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Friday 16 September 2022 01:10:48 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में नई दिल्ली में भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों केबीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। इन समझौतों से असम में आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या समाप्त हो जाएगी। समझौते पर हस्ताक्षर करनेवाले आठ समूहों में बीसीएफ, एसीएमए, एएनएलए, एपीए, एसटीएफ, एएनएलए (एफजी), बीसीएफ (बीटी) और एसीएमए (एफजी) शामिल हैं। केंद्रीय गृहमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शांतिपूर्ण और समृद्ध उत्तरपूर्व के विजन के अनुसार यह समझौता 2025 तक उत्तर-पूर्व को उग्रवाद मुक्त बनाने की दिशामें मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहाकि नरेंद्रभाई मोदी के प्रधानमंत्री बनने केबाद उत्तरपूर्व को शांत और विकसित बनाने की दिशामें कई प्रयास किए गए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख पूर्वोत्तर में शांति स्थापित करना है। अमित शाह ने कहाकि असम के आदिवासी समूहों के 1182 कैडर हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि गृह मंत्रालय ने उत्तरपूर्व को शांत और समृद्ध बनाने केलिए पूर्वोत्तर की अद्भुत संस्कृति का संवर्धन और विकास करने, सभी विवादों का निपटारा करके चिरकालीन शांति स्थापित करने एवं पूर्वोत्तर में विकास को गति देकर देशके अन्य हिस्सों के समान विकसित बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहाकि इसमें संवादहीनता और हितों के टकराव के कारण अलग-अलग गुटों ने हथियार उठा लिए थे, जिसके कारण इन गुटों और राज्य सरकारों तथा केंद्रीय सुरक्षा बलों केबीच मुठभेड़ों में हज़ारों लोगों की जानें गईं। गृहमंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने तय किया हैकि 2024 से पहले पूर्वोत्तर के राज्यों केबीच सीमा विवादों और सशस्त्र गुटों से संबंधित सभी विवादों को हल कर लिया जाएगा। गृहमंत्री ने कहाकि गत तीन वर्ष में भारत सरकार, असम सरकार और इस क्षेत्रकी अन्य सरकारों ने आपसमें और विभिन्न उग्रवादी गुटों केसाथ अनेक समझौते किए हैं। उन्होंने कहाकि 2019 में एनएलएफटी, 2020 में ब्रू-रियांगो और बोडो समझौता, 2021 में कार्बी आंगलोंग समझौता और 2022 में असम-मेघालय अंतर्राज्यीय सीमा समझौते के तहत लगभग 65 प्रतिशत सीमा विवाद को हल कर दिया गया है।
अमित शाह ने कहाकि प्रधानमंत्री ने देशको अष्टलक्ष्मी का एक विज़न दिया है, जिसके अंतर्गत पूर्वोत्तर के आठ राज्यों को भारत के विकासमें अष्टलक्ष्मी बनकर योगदान देने केलिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारत सरकार उत्तरपूर्व को उग्रवाद मुक्त करने केलिए दृढ़ संकल्पित है, आज़ादी केबाद लम्बे समय तक उपेक्षा और राजनीति का शिकार रहे उत्तरपूर्वी राज्यों में विकास की गति थम गई थी, हिंसक अलगाववाद अपने पैर पसारे हुए था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्रमें एक्ट ईस्ट पालिसी से विकास और शांति की नई गाथा लिखी है। उन्होंने कहाकि ऐसे वक्त चुनौती न सिर्फ इन राज्यों में शांति को पुनः स्थापित करना थी, बल्कि उन्हें विकास की मुख्यधारा में वापस लाकर पूर्वोत्तर को देशके विकास की मुख्यधारा का सहभागी बनाना था। अमित शाह ने कहाकि भारत और असम सरकार, असम के आदिवासी समूहों केसाथ हुए समझौते की शर्तों के पूरी तरह पालन को सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार का ये रिकॉर्ड हैकि उसने अबतक किएगए सभी समझौतों के 93 प्रतिशत काम पूरे किए हैं, इसके परिणामस्वरूप असम सहित पूरे पूर्वोत्तर में शांति बहाल हुई है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि इन समझौतों में आदिवासी समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने की ज़िम्मेदारी भारत और असम सरकार की है। अमित शाह ने कहाकि समझौते में आदिवासी समूहों की सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान को सुरक्षित रखने केसाथ-साथ उसे और अधिक मज़बूत बनाने का भी प्रावधान किया गया है, समझौते में चाय बागानों का त्वरित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आदिवासी कल्याण और विकास परिषद की स्थापना करने का प्रावधान किया गया है। गृहमंत्री ने कहाकि समझौते में सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन और चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के उपाय करने का भी प्रावधान है। आदिवासी आबादी वाले गांवों एवं क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास केलिए पांच साल की अवधि में 1000 करोड़ रुपये (भारत सरकार और असम सरकार प्रत्येक द्वारा 500 करोड़ रुपये) का विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा। गृहमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर में शांति और समृद्धि केलिए अनेक कदमों के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए 2014 से अबतक लगभग 8,000 उग्रवादी हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।
गृहमंत्री ने कहाकि पिछले दो दशक में सबसे कम उग्रवाद की घटनाएं वर्ष 2020 में दर्ज हुई हैं, 2014 की तुलना में 2021 में उग्रवाद की घटनाओं में 74 प्रतिशत की कमी आई है, इसी अवधि में सुरक्षाबलों की जानहानि में 60 प्रतिशत और आम नागरिकों की मृत्यु की संख्या में 89 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। अमित शाह ने कहाकि भारत सरकार और गृह मंत्रालय समूचे पूर्वोत्तर और उसके सबसे बड़े राज्य असम को ड्रग्स, उग्रवाद और विवाद मुक्त बनाने केलिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इस दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्यमंत्री रामेश्वर तेली, लोकसभा सांसद पल्लब लोचन दास, राज्यसभा सांसद कामाख्या प्रसाद तासा, असम सरकार में मंत्री संजय किशन, असम के आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधि और केंद्रीय गृह मंत्रालय एवं असम सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।