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Friday 28 October 2022 02:25:16 PM
नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति के अंगरक्षक अपनी स्थापना के 250 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में अपने अंगरक्षकों को सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किया। राष्ट्रपति ने अंगरक्षकों की परेड के उल्लेखनीय प्रदर्शन, घोड़ों के उत्कृष्ट प्रशिक्षण, कदमताल और उनकी अच्छी देखभाल करने एवं प्रभावशाली औपचारिक पोशाक के लिए कमांडेंट, अधिकारियों, जेसीओ और पीबीजी की अन्य रैंकों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है, जिसमें यह आयोजन उल्लेखनीय है। राष्ट्रपति ने सभी कार्यों में उत्कृष्ट सैन्य परंपराओं, पेशेवर अंदाज और अनुशासन केलिए पीबीजी की सराहना की और कहाकि देशको उनपर गर्व है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विश्वास व्यक्त कियाकि वे राष्ट्रपति भवन की सर्वोच्च परंपराओं को बनाए रखने और भारतीय सेना की रेजिमेंटों केलिए एक आदर्श रोलमॉडल बनने केलिए समर्पण, अनुशासन और वीरता केसाथ अपने प्रयास जारी करेंगे। गौरतलब हैकि राष्ट्रपति के अंगरक्षक भारतीय सेना से आते हैं, यह भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंट है। इसे 1773 में गवर्नर जनरल के अंगरक्षक के रूपमें स्थापित किया गया था। भारत के राष्ट्रपति के निजीगार्ड के तौरपर यह भारतीय सेना की एकमात्र ऐसी सैन्य यूनिट है, जिसे राष्ट्रपति के सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर लेजाने का विशेषाधिकार प्राप्त है। वर्ष 1923 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रीडिंग ने अंगरक्षकों की 150 वर्ष की सेवा पूरी होनेपर राष्ट्रपति के अंगरक्षकों को यह सम्मान प्रदान किया था, उसके बाद हरेक वायसराय ने अंगरक्षकों को सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर प्रदान किया। राष्ट्रपति के अंगरक्षक के रूपमें 27 जनवरी 1950 को इस रेजिमेंट का नाम बदल दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति इस रेजिमेंट को सम्मानित करने की प्रथा को जारी रखे हुए हैं। हथियारों के एक राज्यचिन्ह, जैसाकि औपनिवेशिक युगमें प्रथा थी, के बजाय राष्ट्रपति का मोनोग्राम बैनर पर होता है। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 14 मई 1957 को अंगरक्षकों को अपना सिल्वर ट्रम्पेट और ट्रम्पेट बैनर भेंट किया था। राष्ट्रपति के अंगरक्षकों का गठन बनारस में तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने किया था। इसकी शुरुआती ताकत 50 घुड़सवार सैनिकों की थी, बादमें अन्य 50 घुड़सवारों कोभी उसमें शामिल कर लिया गया। राष्ट्रपति के अंगरक्षकों में खास शारीरिक विशेषताओं वाले चुने पुरुष सैनिक शामिल होते हैं। उन्हें एक कठिन एवं शारीरिक कठोर प्रक्रिया से गुजरने केबाद इसके लिए चुना जाता है।