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Wednesday 2 November 2022 02:22:22 PM
मानगढ़ (राजस्थान)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मानगढ़ धाम की गौरव गाथा' सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया तथा स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम बलिदानी जनजातीय नायकों और शहीदों को नमन किया। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री ने धूनी दर्शन किए और गोविंद गुरु की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने एक जनसभा कोभी संबोधित किया और कहाकि मानगढ़ की पवित्रभूमि में आना हमेशा प्रेरक होता है, जो हमारे जनजातीय वीरों की तपस्या, त्याग, बहादुरी और बलिदान का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मानगढ़ राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और गुजरात के लोगों की साझी विरासत है। नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एक राजनीतिक स्ट्रोक भी खेला, जिसमें उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सबसे सीनियर मुख्यमंत्री कहकर प्रशंसा की और इस प्रशंसा पर अशोक गहलोत मंद-मंद मुस्काए, प्रतिउत्तर में अशोक गहलोत ने भी कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया है।
देश के जनजातीय नायकों और शहीदों को याद करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने केलिए 'मानगढ़ धाम की गौरव गाथा कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीन राज्योंके मुख्यमंत्री एवं बड़ी संख्या में लोग भी शामिल हुए थे। कार्यक्रम ने अचानक राजनीतिक मोड़ लेलिया जब प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यह तारीफ करदी। अशोक गहलोत भी प्रधानमंत्री की तारीफ करने से पीछे नहीं रहे। इसके बादजो होना था, वह हुआ और राजस्थान के कांग्रेस नेता एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के धुरविरोधी सचिन पायलट ने अशोक गहलोत की प्रशंसा को उछाल दिया हैकि कुछ तो है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी प्रकार राज्यसभा में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद की तारीफ की थी और उसके बाद जो हुआ और हो रहा है, वह सबके सामने है। सचिन पायलट ने कांग्रेस हाईकमान से बगावत करने वालों और अशोक गहलोत के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली है। यह मामला कांग्रेस और राजनीतिक हल्कों में खूब चर्चाएं बटोर रहा है, कांग्रेस हाईकमान भी विचलित लगता है, क्योंकि अशोक गहलोत ने कांग्रेस हाईकमान को बैकफुट पर पहुंचा दिया है, जो अशोक गहलोत पर कार्रवाई की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा है।
बहरहाल गुजरात के मुख्यमंत्री के रूपमें प्रधानमंत्री ने मानगढ़ क्षेत्रके प्रति अपनी सेवाको याद किया और बतायाकि गोविंद गुरु ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष यहां बिताए और उनकी ऊर्जा एवं उनकी शिक्षाएं अभीभी इसभूमि की मिट्टी में महसूस की जा सकती हैं। गौरतलब हैकि मानगढ़ क्षेत्र गुजरात राज्य का हिस्सा है और राजस्थान का साया है। प्रधानमंत्री ने याद कियाकि वन महोत्सव के मंच के माध्यम से सभीसे आग्रह करने केबाद यह पूरा क्षेत्र हरा-भरा हो गया है, जो पहले कभी वीरानभूमि हुआ करता था। प्रधानमंत्री ने अभियान केलिए निःस्वार्थ भावसे काम करने केलिए जनजातीय समुदाय को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि यहांके विकास से न केवल स्थानीय लोगों के जीवनस्तर में सुधार हुआ है, बल्कि इससे गोविंद गुरु की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार भी हुआ है। उन्होंने कहाकि गोविंद गुरु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी भारत की परंपरा और आदर्शों के प्रतिनिधि थे, जिन्होंने अपना परिवार खो दिया, लेकिन अपना हौसला कभी नहीं खोया और हर आदिवासी को अपना परिवार बनाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक ओर यदि गोविंद गुरु ने जनजातीय समुदाय के अधिकारों केलिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी तो दूसरी ओर उन्होंने अपने समुदाय की बुराइयां दूर करने काभी अभियान चलाया, क्योंकि वे एक समाज सुधारक, आध्यात्मिक गुरु, एक संत और एक लोकनेता थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनका बौद्धिक एवं दार्शनिक पहलू उनके साहस और सामाजिक सक्रियता की तरह ही जीवंत था। मानगढ़ में 17 नवंबर 1913 का नरसंहार याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि यह भारत में ब्रिटिश शासन की अत्यधिक क्रूरता का एक उदाहरण है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक तरफ हमारे पास निर्दोष आदिवासी थे जो आजादी की मांगकर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों ने मानगढ़ की पहाड़ियों को घेरकर दिन-दहाड़े डेढ़ हजार से अधिक निर्दोष युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों का नरसंहार किया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण स्वतंत्रता संग्राम की इतनी बड़े नरसंहार की घटना को इतिहास की किताबों में जगह नहीं मिल पाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस आजादी के अमृत महोत्सव में भारत उस कमी को पूराकर रहा है और दशकों पहले कीगई गलतियों को सुधार रहा है, जिनपर कभी ध्यान नहीं दिया गया, बल्कि उन्हें नज़रअंदाज किया गया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय ग्रामीणविकास राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, सांसद, विधायक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में अर्जुनराम मेघवाल ने कहाकि वास्तव में यहएक ऐतिहासिक क्षण हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बलिदानी भूमिपर आए हैं। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव में संस्कृति मंत्रालय को भारत के गुमनाम नायकों को यादकरने और सम्मान देनेका महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा और मैं 13 अगस्त को आजादी के अमृत महोत्सव केलिए इस प्रतिष्ठित स्थानपर आया था और तब लोगों ने प्रधानमंत्री के यहां आनेकी इच्छा व्यक्त की थी, जो पूरी होगई है। उन्होंने यहभी कहाकि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण हैकि गुमनाम नायकों को उनका उचित सम्मान और हमारे इतिहास में स्थान मिलना चाहिए।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहाकि मानगढ़ कीभूमि का अपना इतिहास है, 17 नवंबर 1913 को गोविंद गुरु के नेतृत्व में आदिवासियों ने हमारी आजादी केलिए लड़ाई लड़ी, जहां 1500 से अधिक आदिवासियों को अंग्रेजों ने गोलीमार दी थी, मानगढ़ की धरतीपर जो बलिदान हुआ, वह अब दुर्भाग्यपूर्ण इतिहास बन गई है। अपने भाषण में अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोरदार प्रशंसा भी की। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहाकि हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने प्राणों की आहुति देकर मानगढ़ और भारत की भूमिको अपने खूनसे सींचा है, जिसके बाद हमें आजादी मिली है। उन्होंने कहाकि ऐसे कई गुमनाम नायक हैं, जिन्होंने बलिदान दिया, लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं मिला और यह हमारे प्रधानमंत्री मोदी ही हैं, जिन्होंने पूरे भारत में हरसाल 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस केरूप में मनाने की पहल की है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहाकि इस अमृतकाल में हमारी प्रतिबद्धताओं मेसे एक प्रतिबद्धता हैकि हम अपनी विरासत पर गर्व करें और हमसभी को स्वतंत्रता सेनानियों की विरासत पर गर्व होना चाहिए। उन्होंने कहाकि आज मैं उनसभी जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देता हूं, जिन्होंने आजादी केलिए लड़ाई लड़ी है।
आजादी के अमृत महोत्सव के हिस्से के रूपमें सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम जनजातीय नायकों को याद करने केलिए कई कदम उठाए हैं। इनमें जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को 'जनजातीय गौरव दिवस' घोषित करना, समाज में जनजातीय लोगों के योगदान को मान्यता देने और स्वतंत्रता संग्राम में उनके बलिदान के बारेमें जागरुकता बढ़ाने केलिए देशभर में जनजातीय संग्रहालयों की स्थापना करना आदि शामिल हैं। इस दिशामें एक और कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम जनजातीय नायकों और शहीदों के बलिदान को नमन करने केलिए राजस्थान के बांसवाड़ा स्थित मानगढ़ हिल में सार्वजनिक कार्यक्रम 'मानगढ़धाम की गौरव गाथा’ में भाग लिया। मानगढ़ पहाड़ी भील समुदाय और राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश की अन्य जनजातियों केलिए विशेष महत्व रखती है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भील और अन्य जनजातियों ने अंग्रेजों केसाथ लंबे समय तक संघर्ष किया, अंग्रेजों ने इनपर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं, जिसे मानगढ़ नरसंहार कहा जाता है और जिसमें लगभग 1500 आदिवासी शहीद हुए।