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Thursday 20 October 2022 06:05:54 PM
गांधीनगर। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कमजोरियों, खामियों एवं अनिश्चितताओं से मुक्त वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला तैयार करने केलिए भारत में निर्माण इकाइयां स्थापित करने तथा भारतीय उद्योगों केसाथ प्रौद्योगिकी विकास सहयोग केलिए अमेरिकी कंपनियों को आमंत्रित किया है। रक्षामंत्री ने गांधीनगर में 12वें डेफएक्सपो में यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स की गोष्ठी, जिसकी विषयवस्तु 'न्यू फ्रंटीयर्स इन यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशनः नेक्स्ट जेनरेशन टेकनोलॉजी, इनोवेशन एंड मेक इन इंडिया' थी, में कहाकि भारतीय रक्षा उद्योग प्रगतिगामी सुधारों के जरिए पिछले आठ वर्ष के दौरान बड़े परिवर्तनों का गवाह रहा है। उन्होंने कहाकि इन सुधारों ने पारदर्शिता, अनुमान और संस्थागत प्रक्रियाओं से भारतीय उद्योग के विकास का सहयोगी वातावरण बनाया है, इसके तहत व्यापार सुगमता केलिए कई कदम उठाए गए हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि आत्मनिर्भर भारत का पथ नीतिगत प्रारूपों का एक समग्र समुच्चय है, जिसके तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकीय एवं उत्पादन क्षमता निर्माण, सहयोग के जरिये क्षमता बढ़ाना, प्रतिष्ठित संस्थानों तथा मित्र राष्ट्रों के मूल उपकरण निर्माताओं केसाथ सहयोग करना शामिल है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि इसका लक्ष्य हैकि भारतीय बाजार केलिए भारत में ही निर्माण करना और मित्र देशों को निर्यात करना यानी मेक इन इंडिया, मेक फॉर दी वर्ल्ड। राजनाथ सिंह ने कहाकि मुख्य उद्देश्य है भारतीय सशस्त्रबलों की जरूरतें पूरी करना, साथही वैश्विक मांग को पूरा करने केलिए विदेशी ओईएम की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला केसाथ दीर्घकालिक जुड़ाव तैयार करना, इनके जरिए भारत मुक्त विश्व केलिए एक सुरक्षित और लचीली वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में सहयोग का आकांक्षी है, साथही भारत चाहता हैकि रक्षा उपकरणों और अन्य सामरिक सामग्रियों तक निर्बाध तथा भरोसेमंद पहुंच सुनिश्चित करने केलिए साझीदारों केसाथ जुड़ सके और इसमें अमेरिका को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहाकि भारत का रक्षा आधार बढ़ रहा है, इसलिए अमेरिका के निजी सेक्टर की कंपनियां क्रियेटिंग इन इंडिया और एक्सपोर्टिंग फ्रॉम इंडिया केलिए अपार क्षमताओं की पड़ताल कर सकती हैं। रक्षामंत्री ने इस उद्देश्य की प्राप्ति केलिए भारत सरकार के अनेक कदमों का उल्लेख किया, जिनमें भारतीय उद्योग की बड़ी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के क्रम में खरीद श्रेणियों को बढ़ाना तथा भारतमें विदेशी कंपनियों को निर्माण केलिए आकर्षित करना शामिल है।
रक्षामंत्री ने कहाकि हमें अमेरिका केसाथ काम करने में बेहद खुशी है, अमेरिका हमारा मूल्यवान साझीदार है और हम इस तरह अपने रणनीतिक एवं व्यापारिक सम्बंधों को मजूबत बना रहे हैं। उन्होंने कहाकि हम भारत में एक उच्च प्रौद्योगिकी रक्षा उत्पादन इको-प्रणाली बनाने केलिए अमेरिकी निवेश को आकर्षित कर रहे हैं और भारत केलिए अमेरिकी कंपनियों केसाथ सहयोग से सम्पदा और रोज़गार के अवसर तो तैयार होंगे, लेकिन इसके साथ हमारी महत्वपूर्ण सामरिक ताकत भी बढ़ेगी। राजनाथ सिंह ने एफडीआई नियमों को सरल करने और रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2022 में भारत में वैश्विक निर्माण प्रारूप की शुरूआत को अमेरिकी कंपनियों केलिए आमंत्रण बतायाकि वे भारतीय रक्षा उद्योग के पेश अवसरों में हिस्सा लें। उन्होंने कहाकि अमेरिकी कंपनियां अब निर्माण इकाइयां स्थापित कर सकती हैं, चाहे वे निजी स्तरपर हो या भारतीय कंपनियों केसाथ मिलकर की जाए, यह कार्य एक संयुक्त उपक्रम या प्रौद्योगिकी समझौते आदि के जरिए किया जा सकता है, ताकि मेक इन इंडिया अवसर का लाभ उठाया जा सके। उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को आश्वस्त कियाकि भारतमें रक्षा निर्माण केलिए उन्हें एक आकर्षक निवेश गंतव्य मिलेगा।
रक्षामंत्री ने रचनात्मक स्वदेशीकरण सूचियों का उल्लेख किया, जिसमें उपकरणों या प्रणालियों का एक विस्तृत दायरा शामिल किया गया है। उन्होंने कहाकि ये सूचियां देशमें एक परिपक्व रक्षा उद्योग का आधार तैयार करने की दिशामें प्रमुख कदम हैं। उन्होंने कहाकि यह काम भारत में निर्माताओं को मांग में तेजी केप्रति आश्वास्त करके उनकी क्षमताओं तथा प्रौद्योगिकी में निवेश को आकर्षित किया जा रहा है। राजनाथ सिंह ने रक्षा निर्यातों पर कहाकि यह स्वदेशी रक्षा उद्योग को दीर्घकाल केलिए कायम रखने केलिए बहुत जरूरी है, केवल स्वदेशी मांग हमेशा अर्थव्यवस्था में तेजी नहीं लाती, इसके लिए लाभकारी और सतत निवेश की भी जरूरत है। रक्षामंत्री ने कहाकि वर्ष 2025 केलिए पांच अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात लक्ष्य हमारे निर्यात केंद्रित निर्माण की दृढ़ता का परिचायक है। रक्षामंत्री ने कहाकि इंडिया-यूएस टेक्नोलॉजी एंड ट्रेड इनिशियेटिव के तत्वावधान में एयर-लॉंच्ड यूएवी का सहविकास स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहाकि दोनों देशों के उद्योग अतिरिक्त डीटीटीआई परियोजनाओं की संभावनाएं तलाश सकते हैं जैसे-मानवरहित उड़ान प्रणालियों का मुकाबला करना, खुफिया, निगरानी, लक्ष्य अधिग्रहण और टोही प्लेटफार्म।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारतीयों ने अमेरिका के प्रौद्योगिकीय विकास में शानदार भूमिका निभाई है, चाहे वह आईटी सेक्टर हो या जैव-प्रौद्योगिकी, स्पेस या साइबर प्रौद्योगिकी, साथही व्यापार और वित्त क्षेत्रमें भी भारतीयों ने योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि अमेरिका प्रतिभाशाली लोगों को सहायक वातावरण प्रदान करता है, ताकि वे वहां मौजूद लाभों को प्राप्त कर सकें। उन्होंने अमेरिकी व्यापारिक और प्रौद्योगिकीय दिग्गजों से आग्रह कियाकि वे भारत में इसी तरह का विकास चमत्कार पैदा करने केलिए भारतीय उद्योगों केसाथ सहयोग करें। उन्होंने कहाकि साथ काम करने केलिए औद्योगिक, वैज्ञानिक और अकादमिक स्तर पर नई राहें विकसित करना, भारत-अमेरिकी रक्षा सम्बंधों को सुनिश्चित करने में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है।