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Wednesday 21 September 2022 03:59:02 PM
जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि शालीनता और अनुशासन ही लोकतंत्र की आत्मा है और उन्होंने चुने हुए जनप्रतिनिधियों से आग्रह कियाकि वे अपने कार्यों और व्यवहार से उच्च मानदंड स्थापित करें, उनका आचरण सदैव अनुकरणीय होना चाहिए। उन्होंने कहाकि अनुशासन की कमी संस्थाओं को जर्जर कर देती है, यदि संसद और विधानमंडलों में अनुशासन नहीं रहेगा तो परिणाम कभी देशहित और जनहित में नहीं होंगे। उपराष्ट्रपति ने ये विचार राजस्थान विधानसभा के सदस्यों द्वारा उनके अभिनंदन पर व्यक्त किए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा तथा विधायी निकायों की कार्यक्षमता लोकतंत्र की समृद्धि केलिए महत्वपूर्ण है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि इन मामलों में विफलता अन्य सार्वजनिक संस्थाओं कोभी प्रभावित करेगी। जगदीप धनखड़ ने कहाकि एक आम धारणा बन रही हैकि संसद और राज्य विधानमंडलों में बहस की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है, सांसदों और विधायकों को हमारी संविधान सभा की गुणवत्तापूर्ण बहसों को ध्यान में रखना चाहिए, यद्यपि पारंपरिक रूपसे हमारी संसद और विधानसभाएं शांतिपूर्वक, शालीनता से कार्य करती रही हैं, हालांकि वर्तमान स्थिति को उन्होंने चिंताजनक बताया। उन्होंने राजनीतिक दलों से साथ आने तथा सहमति की भावना से अपने मतभेदों को दूर करने का आग्रह किया। उपराष्ट्रपति ने गरिमामय विधायी निकायों सेही प्रशासन को मार्गदर्शन मिलने के तथ्य को रेखांकित करते हुए संविधान सभा की गुणवत्तापूर्ण बहसों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि राज्य के तीनों अंगों में से कोईभी एक अंग स्वयं के सर्वोच्च होने का दावा नहीं कर सकता है, क्योंकि सिर्फ संविधान ही सर्वोच्च है। उपराष्ट्रपति ने राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और सभी सदस्यों को उनके स्नेह एवं आत्मीयभाव केलिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद्र कटारिया, राजस्थान सरकार में संसदीय कार्यमंत्री शांतिकुमार धारीवाल और राजस्थान विधानसभा सदस्य उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति उनके सम्मान में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर आयोजित रात्रिभोज में भी शामिल हुए।