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Wednesday 9 November 2022 04:31:18 PM
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा हैकि सुदृढ़ सूचना प्रणाली जवाबदेह और पारदर्शी व्यवस्था का आधार है, जानकारी और जागरुकता से नागरिक का सशक्तिकरण होता है तथा लोकतंत्र समृद्ध होता है। उन्होंने कहाकि सच्चे मायनों में सूचना का अधिकार अधिनियम का मुख्य लक्ष्य नागरिकों को अधिकार सम्पन्न बनाना, पारदर्शिता लाना, व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करना और लोकतंत्र को देशवासियों के हाथों में सौंपना है। उन्होंने कहाकि शासन की नीतियों एवं योजनाओं के निर्माण तथा प्रशासन की उनके क्रियांवयन के समय समुचित जवाबदेही हो, जिसके लिए योजनाएं बनती हैं, उस अंतिम व्यक्ति कोभी नीतियों की जानकारी हो, आरटीआई ने ऐसी पारदर्शी व्यवस्था का प्रबंध किया है और आज ई-गवर्नेंस इसमें बहुत सहायक बन रहा है। दिल्ली में केंद्रीय सूचना आयोग के 'आजादी का अमृत महोत्सवः सिटीजन-सेंट्रिक गवर्नेंस थ्रू आरटीआई' विषयक 15वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ये बातें कहीं। ओम बिरला ने कहाकि आरटीआई के कारगर इस्तेमाल से विकसित और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण में सहायता मिलेगी, जिसकी परिकल्पना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहाकि 75 वर्ष की हमारी लोकतांत्रिक यात्रा में देश अनेक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों से सशक्त राष्ट्र बना है, कानून का शासन, प्रशासन की जवाबदेही, व्यवस्था पारदर्शी हो, इसके लिए समय-समय पर हमारी विधायिका ने विधि निर्माण किया है, आरटीआई भी भारतीय संसद से पारित एक अभिनव विधान है। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह नेभी सम्मेलन को संबोधित किया और कहाकि पारदर्शिता एवं जनभागीदारी नरेंद्र मोदी शासन मॉडल की विशिष्ट पहचान है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागडोर अपने हाथों में लीथी, तभीसे पारदर्शिता, जवाबदारी और नागरिक केंद्रीय कामकाज शासन मॉडल की विशिष्ट पहचान बन गए हैं। उन्होंने कहाकि इन आठ वर्ष में सावधानी से लिया गया हर निर्णय सूचना आयोग की आजादी और संसाधन को मजबूत करने केलिए था। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अधिकार सम्पन्न नागरिक लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और केंद्रीय सूचना आयोग सूचना के जरिए लोगों को अधिकार सम्पन्न बनाने केलिए काम करता रहेगा।
कार्मिक राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि सूचना का अधिकार अधिनियम अकेले काम करने वाला कानून नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने, शासन-व्यवस्था में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और आम नागरिकों की क्षमता निर्माण करने के बड़े विमर्श का हिस्सा है, इनके जरिये आम नागरिक सोच-समझकर निर्णय लेने और विकल्प चुनने में सक्षम होता है। उन्होंने कहाकि सबसे महत्वपूर्ण यह हैकि इसके जरिये नागरिकों और सरकार केबीच भरोसा पैदा होता है। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि मोदी सरकार के शासन में ही 24 घंटे चलनेवाली पोर्टल सेवा शुरू की गई है, यह सेवा देश-विदेश में कहीं सेभी, किसीभी समय चाहे रात हो या दिन आरटीआई आवेदनों की ई-फाइलिंग केलिए शुरू की गई है। उन्होंने कहाकि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल मोबाइल एप्लीकेशन, ई-फाइलिंग, ई-हियरिंग, ई-नोटीफिकेशन आदि के विकास केलिए किया गया, ताकि कानून केतहत सूचना मांगने वालों का समाधान किया जा सके। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि केंद्रीय सूचना आयोग के मोबाइल ऐप ने लोगों केलिए अपील फाइल करना आसान बना दिया है, साथही मामलों की सुनवाई केलिए ऑडियो-वीडियो प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जा रहा है, इसके परिणामस्वरूप केंद्रीय सूचना आयोग 2020-21 में लंबित 38116 मामलों में 2021-22 में 23405 तक कमी लानेमें सफल हुआ है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने सूचना विस्फोट के युगमें अंधाधुंध आरटीआई आवेदनों को दायर किए जाने का उल्लेख करते हुए आह्वान कियाकि दायर करने के पहले आवेदनों की जांच कर ली जाएकि कहीं इच्छित सूचना पहले सेही सार्वजनिक रूपसे उपलब्ध तो नहीं है। उन्होंने कहाकि आज सभी प्रमुख निर्णय और सूचनाएं सार्वजनिक रूपसे उपलब्ध रहती हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अप्रत्याशित महामारी की चुनौतियों के बावजूद केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों ने आरटीआई द्वितीय अपीलों तथा शिकायतों के निस्तारण केलिए लगातार प्रयास किए। कुछ आयोगों ने तो एक निश्चित अवधि के दौरान निस्तारण करने में महामारी-पूर्व आंकड़ों कोभी पीछे छोड़ दिया। उन्होंने कहाकि यह मामलों की सुनवाई और निस्तारण केलिए वर्चुअल माध्यम जैसा अभिनव तरीका अपनाने के कारण संभव हो सका। डॉ जितेंद्र सिंह ने यहभी उल्लेख कियाकि मई 2020 में महामारी के अत्यंत चुनौतीपूर्ण समय में केंद्रीय सूचना आयोग ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 को पारित करने केबाद नवनिर्मित जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश से वर्चुअल माध्यम से आरटीआई को स्वीकार करने, उनपर सुनवाई और उनके निस्तारण का काम शुरू कर दिया था।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को घरसे ही आरटीआई आवेदन और यहां तककि केंद्रीय सूचना आयोग में अपीलें दायर करने की अनुमति दी गई। उन्होंने कहाकि अब महत्वपूर्ण बदलाव यह हुआ हैकि जम्मू-कश्मीर के गैर-रिहायशी और गैर-राज्यवासी भी केंद्र शासित प्रदेश के विषयों या एजेंसियों से जुड़े मामलों पर आरटीआई दायर कर सकते हैं। डॉ जितेंद्र सिंह ने आरटीआई अपीलों के तेज निस्तारण की बदौलत लंबित मामलों में आनेवाली कमी केलिए केंद्रीय सूचना आयोग की प्रशंसा की। मुख्य सूचना आयुक्त वाईके सिन्हा ने इस अवसर पर कहाकि आरटीआई केजरिए सरकार में पारदर्शिता और जवाबदारी का स्तर बढ़ा है। उन्होंने कहाकि इसके माध्यम से व्यवस्था में भ्रष्ट व्यवहार को नियंत्रित करने में भी सफलता मिली है। कार्यक्रम में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सूचना आयुक्तों और केंद्रीय सूचना आयोग के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।