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Friday 18 November 2022 04:27:22 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दृढ़ता से आतंकवाद से निपटने में संशय की किसीभी स्थिति से बचने को कहा है और उन देशों कोभी चेतावनी दी है, जो आतंकवाद का विदेश नीति के एक साधन के रूपमें इस्तेमाल करते हैं। प्रधानमंत्री आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर आज नई दिल्ली में तीसरे 'नो मनी फॉर टेरर' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने भारत में होनेवाले सम्मेलन के महत्व की चर्चा करते हुए याद दिलायाकि जब देश ने बहुत पहले आतंकवाद का काला चेहरा देखा, तब दुनिया ने इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने कहाकि दशकों में विभिन्न नामों और रूपों में आतंकवाद ने भारत को चोट पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने कहाकि भलेही हजारों कीमती जानें चली गईं, भारत ने आतंकवाद का बहादुरी से मुकाबला किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डालाकि यह सभी प्रतिनिधियों केलिए भारत और उसके लोगों केसाथ बातचीत करने का एक अवसर है, जो आतंकवाद से निपटने में दृढ़ रहे हैं। उन्होंने कहाकि हम एक अकेले हमले कोभी कई हमलों की तरह मानते हैं, एक जनहानि भी अनके जनहानि के बराबर है, इसलिए जबतक आतंकवाद जड़से खत्म नहीं हो जाएगा, हम चैन से नहीं बैठेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के महत्व पर कहाकि इसे सिर्फ मंत्रियों के जमावड़े के रूपमें नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि आतंकवाद पूरी मानवता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहाकि आतंकवाद का दीर्घकालिक प्रभाव खासतौर से गरीबों और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बहुत भारी होता है। उन्होंने टिप्पणी कीकि चाहे पर्यटन हो या व्यापार, कोई भी व्यक्ति ऐसा क्षेत्र पसंद नहीं करता जो लगातार खतरे में हो। उन्होंने कहाकि आतंकवाद के परिणामस्वरूप लोगों की आजीविका छिन जाती है, यह बेहद जरूरी हैकि हम आतंकवादी संगठनों को गैरकानूनी तरीके से नकदी का प्रवाह रोकें। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने में किसीभी प्रकार के संशय के खिलाफ चेतावनी दी। उन्होंने आतंकवाद की गलत धारणाओं का जिक्र किया और कहाकि अलग-अलग हमलों की प्रतिक्रिया की तीव्रता इस आधारपर भिन्न नहीं हो सकती हैकि वे कहां होते हैं, सभी आतंकवादी हमलों के खिलाफ समान आक्रोश और कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहाकि कई बार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई रोकने केलिए आतंकवाद के समर्थन में अप्रत्यक्ष तर्क दिए गए। उन्होंने कहाकि वैश्विक खतरे से निपटने के दौरान संशय केलिए कोई स्थान नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद नाम की कोई चीज नहीं है, यह मानवता, स्वतंत्रता और सभ्यता पर हमला है, इसकी कोई सीमा नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहाकि केवल एक समान, एकीकृत और जीरो टॉलरेंस का दृष्टिकोण आतंकवाद को पराजित कर सकता है। एक आतंकवादी से और आतंकवाद से लड़ने केबीच के अंतर पर प्रधानमंत्री ने कहाकि एक आतंकवादी को हथियारों और तत्काल सामरिक प्रतिक्रियाओं से बेअसर किया जा सकता है, लेकिन उन्हें गैरकानूनी तरीके से मिलने वाले धन को चोट पहुंचाए बिना हम इन रणनीतिक लाभों को गंवा देंगे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आतंकवादी एक व्यक्ति होता है, लेकिन आतंकवाद व्यक्तियों का फैला हुआ एक नेटवर्क है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमला रक्षा करने का सबसे अच्छा स्वरूप है और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने केलिए एक व्यापक, सक्रिय, प्रणालीगत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि हमें आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, उनका समर्थन करने वाले नेटवर्क को तोड़ना चाहिए और अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने केलिए उनकी आय पर चोट पहुंचानी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद को राजनीतिक, वैचारिक और वित्तीय समर्थन के प्रमुख स्रोतों में से एकके रूपमें देश के समर्थन पर प्रकाश डाला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहाकि कुछ देश अपनी विदेश नीति केतहत आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को इसकी कीमत चुकाने केलिए मजबूर किया जाना चाहिए, आतंकवादियों केलिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करनेवाले संगठनों और व्यक्तियों को भी अलग-थलग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाके ऐसे मामलों में कोई अगर-मगर नहीं हो सकता, दुनियाको आतंकवाद को हर प्रकार के प्रत्यक्ष और गोपनीय समर्थन के खिलाफ एकजुट करने की आवश्यकता है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से छद्म युद्धों से सतर्क रहने को भी कहा। प्रधानमंत्री ने संगठित अपराध को आतंकी फंडिंग के एक अन्य स्रोत के रूपमें रेखांकित किया और आपराधिक गिरोहों एवं आतंकवादी संगठनों केबीच गहरे संबंधों पर कहाकि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में संगठित अपराध के खिलाफ कार्रवाई अत्यंत महत्वपूर्ण है, कई बार धन शोधन और वित्तीय अपराधों जैसी गतिविधियां भी आतंकवादियों तक धन पहुंचाने में मदद करती हैं, इससे लड़ने केलिए वैश्विक सहयोग जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल, वित्तीय खुफिया इकाइयों और एग्मोंट समूह अवैध धन प्रवाह की रोकथाम, उसका पता लगाने और अभियोजन में सहयोग बढ़ा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश डालाकि यह संरचना दो दशक से कई तरीकों से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में मदद कर रही है, इससे आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिमों को समझने मेभी मदद मिलती है। उन्नत प्रौद्योगिकी के आलोक में आतंकवाद के बदलते परिदृश्य पर प्रधानमंत्री ने कहाकि आतंकवाद केलिए गैरकानूनी तरीके से धन देने और भर्ती केलिए नई प्रकार की प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है, डार्क नेट, निजी मुद्राओं और अन्य चीजों से चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं, नई वित्त प्रौद्योगिकियों की एक समान समझ की आवश्यकता है, इन प्रयासों में निजीक्षेत्र को शामिल करना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने आतंकवाद पर नज़र रखने, उसका पता लगाने और उससे निपटने केलिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की मांग करते हुए प्रौद्योगिकी को राक्षसी बनाने के खिलाफ भी चेतावनी दी। वास्तविक और वर्चुअल सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि साइबर आतंकवाद और ऑनलाइन कट्टरता केलिए उपयोग किए जानेवाले बुनियादी ढांचे को वितरित किया जाता है, जबकि कुछ संस्थाएं सुदूरवर्ती इलाकों के साथ-साथ ऑनलाइन संसाधनों सेभी आतंकवादियों को हथियारों का प्रशिक्षण देती हैं, विभिन्न देशोंमें श्रृंखला की कई कड़ी हैं-संचार व्यवस्था, भ्रमण करना, लॉजिस्टिक्स। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक देशसे श्रृंखला के उन हिस्सों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया, जो उनकी पहुंच के भीतर हैं।
प्रधानमंत्री ने आगाह कियाकि आतंकवादियों को विभिन्न देशोंमें कानूनी सिद्धांतों, कार्य प्रणालियों और प्रक्रियाओं में अंतर का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने सुझाव दियाकि इसे सरकारों केबीच गहन समन्वय और समझ के माध्यम से रोका जा सकता है, संयुक्त अभियान, खुफिया समन्वय और प्रत्यर्पण से आतंक के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलती है। प्रधानमंत्री ने संयुक्त रूपसे कट्टरता और उग्रवाद की समस्या का समाधान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि कट्टरपंथ के समर्थकों केलिए किसीभी देशमें जगह नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने केलिए भारत के प्रयासों की जानकारी दी। सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर विभिन्न सम्मेलनों की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में इंटरपोल की महासभा, संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति के मुंबई में हुए एक विशेष सत्र का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि भारत वर्तमान 'नो मनी फॉर टेरर' सम्मेलन के माध्यम से आतंकी फंडिंग के खिलाफ वैश्विक आयाम बनाने में मदद कर रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक दिनकर गुप्ता भी उपस्थित थे।
'नो मनी फॉर टेरर' मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आतंकवादी संगठनों को गैरकानूनी ढंग से दी जानेवाली मदद रोकने पर मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय शासन की प्रभावशीलता और उभरती चुनौतियों का समाधान करने केलिए आवश्यक कदमों पर दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने वाले देशों और संगठनों को एक अनूठा मंच प्रदान करेगा। यह सम्मेलन हो चुके दो सम्मेलन (अप्रैल 2018 में पेरिस में और नवम्बर 2019 में मेलबर्न में आयोजित) के लाभों और सीखों पर आधारित है और आतंकवादियों को धन देने और उन्हें अपना कार्य करने की इजाजत मिलने के अधिकार से वंचित करने केलिए वैश्विक सहयोग बढ़ाने की दिशामें काम करेगा। इसमें मंत्रियों, बहुपक्षीय संगठनों के प्रमुखों और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों सहित दुनियाभर के करीब 450 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। सम्मेलन के दौरान चार सत्रों में विचार-विमर्श किया जाएगा, जो 'आतंकवाद और आतंकवाद के वित्तपोषण में वैश्विक रुझान', 'आतंकवाद केलिए धन के औपचारिक और अनौपचारिक चैनलों का उपयोग', 'उभरती प्रौद्योगिकियों और आतंकवादियों को गैरकानूनी तरीके से वित्तीय सहायता' तथा 'आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने में चुनौतियों का समाधान करने केलिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग' पर केंद्रित होगा।