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'लोकतंत्र के फलने-फूलने में मानवाधिकार सर्वोपरि'

उपराष्ट्रपति का मानवाधिकार आयोग के 30वें स्थापना दिवस पर संबोधन

'हर नागरिक एक-दूसरे के मानवाधिकारों की रक्षा करे व प्रोत्साहित करे'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 13 October 2022 01:32:45 PM

vice president at the foundation day celebrations of national human rights commission

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि लोकतंत्र के फलने-फूलने केलिए मानवाधिकार सर्वोत्कृष्ट हैं तथा उन्होंने प्रत्येक नागरिक से दूसरों के मानवाधिकारों के संरक्षण और प्रोत्साहन केलिए काम करने का आग्रह किया, क्योंकि यह उनके अपने मानवाधिकारों के संरक्षण की सबसे सुरक्षित गारंटी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 30वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के मानवाधिकारों की सुरक्षा के काम केलिए एनएचआरसी की सराहना की। उन्होंने मीडिया से आग्रह कियाकि वे आयोग की सलाह को सार्वजनिक रूपसे प्रमुखता से उजागर करे, क्योंकि इससे देशमें मानवाधिकारों को बढ़ावा देने में बहुत मदद मिलेगी।
मानवाधिकारों की सुरक्षा केलिए समावेशी विकास को महत्वपूर्ण बताते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने विभिन्न शासन व्यवस्थागत सुधारों और सकारात्मक पहलों विशेष रूपसे हाल के वर्षों में स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्रोंमें सराहना की, जिन्होंने मानवाधिकारों को और मजबूती दी है। यह देखते हुएकि तटस्थता उत्पीड़क की मदद करती है, पीड़ित की कभी नहीं उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दियाकि मानवाधिकारों के हनन के मामले में हमें पक्ष लेना चाहिए, मौन हमेशा अत्याचारी को प्रोत्साहित करता है, उत्पीड़ित को नहीं, ऐसेमें सक्रिय होनेके अलावा कोई विकल्प नहीं है और हमें हस्तक्षेप करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भ्रष्टाचार की स्थिति में मानवाधिकारों से समझौता किया जाता है, गरीब और कमजोर लोग इस खतरे के आसान शिकार हैं। उन्होंने हाल के वर्षमें भ्रष्टाचार पर लगातार हो रहे हमलों पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षामें एक अच्छा संकेत बताया।
उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करके सभी जीवों केसाथ सद्भाव से रहने और उनके अधिकारों का सम्मान करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहाकि हमें अपने संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) केतहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए, जो प्रत्येक नागरिक को प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा जीवित प्राणियों केलिए दया दर्शाने का आदेश देता है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और पदाधिकारी, राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, विभिन्न देशों के राजनयिक, संयुक्तराष्ट्र एजेंसियों के प्रतिनिधि और गणमान्य नागरिक शामिल हुए।

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