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Saturday 15 October 2022 11:51:35 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा हैकि डाक विभाग ने अपनी रचनात्मक गतिविधियों केसाथ डाक टिकटों के संग्रह को रुचि का क्षेत्र बना दिया है, इसके माध्यम से डाक विभाग ने वर्तमान को अतीत से जोड़ने का बेहतर प्रयास किया है, डाक टिकटों का संग्रह अनेक रचनात्मक गतिविधियों से हमें जोड़ता है। मुख्यमंत्री ललित कला अकादमी में चीफ पोस्टमास्टर जनरल उत्तर प्रदेश परिमंडल की 12वीं उत्तर प्रदेश डाक टिकट प्रदर्शनी ‘यूफ़िलेक्स-2022’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कररहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘श्रीराम वन गमन पथ-विशेष आवरण व विरूपण’ का विमोचन किया। उन्होंने उत्तर प्रदेश में श्रीराम वन गमन पथ के 14 स्थानों के मानचित्र का विमोचन किया। उन्होंने ‘डिफनेटिव स्टाम्प-थीमेटिक पैकेट’ का भी विमोचन किया। उत्तर प्रदेश डाक टिकट प्रदर्शनी में 17 अक्टूबर को भगवान बुद्ध से जुड़े 6 प्रमुख स्थलों पर विशेष परिशिष्ट जारी किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया है, उसमें 300 से अधिक फ्रेम्स लगे हुए हैं। प्रदर्शनी में आजादी के बादसे अब तक जारी हुए डाक टिकट तथा स्पेशल कवर हैं। मुख्यमंत्री ने भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान श्रीराम वन गमन पथ पर आधारित विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहाकि यह एक संग्रह के साथही ज्ञानवर्धन व मनोरंजन का माध्यम भी है। मुख्यमंत्री ने उल्लेख कियाकि डाक टिकटों का संग्रह एक समय लोगों का शौक हुआ करता था, डाक सेवाओं केबिना जीवन अधूरा समझा जाता था, सभी लोग किसीन किसी रूपमें डाक सेवाओं से जुड़े थे, उस समय आवागमन के साधन सीमित थे, दूरसंचार सेवाएं नहीं थीं, अथवा नहींके बराबर थीं, उन स्थितियों में जीवन के समग्र विकास से जुड़ी तमाम चीजों का केंद्रबिंदु पोस्ट ऑफिस हुआ करता था, डाकघर सूचनाओं के आदान-प्रदान, मनी ऑर्डर से पैसे भेजने अथवा एक सामान्य परिवार की छोटी पूंजी को जमा करने के केंद्र हुआ करते थे।
मुख्यमंत्री ने कहाकि डाक टिकटों का संग्रह हमें उस समय की तकनीक से जोड़ने केसाथ ही उस समय पैसे की कीमत परभी ध्यान आकर्षित करता है। उन्होंने कहाकि किसी विशिष्ट घटना या कार्यक्रम अथवा महापुरुष से संबंधित जो डाक टिकट जारी होते हैं, वह इतिहास को समेटे रहते हैं, वह अनेक सूचनाएं प्रदान करते हैं, जो वर्तमान पीढ़ी केलिए ज्ञानवर्धन के साथ संग्रहणीय होते हैं। मुख्यमंत्री ने कहाकि उत्तर प्रदेश एक समृद्धशाली राज्य है,। भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास में सर्वाधिक 12 वर्ष उत्तर प्रदेश में ही व्यतीत किए थे, प्रदेश का जनपद चित्रकूट इसका साक्षी है, उस समय साधन नहीं थे, इसलिए श्रीराम वन गमन मार्ग की दूरी बहुत ज्यादा लगती है, लेकिन आज साधन हैं। उन्होंने कहाकि वन गमन मार्ग का एक-एक स्थल इस बात का गवाह हैकि भगवान श्रीराम किन मार्गों से वन गए थे तथा किस प्रकार उन्होंने उस समय के समाज को सुरक्षित माहौल देने का कार्य किया था।
भगवान बुद्ध का राज परिवार कपिलवस्तु में निवास करता था। उन्होंने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ की धरती पर दिया था। भगवान बुद्ध ने सर्वाधिक चातुर्मास उत्तर प्रदेश में व्यतीत किए थे। उनकी महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर उत्तर प्रदेश मेही है। भगवान बुद्ध से जुड़े कौशाम्बी तथा संकिसा भी यहीं हैं। इन स्थानों पर आकर देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायी अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। यह संग्रह डाक टिकटों तथा स्पेशल कवर के माध्यम से अतीत को समेटकर इतिहास का वृहद ज्ञानवर्धक कोष प्रस्तुत करता हैकि उत्तर प्रदेश ऐसी अनेक घटनाओं का साक्षी है। मुख्यमंत्री ने कहाकि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत उत्तर प्रदेश में निवास करती है, देश में 4 प्रमुख स्थानों पर कुम्भ होता है, लेकिन जब कुम्भ की चर्चा की जाती है तो सबका ध्यान प्रयागराज की ओर जाता है। उन्होंने कहाकि कुम्भ की परम्परा को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में वैश्विक मान्यता प्रदान की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहाकि यह वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष है, जब आजादी की लड़ाई का उल्लेख होता हैतो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता समर से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तकके सभी घटना क्रम हमारे समक्ष उभर आते हैं। मुख्यमंत्री ने कहाकि उत्तर प्रदेश में जन्मे मंगल पांडेय ने 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य समर शुरू किया था और धन सिंह कोतवाल के नेतृत्व में मेरठ में इस समर को आगे बढ़ाने का कार्य हुआ था, रानी लक्ष्मीबाई झांसी में तथा तात्या टोपे बिठूर में इस लड़ाई की अगुवाई कर रहे थे, 1922 में चौरी-चौरा की घटना घटित हुई। उन्होंने कहाकि इसी तरह काकोरी की घटना तथा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के अलग-अलग स्थानों का योगदान रहा है, इतिहास की पुस्तकों में लिखी गई बातें अक्सर बच्चों केलिए उबाऊ होती हैं, अगर स्पेशल कवर और स्पेशल डाक टिकट के माध्यम से इन घटनाओं से बच्चों को अवगत कराया जाए तो यह उनके लिए एक संग्रह केसाथ ज्ञानवर्धन का माध्यम हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहाकि उत्तर प्रदेश दुनिया की सबसे उर्वरा भूमि है, सबसे अच्छे जल संसाधन भी प्रदेश में हैं, आज इस कार्यक्रम में धूप है, लेकिन इसी समय प्रदेश के लगभग 17 जनपद बाढ़ से भी प्रभावित हैं, जो एक अजीब स्थिति है, ऐसी स्थिति में यदि इन सब चीजों का संग्रह किया जाए तो भविष्य में लोगों को जागरुक किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि किसी चित्र अथवा ग्राफिक्स के माध्यम से किसी घटना की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना और उन्हें समझाना बहुत आसान हो जाता है, क्योंकि चित्र अथवा ग्राफिक्स गागर में सागर भरने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहाकि प्रदेश की समृद्धशाली तथा आध्यात्मिक परम्परा को डाक टिकटों तथा स्पेशल कवर के माध्यम से संरक्षित किए जानेकी आवश्यकता है, जिससे आनेवाली पीढ़ी का सहज और सरल तरीके से ज्ञानवर्धन किया जा सकेगा। इस अवसर पर विधायक नीरज बोरा, अमरेश कुमार तथा जय देवी, चीफ पोस्टमास्टर जनरल कौशलेंद्र कुमार सिन्हा, वरिष्ठ अधिकारी, डाक टिकट संग्रहकर्ता, विभिन्न स्कूलों के बच्चे तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
टिकट प्रदर्शनी ‘यूफ़िलेक्स-2022’ की थीम ‘भारत की समृद्धि, संस्कृति और विकास में उत्तर प्रदेश का योगदान’ है। डाक विभाग ने प्रदर्शनी केलिए उत्तर प्रदेश के 14 स्थानों को चिन्हित किया है, जहां-जहां से भगवान श्रीराम गुजरे थे। इन स्थानों का सांस्कृतिक व आध्यात्मिक महत्व है। इसी पर आधारित विशेष आवरण व विरूपण का विमोचन मुख्यमंत्री ने किया है। इन 14 स्थानों में जनपद अयोध्या, जनपद अयोध्या का तमसा नदी घाट तथा सूर्य कुंड, जनपद सुल्तानपुर का सीता कुंड, जनपद प्रतापगढ़ का देवघाट, जनपद प्रयागराज का श्रृंग्वेरपुर, रामजेता, भारद्वाज ऋषि आश्रम तथा अक्षय वट, जनपद चित्रकूट का सीता पहाड़ी, महर्षि वाल्मीकि आश्रम, कामदगिरि, रामशैय्या तथा रामघाट शामिल हैं।