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Wednesday 21 September 2022 05:50:01 PM
नई दिल्ली। देशभर में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही लड़ाई में सुरक्षाबलों को निर्णायक विजय प्राप्त हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति के परिणामस्वरूप पहलीबार छत्तीसगढ़ एवं झारखंड के बॉर्डर के बूढा पहाड़ और बिहार के चक्रबंधा एवं भीमबांध के अति दुर्गम क्षेत्रों में प्रवेश करके माओवादियों को उनके गढ़ से सफलतापूर्वक निकालकर वहां सुरक्षाबलों ने अपने स्थायी कैंप स्थापित किए हैं। यह सभी क्षेत्र शीर्ष माओवादियों के गढ़ थे और इन स्थानों पर सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद, विदेशी ग्रेनेड, एरोबम और आईइडी बरामद किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की 'वामपंथी उग्रवाद मुक्त भारत' की परिकल्पना को साकार करने केतहत गृह मंत्रालय देशभर में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के अंतिम चरण में पहुंच गया है।
गौरतलब हैकि वर्ष 2019 से वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध एक विशेष रणनीति अपनाई जा रही है। केंद्रीय तथा राज्यों के सुरक्षाबलों तथा सम्बंधित एजेंसियों के समन्वित प्रयासों और चलाए गए अभियानों से वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई में अप्रत्याशित सफलता मिली है। इस निर्णायक सफलता पर गृहमंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ व राज्य सुरक्षाबलों को बधाई दी और कहाकि गृह मंत्रालय वामपंथी उग्रवाद और आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखेगा साथही यह लड़ाई और तेज़ होगी। वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवादियों के विरुद्ध लड़ाई में सुरक्षाबलों को ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल, ऑपरेशन चक्रबंधा में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई है। छत्तीसगढ़ में 7 माओवादी मारे गए और 436 की गिरफ़्तारी/ आत्मसमर्पण हुआ है, झारखंड में 4 माओवादी मारे गए और 120 की गिरफ्तारी/ आत्मसमर्पण हुआ, बिहार में 36 माओवादिओं की गिरफ़्तारी/ आत्मसमर्पण हुआ, इसी प्रकार मध्यप्रदेश में 3 माओवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। यह सफलता और महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है, क्योंकि इनमे से मारे गए कई माओवादियों के सिरपर लाखों-करोड़ों के ईनाम थे जैसे-मिथलेश महतो पर 1 करोड़ रुपये का इनाम था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन अभियानों में तेजी लानेके प्रयासों के परिणामस्वरूप बिहार से सुरक्षा वैक्यूम को समाप्त करने में सफलता मिली है। झारखंड तथा ओडिशा में भी सुरक्षा वैक्यूम को समाप्त करने में बहुत हदतक सफल हुए हैं तथा इन राज्यों में वामपंथी उग्रवादियों के गढ़ों को ध्वस्त करते हुए सुरक्षा वैक्यूम को पूर्ण रूपसे भर लिया जाएगा, इसी रणनीति को अपनाते हुए अन्य राज्यों में सुरक्षा वैक्यूम भरने की कार्य योजना है। हिंसा की घटनाओं और इसके भौगोलिक प्रसार दोनों में लगातार गिरावट आई है। अभियान का अंतिम चरण में पहुंचना इस बात से साबित होता हैकि 2018 के मुकाबले 2022 में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा की घटनाओं में 39 प्रतिशत की कमी आई है, सुरक्षाबलों के बलिदानों की संख्या में 26 प्रतिशत की कमी आई है, नागरिक हताहतों की संख्या में 44 प्रतिशत की कमी आई है, हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों की संख्या में 24 प्रतिशत की कमी आई है और इन जिलों की संख्या सिर्फ 39 रह गई है।
गृह मंत्रालय ने 'वामपंथी उग्रवाद मुक्त भारत' पर आंकड़े भी जारी किए हैं। गृह मंत्रालय का कहना हैकि अगर हम वर्ष 2014 से पहले की तुलना करें तो वामपंथी उग्रवाद की हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2009 में हिंसा की घटनाएं 2258 के उच्चतम स्तर से घटकर वर्ष 2021 में 509 रह गईं हैं। हिंसा में होने वाली मृत्यु दर में भी 85 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2010 में ये 1005 के उच्चतम स्तर पर थी, जिससे वर्ष 2021 में मृतकों की संख्या घटकर 147 रह गई और इनके प्रभाव क्षेत्र में ख़ासी कमी आई है। इसके साथही माओवादियों के प्रभाव क्षेत्रमें भी काफी कमी आई है और वर्ष 2010 में 96 जिलों से सिकुड़कर 2022 में माओवादियों का प्रभाव केवल 39 जिलों तक सीमित रह गया।