स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 17 October 2022 12:19:30 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए देशके 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां राष्ट्र को समर्पित कीं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देंगी और नागरिकों को बेहतर बैंकिंग सेवा का अनुभव भी कराएंगी। उन्होंने कहाकि ये एक ऐसी विशेष बैंकिंग व्यवस्था है, जो न्यूनतम डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से अधिकतम सेवाएं देने का काम करेगी, ये सेवाएं कागजी लिखापढ़ी और झंझटों से मुक्त होंगी और पहले से कहीं ज्यादा आसान होंगी, यानी इनमें सुविधा होगी और एक मजबूत डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा भी होगी। उन्होंने कहाकि छोटे शहरों और गांवों में रहनेवाले लोगों को धन हस्तांतरित करने से लेकर ऋण प्राप्त करने जैसे लाभ मिलेंगे। उन्होंने कहाकि भारत के सामान्य लोगों के जीवन को आसान बनाने का जो अभियान देशमें चल रहा है, डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स उस दिशामें एक और बड़ा कदम है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमारी सरकार का लक्ष्य भारतके सामान्य लोगों को इंपावर करना है, उसे पावरफुल बनाना है, इसलिए हमने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई, और पूरी सरकार उसकी सुविधा और प्रगति के रास्ते पर चली। उन्होंने कहाकि हमने दो चीजों पर एकसाथ काम किया, पहला-बैंकिंग व्यवस्था को सुधारना उसे मजबूत करना उसमें पारदर्शिता लाना और दूसरा-वित्तीय समावेश करना। अतीत के पारंपरिक तरीकों को याद करते हुए जहां लोगों को बैंक जाना पड़ता था, प्रधानमंत्री ने कहाकि इस सरकार ने बैंकों को लोगों तक पहुंचाकर इस तरीके को बदल दिया है। उन्होंने कहाकि हमने बैंकिंग सेवाओं को दूर-सुदूर में घर-घर तक पहुंचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और उन दिनोंकी तुलनामें एक बड़ा बदलाव आया है, जब ग़रीब लोगों को बैंकों तक जाना पड़ता था, आज के दौर में खुद बैंक ग़रीबों के दरवाजे तक पहुंच रहे हैं, इससे ग़रीब लोगों और बैंकों की बीच की दूरी कम हो गई है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने न केवल भौतिक दूरी को हटा दिया, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह हैकि हमने मनोवैज्ञानिक दूरी कोभी दूरकर दिया, बैंकिंग केसाथ दूर-दराज के क्षेत्रों को कवर करने केलिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज भारत के 99 प्रतिशत से अधिक गांव में 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंक शाखा, बैंकिंग आउटलेट या 'बैंकिंग मित्र' है। उन्होंने कहाकि आम नागरिकों को बैंकिंग की जरूरतें पूरी करने केलिए इंडिया पोस्ट बैंकों के माध्यम से व्यापक डाकघर नेटवर्क का भी उपयोग किया गया है। उन्होंने कहाकि आज भारत में प्रति एक लाख वयस्क नागरिकों पर जितनी बैंक शाखाएं मौजूद हैं, वह जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशोंसे अधिक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज पूरा देश जनधन बैंक खातों की ताकत को महसूस कर रहा है। उन्होंने बतायाकि इन खातों ने सरकार को कमजोर लोगों को बहुत कम प्रीमियम पर बीमा प्रदान करने में सक्षम बनाया है। उन्होंने कहाकि इसने बिना जमानत के ग़रीबों केलिए ऋण का रास्ता खोल दिया और लक्षित लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रदान किया।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये खाते घर, शौचालय, गैस सब्सिडी प्रदान करने के प्रमुख साधन हैं और किसानों केलिए योजनाओं का लाभ निर्बाध रूपसे सुनिश्चित किया जा सका है। प्रधानमंत्री ने भारत के डिजिटल बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर केलिए वैश्विक प्रशंसा केबारे में बताया। उन्होंने कहाकि आईएमएफ ने भारत के डिजिटल बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की प्रशंसा की है, इसका श्रेय भारत के ग़रीबों, किसानों और मजदूरों को जाता है, जिन्होंने नई तकनीकों को अपनाया, उसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया। प्रधानमंत्री ने कहाकि यूपीआई ने भारत केलिए नई संभावनाएं खोली हैं और वित्तीय भागीदारी जब डिजिटल भागीदारी से जुड़ जाती है तो संभावनाओं का एक नया संसार खुलने लगता है, यूपीआई जैसा बड़ा उदाहरण हमारे सामने है, भारत को इस पर गर्व है क्योंकि यह दुनिया में अपनी तरह की पहली तकनीक है। उन्होंने कहाकि आज 70 करोड़ स्वदेशी रुपे कार्ड उपयोग किए जा रहे हैं, जो विदेशी कंपनियों और उच्च वर्गों के ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल की तुलना में बहुत बड़ा बदलाव है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था का यह संयोजन गरीबों केलिए गरिमा और सामर्थ्य को बढ़ा रहा है और मध्यम वर्ग को सशक्त बना रहा है, साथही यह देशके डिजिटल विभाजन को भी खत्म कर रहा है। उन्होंने भ्रष्टाचार को खत्म करने में डीबीटी की भूमिका की भी प्रशंसा की और कहाकि 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि डीबीटी के माध्यम से विभिन्न योजनाओं में अंतरित की गई है। उन्होंने कहाकि भारत की इस डीबीटी और डिजिटल ताकत को पूरी दुनिया सराह रही है, इसे एक ग्लोबल मॉडल के रूपमें देखा जा रहा है, यहां तककि विश्व बैंक कह रहा हैकि भारत डिजिटलीकरण के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में अग्रणी बन गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि फिनटेक भारत की नीतियों, भारत के प्रयासों के केंद्र में है और भविष्य को दिशा देरहा है, डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स फिनटेक के इस सामर्थ्य को नया विस्तार देंगी। उन्होंने कहाकि जहां जनधन खातों ने देशमें वित्तीय समावेशन की नींव रखी, वहीं फिनटेक वित्तीय क्रांति का आधार तैयार करेगा।
ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल करेंसी के लॉंच की सरकार की घोषणा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि आनेवाले समय में डिजिटल करेंसी हो या आज के समयमें डिजिटल ट्रांजैक्शन, उनके साथ अर्थव्यवस्था के अलावा कई महत्वपूर्ण पहलू जुड़े हुए हैं। उन्होंने बचत, भौतिक मुद्रा संबंधी परेशानी को दूर करने और पर्यावरण से जुड़े फायदे को प्रमुख लाभों के रूपमें गिनाया। प्रधानमंत्री ने कहाकि मुद्रा छपाई केलिए कागज और स्याही का आयात किया जाता है और एक डिजिटल अर्थव्यवस्था को अपनाकर हम एक आत्मनिर्भर भारत में योगदान दे रहे हैं, जबकि कागज की खपत को कम करके पर्यावरण कोभी लाभ पहुंचा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि बैंकिंग आज वित्तीय लेन-देन से कहीं आगे बढ़कर गुड गवर्नेंस और बेटर सर्विस डिलीवरी का एक माध्यम बन चुकी है, इस व्यवस्था ने निजी क्षेत्र और लघु उद्योगों केलिए भी विकास की अपार संभावनाओं को जन्म दिया है। उन्होंने कहाकि भारतमें शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जहां प्रौद्योगिकी के माध्यम से उत्पाद और सर्विस डिलीवरी एक नया स्टार्टअप इको-सिस्टम नहीं बन रहा हो।
प्रधानमंत्री ने कहाकि डिजिटल इकोनॉमी हमारी इकोनॉमी, स्टार्टअप वर्ल्ड, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की बड़ी ताकत है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे छोटे उद्योग, एमएसएमई भी जीईएम जैसी प्रणाली से सरकारी निविदाओं में भाग ले रहे हैं, उन्हें व्यापार के नए अवसर मिल रहे हैं, जीईएम पर अबतक 2.5 लाख करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए जा चुके हैं एवं डिजिटल बैंकिंग इकाइयों के माध्यम से इस दिशामें अब कई और नए अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि किसीभी देशकी अर्थव्यवस्था उतनीही प्रगतिशील होती है, जितनी उसकी बैंकिंग प्रणाली मजबूत होती है। उन्होंने बतायाकि देश 8 वर्ष में 2014 से पहले की 'फोन बैंकिंग' प्रणाली से निकलकर डिजिटल बैंकिंग में प्रवेश कर गया है और इसके परिणामस्वरूप भारतकी अर्थव्यवस्था निरंतरता केसाथ आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले बैंकों को अपने कामकाज का फैसला करने केलिए फोन आते थे, फोन बैंकिंग की राजनीति ने बैंकों को असुरक्षित बना दिया था और हजारों करोड़ के घोटालों के बीज बोकर देशकी अर्थव्यवस्था को असुरक्षित कर दिया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बतायाकि पारदर्शिता पर मुख्य फोकस रहा है, एनपीए की पहचान में पारदर्शिता लाने केबाद बैंकिंग सिस्टम में लाखों करोड़ रुपये वापस लाए गए, हमने बैंकों का पुनर्पूंजीकरण किया, विलफुल डिफॉल्टरों (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले) के खिलाफ कार्रवाई की और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में सुधार किया। उन्होंने कहाकि एक पारदर्शी एवं वैज्ञानिक प्रणाली के निर्माण की दिशामें ऋण केलिए प्रौद्योगिकी और विश्लेषण के उपयोग को बढ़ावा देते हुए आईबीसी की मदद से एनपीए से संबंधित मुद्दों के समाधान में तेजी लाई गई। प्रधानमंत्री ने कहाकि बैंकों के विलय जैसे निर्णय नीतिगत निष्क्रियता के शिकार थे और देश ने पूरी हिम्मत से उसे चुनौती के रूपमें स्वीकार किया, इन फैसलों के नतीजे हमारे सामने हैं। उन्होंने बतायाकि डिजिटल बैंकिंग इकाइयों की नई शुरुआत और फिनटेक के अभिनव उपयोग जैसी नई पहलों से अब बैंकिंग प्रणाली केलिए एक नया स्वचालित तंत्र बनाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि उपभोक्ताओं केलिए जितनी स्वायत्तता है, बैंकों केलिए भी उतनी ही सुविधा और पारदर्शिता है, उन्होंने हितधारकों का अभियान को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने गांवों के छोटे कारोबारियों से पूरी तरह से डिजिटल लेनदेन की ओर बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने बैंकों से देशके लाभ केलिए पूरी तरह से डिजिटल लेन-देन केलिए 100 व्यापारियों को उनके साथ जोड़ने काभी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि यह पहल हमारी बैंकिंग सिस्टम और इकोनॉमी को एक ऐसे चरण में ले जाएगी, जो फ्यूचर-रेडी होगी और वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने की काबिलियत रखेगी। उन्होंने वित्तमंत्री, वित्त मंत्रालय, आरबीआई गर्वनर, आरबीआई टीम, बैंकिंग सैक्टर से जुड़े सभी साथियों का अभिनंदन किया और कहाकि उन्होंने देशको एक बहुत बड़ी सौगात दी है और आजादी के 75 साल पर 75 डिजिटल बैंकिंग यूनिट अपने आपमें सुखद संयोग है। इस अवसर पर केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यमंत्री, सांसद, बैंकिंग प्रमुख, विशेषज्ञ और लाभार्थी वीडियो कॉंफ्रेंस के माध्यम से शामिल हुए।