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Saturday 29 October 2022 02:00:31 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंस के जरिए हरियाणा के सूरजकुंड में राज्यों के गृहमंत्रियों के 'चिंतन शिविर' में कहा हैकि यह चिंतन शिविर सहकारी संघवाद का एक उल्लेखनीय और मुख्य उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि संविधान में भलेही कानून व्यवस्था राज्यों का दायित्व है, लेकिन यह देशकी एकता और अखंडता केसाथ भी उतने ही जुड़े हुए हैं। उन्होंने देशमें लगातार त्योहारों में शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने केलिए कानून व्यवस्था की तैयारियों की सराहना की। उन्होंने कहाकि राज्य एकदूसरे से सीखें, एक दूसरे से प्रेरणा लें और देशकी बेहतरी केलिए काम करें, यह संविधान की भी भावना है और देशवासियों केप्रति हमारा दायित्व भी है। अमृतकाल की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि अमृत पीढ़ी पंच प्रणों के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी, सुशासन केलिए 'पंच प्रण' प्रेरक शक्ति होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि जब देश का सामर्थ्य बढ़ेगा तो देशके हर नागरिक, हर परिवार का सामर्थ्य बढ़ेगा, यही तो सुशासन है, जिसका लाभ देशके हर राज्य को समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना है। प्रधानमंत्री ने राज्यों की कानून एवं व्यवस्था प्रणाली और विकास को आपस में जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने कहाकि कानून व्यवस्था के पूरे तंत्र का विश्वसनीय होना, जनता केबीच उनका परसेप्शन क्या है, यह बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्राकृतिक आपदाओं के समय एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की बढ़ती पहचान के बारेमें बतायाकि आज एनडीआरएफ केलिए देशवासियों के मन में कितना सम्मान है, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की टीम पहुंचती है, वैसेही लोगों को संतोष होने लगता हैकि अब एक्सपर्ट टीम पहुंच गई है, अब यह अपना काम कर लेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसी तरह अपराध वाली किसीभी जगह पर जैसेही पुलिस पहुंचती है, लोगों में यह भाव आता हैकि सरकार पहुंच गई।
प्रधानमंत्री ने कहाकि कोरोनाकाल मे हमने देखा हैकि पुलिस की साख बेहतर हुई। उन्होंने कहाकि प्रतिबद्धता की कोई कमी नहीं है और पुलिस की धारणा को और मजबूत करने की जरूरत है, इस संबंध में उनका मार्गदर्शन करना हमारी निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि अपराध अब स्थानीयकृत नहीं है और अंतर्राज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय अपराध के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए केंद्र तथा राज्य की एजेंसियों केबीच आपसी सहयोग महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि साइबर क्राइम हो या फिर ड्रोन टेक्नोलॉजी का हथियारों और ड्रग्स तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई टेक्नोलॉजी पर काम करते रहना होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्मार्ट टेक्नोलॉजी की मदद से कानून व्यवस्था को औरभी बेहतर बनाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि 5जी अपने लाभों केसाथ उच्चस्तर की सर्तकता संबंधी जरूरतों कोभी पूरा करता है। उन्होंने मुख्यमंत्रियों और गृहमंत्रियों से बजट की बाधाओं से परे जाकर प्रौद्योगिकी की आवश्यकता का गंभीरता से आकलन करने का अनुरोध किया, क्योंकि यह तकनीक आम नागरिकों केबीच सुरक्षा के विश्वास को जगाएगी।
नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार के पुलिस प्रौद्योगिकी मिशन केबारे में बताया हालांकि उन्होंने एक साझे मंच की आवश्यकता पर बल दिया, क्योंकि विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल होता है और इससे उनके बीच आपसी तालमेल कायम नहीं हो पाता है। उन्होंने कहाकि हमारे पास एक अखिल भारतीय दृष्टिकोण होना चाहिए, हमारी सभी सर्वोत्तम प्रथाएं परस्पर जुड़ी होनी चाहिएं और एक साझा लिंक होना चाहिए। उन्होंने राज्य की एजेंसियों को फोरेंसिक विज्ञान में क्षमताओं को विकसित करने और गांधीनगर के राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय का पूरा लाभ उठाने केलिए कहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते वर्षों में भारत सरकार के स्तरपर कानून व्यवस्था से जुड़े जो रिफॉर्म्स हुए हैं, उन्होंने पूरे देशमें शांति का वातावरण बनाने में मदद की है। उन्होंने कहाकि कानून व्यवस्था को बनाए रखना सातों दिन और चौबीस घंटे वाला एक काम है, लेकिन किसीभी काम में यहभी आवश्यक हैकि हम निरंतर प्रक्रियाओं में सुधार करते चलें, उन्हें आधुनिक बनाते चलें। उन्होंने इस दिशामें कंपनी कानून में कई चीजों के गैर-अपराधीकरण के बारेमें चर्चा की और राज्यों सेभी मूल्यांकन करने एवं पुराने नियमों एवं कानूनों से छुटकारा पाने केलिए कहा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि केंद्र सरकार के बनाए गए कानूनों में भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला से सख्ती से निपटने की स्पष्ट इच्छाशक्ति है। उन्होंने कहाकि यूएपीए जैसे कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में व्यवस्था को मजबूती दी है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देशभर के राज्यों की पुलिस केलिए एक ही वर्दी पर विचार करने को कहा है। उन्होंने कहाकि यह न केवल अपनी व्यापकता के कारण गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स को सुनिश्चित करेगा, बल्कि कानून प्रवर्तन को एक साझी पहचान देगी, क्योंकि नागरिक देशमें कहींभी पुलिसकर्मियों को पहचान पाएंगे, राज्यों केपास उनकी संख्या या प्रतीक चिन्ह हो सकते हैं। उन्होंने राज्यों के समक्ष 'एक राष्ट्र एक पुलिस की वर्दी' का विचार एक चिंतन के रूपमें रखा। उन्होंने पर्यटन से संबंधित पुलिसिंग केलिए विशेष क्षमताओं को विकसित करने के बारेमें सोचने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि पर्यटक किसीभी स्थान की प्रतिष्ठा के सबसे बड़े और सबसे तेज दूत होते हैं। प्रधानमंत्री ने संवेदनशीलता के महत्व और व्यक्तिगत संपर्क को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना महामारी के दौरान पुलिस ने फोन के जरिए लोगों, विशेष रूपसे वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने तकनीकी खुफिया केसाथ मानव खुफिया को मजबूत करने केलिए भी कहा, क्योंकि इसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने भारत के बढ़ते कद के मद्देनज़र उभर रही नई चुनौतियों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया। सोशल मीडिया की संभावनाओं की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि इसे सूचना के स्रोत तक सीमित नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहाकि एक छोटी सी फेक न्यूज़ में राष्ट्रीय चिंता का विषय बनने की क्षमता है। प्रधानमंत्री ने अतीत में नौकरी में आरक्षण के बारेमें फर्जी खबरों के कारण भारत को हुए नुकसान पर अफसोस व्यक्त किया। उन्होंने लोगों को किसीभी जानकारी को आगे भेजने से पहले उसका विश्लेषण और सत्यापन करने के बारेमें लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि हमें फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने केलिए तकनीकी प्रगति पर जोर देना होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशमें नागरिक सुरक्षा की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और अग्निशामकों व पुलिस से स्कूलों और कॉलेजों में अभ्यास करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के जमीनी नेटवर्क को खत्म करने की आवश्यकता को दोहराते हुए कहाकि हर सरकार अपनी क्षमता और सूझबूझ से अपना काम कर रही है। नरेंद्र मोदी ने राज्यों से कहाकि यह समय की मांग हैकि एकसाथ आएं और स्थिति संभालें। उन्होंने कहाकि नक्सलवाद का हर रूप, चाहे वह बंदूक वाला हो या कलम वाला, देशके युवाओं को गुमराह करने से रोकने केलिए उन्हें जड़ से उखाड़ना होगा। प्रधानमंत्री ने चेतावनी दीकि ऐसी ताकतें आनेवाली पीढ़ियों के दिमाग को विकृत करने केलिए अपने बौद्धिक क्षेत्रको बढ़ा रही हैं, देशकी एकता व अखंडता केलिए और सरदार पटेल की प्रेरणा से हम अपने देशमें ऐसी किसीभी ताकत को पनपने नहीं देंगे। उन्होंने कहाकि ऐसी ताकतों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी मदद मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि आठ वर्ष में देशमें नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में काफी कमी आई है, जम्मू-कश्मीर हो या उत्तर-पूर्व स्थायी शांति की ओर तेजीसे बढ़ रहे हैं, अब हमें इंफ्रास्ट्रक्चर समेत इन सभी क्षेत्रोंमें तेजीसे विकास पर ध्यान देना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि केंद्र सरकार रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा देने केलिए सीमा और तटीय क्षेत्रोंमें विकास के मिशन मोड पर काम कर रही है, इन क्षेत्रोंमें हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने में यह एक लंबा रास्ता तय कर सकता है। उन्होंने योजनाओं को क्रियांवित करने केलिए सीमावर्ती और तटीय राज्यों से सहयोग बढ़ाने केलिए कहा। प्रधानमंत्री ने वर्षों से पुलिस महानिदेशकों के सम्मेलनों से आए सुझावों का गंभीरता से अध्ययन करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने पुलिस बल को नई स्क्रेपेज नीति के आलोक में अपने वाहनों का आकलन करने को कहा। उन्होंने कहाकि पुलिस वाहन कभीभी पुराने नहीं होने चाहिएं, क्योंकि यह उनकी दक्षता से संबंधित हैं। उन्होंने कहाकि अगर हम राष्ट्रीय दृष्टिकोण से आगे बढ़ते हैं तो हमारे सामने हर चुनौती छोटी पड़ जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि इस चिंतन शिविर में निष्कर्ष केतौर पर बेहतर सुझावों केसाथ एक रोडमैप सामने आएगा।