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Friday 4 November 2022 02:27:08 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय सतर्कता आयोग के सतर्कता जागरूकता सप्ताह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहाकि सतर्कता जागरुकता सप्ताह लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्म जयंती से शुरू हुआ है, उनका पूरा जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और इससे प्रेरित पब्लिक सर्विस के निर्माण केलिए समर्पित रहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि जागरुकता और सतर्कता के इर्द-गिर्द घूमने वाला अभियान इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने कहाकि भ्रष्टाचारमुक्त भारत के सपनों और आकांक्षाओं को साकार करने केलिए सतर्कता जागरुकता सप्ताह का अभियान हो रहा है और प्रत्येक नागरिक के जीवन में इसका काफी महत्व है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सीवीसी का नया शिकायत प्रबंधन प्रणाली पोर्टल भी लॉंच किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि विकसित भारत केलिए विश्वास और विश्वसनीयता महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार पर लोगों का भरोसा लोगों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है। उन्होंने इस तथ्य पर खेद व्यक्त कियाकि पहले की सरकारों ने न केवल लोगों का विश्वास खो दिया, बल्कि वे लोगों पर भरोसा करने में भी विफल रही हैं। उन्होंने कहाकि गुलामी के लंबे कालखंड से हमें भ्रष्टाचार, शोषण और संसाधनों पर कंट्रोल की जो लीगेसी मिली, उसको दुर्भाग्य से आजादी केबाद और विस्तार मिला। उन्होंने कहाकि इसने इस देशकी कम से कम चार पीढ़ियों को गंभीर रूपसे नुकसान पहुंचाया है, लेकिन आजादी के इस अमृतकाल में हमें दशकों से चली आ रही इस परिपाटी को पूरी तरह बदल देना है। प्रधानमंत्री ने लालकिले की प्राचीर से अपने आह्वान की चर्चा करते हुए कहाकि 15 अगस्त को लालकिले से भी मैंने कहा हैकि 8 वर्ष की श्रमसाधना केबाद अब भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का समय आ गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भ्रष्टाचार और लोगों की प्रगति में बाधा के दो प्रमुख कारण हैं यानी सुविधाओं की कमी और सरकार का अनावश्यक दबाव।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम बीते 8 वर्ष से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, डिमांड और सप्लाई के गैप को भरने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि लंबे समय तक बुनियादी सुविधाओं और अवसरों की इस कमी को जानबूझकर कायम रखा गया और इस अंतर को और चौड़ा होने दिया गया, जिससे एक अस्वास्थ्यकर प्रतिस्पर्धा हुई, जिसका कोई परिणाम नहीं मिलने वाला था, इस दौड़ ने भ्रष्टाचार को पोषित किया, इस अभाव से पैदा हुआ भ्रष्टाचार ग़रीब और मध्यमवर्ग को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहाकि अगर ग़रीब और मध्यम वर्ग बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने केलिए अपनी ऊर्जा खर्च करते हैं तो देश कैसे प्रगति करेगा? प्रधानमंत्री ने कहाकिइसीलिए हम बीते 8 वर्ष से अभाव और दबाव से बनी व्यवस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं, सरकार कीओर से डिमांड और सप्लाई के गैप को भरनेकी कोशिश की जा रही है, इसके लिए हमने तीन रास्ते चुने हैं-एक आधुनिक टेक्नोलॉजी का रास्ता है, दूसरा मूल सुविधाओं के सैचुरेशन का लक्ष्य है और तीसरा आत्मनिर्भरता का रास्ता है।
प्रौद्योगिकी के उपयोग पर प्रधानमंत्री ने पीडीएस को प्रौद्योगिकी से जोड़ने और करोड़ों फर्जी लाभार्थियों को हटाने और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण को अपनाकर 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक को गलत हाथों में जाने से रोके जाने केबारे में बताया। उन्होंने कहाकि इसी तरह पारदर्शी डिजिटल लेनदेन को अपनाने और जीईएम के माध्यम से पारदर्शी सरकारी खरीद से बहुत बड़ा फर्क पड़ रहा है। आधारभूत सुविधाओं को सैचुरेशन के स्तर तक लेजाने पर प्रधानमंत्री ने कहाकि किसीभी सरकारी योजना के हर पात्र लाभार्थी तक पहुंचना, सैचुरेशन के लक्ष्य को प्राप्त करना समाज में भेदभाव भी समाप्त करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कोभी खत्म कर देता है। हर योजना के वितरण केलिए सरकार के सैचुरेशन के सिद्धांत पर प्रधानमंत्री ने हरघर जल, पक्के घर, बिजली कनेक्शन और गैस कनेक्शन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहाकि विदेशी वस्तुओं पर अत्यधिक निर्भरता भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण रही है। उन्होंने रक्षा के क्षेत्रमें आत्मनिर्भरता की दिशामें सरकार के जोर दिए जाने केबारे में कहाकि इससे घोटालों का स्कोप भी कम हो गया है, क्योंकि राइफल से लेकर फाइटर जेट्स और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट तक आज भारत खुद बनाने की दिशामें बढ़ रहा है।
सीवीसी को एक ऐसी संस्था बताते हुए जो पारदर्शिता सुनिश्चित करने केलिए सभी के प्रयासों को प्रोत्साहित करती है, प्रधानमंत्री ने पिछलीबार 'निवारक सतर्कता' के अपने अनुरोध को याद किया और उस दिशामें सीवीसी के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने सतर्कता समुदाय से अपने ऑडिट और निरीक्षण के आधुनिकीकरण के बारेमें सोचने केलिए भी कहा। उन्होंने कहाकि भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार जो इच्छाशक्ति दिखा रही है, वही इच्छाशक्ति सभी विभागों मेभी दिखनी जरूरी है और विकसित भारत केलिए हमें एक ऐसा एडमिनिस्ट्रेटिव इकोसिस्टम विकसित करना है, जो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस रखता हो। प्रधानमंत्री ने एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की मांग की है, जहां भ्रष्टाचार से संबंधित अनुशासनात्मक कार्यवाही समयबद्ध मिशन मोड में पूरी हो। उन्होंने आपराधिक मामलों की निरंतर निगरानी काभी सुझाव दिया और लंबित भ्रष्टाचार के मामलों के आधार पर विभागों की रैंकिंग करने और संबंधित रिपोर्टों को मासिक या त्रैमासिक आधार पर प्रकाशित करने का एक तरीका तैयार करने को कहा। प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी की मदद से सतर्कता संबंधी मंजूरी की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने केलिए भी कहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि जनशिकायतों के आंकड़ों का ऑडिट करने की जरूरत है ताकि हम संबंधित विभाग में भ्रष्टाचार के मूल कारणों तक पहुंच सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार पर निगरानी के काम में आम नागरिकों को शामिल करनेकी आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि भ्रष्ट लोग कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों, उन्हें किसीभी परिस्थिति में नहीं बचाना चाहिए, यह आप जैसे संगठनों की जिम्मेदारी है, किसीभी भ्रष्ट व्यक्ति को राजनीतिक एवं सामाजिक समर्थन न मिले, हर भ्रष्ट व्यक्ति को समाज कटघरे में खड़ा करे, ऐसा माहौल बनाना भी जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने देखा हैकि कईबार भ्रष्ट लोगों को भ्रष्ट साबित होनेके बादभी, जेल जाने के बावजूद महिमामंडित किया जाता है, यह स्थिति भारतीय समाज केलिए अच्छी नहीं है, आजभी कुछ लोग दोषी पाएगए भ्रष्टाचारियों के पक्षमें तर्क देते हैं, ऐसे लोगों, ऐसी ताकतों को समाज द्वारा अपने कर्तव्य केप्रति जागरुक करना बहुत जरूरी है, इसमें भी आपके विभाग की ठोस कार्रवाई की बड़ी भूमिका होती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करनेवाले सीवीसी जैसे संगठनों को डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है, किसी राजनीतिक एजेंडे पर काम करने की जरूरत नहीं है, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को आसान बनाने की दिशामें काम करनेकी जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि जिनके निहित स्वार्थ हैं, वे कार्यवाही में बाधा डालने और इन संस्थानों से जुड़े व्यक्तियों को बदनाम करने की कोशिश करेंगे, लेकिन जनता जनार्दन भगवान का रूप है, वे सत्य को जानते हैं और परीक्षण करते हैं और जब समय आता है तो वे सच्चाई के समर्थन में लोगों केसाथ खड़े होते हैं। प्रधानमंत्री ने सभीसे समर्पण केसाथ अपने कर्तव्यों को पूरा करने केलिए सत्य के मार्ग पर चलने का आग्रह किया और कहाकि जब आप दृढ़ विश्वास केसाथ कार्रवाई करते हैं तो पूरा देश आपके साथ खड़ा होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जिम्मेदारी बहुत बड़ी है और चुनौतियां भी बदलती रहती हैं, विश्वास हैकि आप अमृतकाल में एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। उन्होंने इस चुनौती से निपटने केलिए कार्यप्रणाली में निरंतर गतिशीलता की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने निबंध लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं केसाथ बातचीत पर प्रसन्नता व्यक्त की और भविष्य में भाषण प्रतियोगिताओं का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने सतर्कता जागरुकता सप्ताह के विषय पर सीवीसी की राष्ट्रव्यापी निबंध प्रतियोगिता के सर्वश्रेष्ठ निबंध लिखने वाले पांच छात्रों को पुरस्कृत भी किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि स्वच्छता का महत्व तभी समझ में आता है, जब गंदगी खत्म हो जाए। भ्रष्टाचार केखिलाफ इस लड़ाई में जितना संभव हो सके प्रौद्योगिकी को अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि कानून के दायरे से बाहर काम करने वालों पर नज़र रखने की बात आती है तो प्रौद्योगिकी निश्चित रूपसे एक कागजी कार्रवाई से जुड़ी कमियों को पीछे छोड़ रही है। इस अवसर पर प्रधान सचिव डॉ पीके मिश्रा, कार्मिक एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, कैबिनेट सचिव, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त सुरेश एन पटेल और सतर्कता आयुक्त पीके श्रीवास्तव और अरविंद कुमार उपस्थित थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नैतिकता और अच्छे व्यवहार पर सचित्र पुस्तिकाओं की एक श्रृंखला, निवारक सतर्कता पर सर्वोत्तम प्रथाओं का संकलन और सार्वजनिक खरीद पर एक विशेष अंक विजआई वाणी का भी विमोचन किया। गौरतलब हैकि जीवन केसभी क्षेत्रोंमें सत्यनिष्ठा का संदेश फैलाने केलिए हितधारकों को एकसाथ लाने केलिए सीवीसी हर साल सतर्कता जागरुकता सप्ताह मनाता है। इस वर्ष यह 31 अक्टूबर से 6 नवंबर तक एक विकसित राष्ट्र केलिए भ्रष्टाचार मुक्त भारत विषय केसाथ मनाया जा रहा है।