डयन, वाणिज्य और उद्योग, अर्धसैनिक बलों के अधिकारी और शिक्षा एवं उद्योग के प्रतिनिधि उपस्थित थे। संगोष्ठी तीन सत्रों में हुई। प्रख्यात वक्ताओं और विषयवस्तु विशेषज्ञों के दृष्टिकोण 'संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण रसद केलिए' पर चर्चा की गई। रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों और व्यापार एवं शिक्षा जगत के जाने-माने सलाहकारों ने 'मिलिट्री लॉजिस्टिक्स में बदलाव केलिए एक ड्राइवर के रूपमें उद्योग' विषय पर चर्चा की। भारतीय सेना के युवा उद्यमियों, दिग्गजों और अधिकारियों ने 'प्रौद्योगिकी के माध्यम से सैन्य रसद की पुन: कल्पना' पर विचार साझा किए।