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Thursday 1 December 2022 12:07:09 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की अध्यक्षता में अगले साल 2023 में होनेवाले जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा हैकि भारत अगले एक साल केलिए जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करने केलिए उत्साहित है, जी-20 समूह में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं-भारत, अमेरिका, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, ब्राजील, कनाडा, चीन, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मैक्सिको, रूस,सऊदी अरब और तुर्की। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत का जी-20 एजेंडा समावेशी, महत्वाकांक्षी, कार्रवाई उन्मुख और निर्णायक होगा। उन्होंने कहाकि जी-20 की पिछली 17 अध्यक्षताओं के दौरान वृहद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने, अंतर्राष्ट्रीय कराधान को तर्कसंगत बनाने और विभिन्न देशों के सिर से कर्ज के बोझ को कम करने समेत कई महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए, हम इन उपलब्धियों से लाभांवित होंगे तथा यहां से और आगे कीओर बढ़ेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अब जबकि भारत ने इस महत्वपूर्ण पद को ग्रहण कर लिया है, मैं अपने आपसे यह पूछता हूंकि क्या जी-20 अभीभी और आगे बढ़ सकता है? क्या हम समग्र मानवता के कल्याण केलिए मानसिकता में मूलभूत बदलाव को उत्प्रेरित कर सकते हैं? प्रधानमंत्री ने कहाकि मेरा विश्वास हैकि हम ऐसा करसकते हैं, हमारी परिस्थितियां ही हमारी मानसिकता को आकार देती हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की जी-20 की अध्यक्षता दुनिया में एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने कीओर काम करेगी, इसलिए हमारी थीम-'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' है, ये सिर्फ एक नारा नहीं है, ये मानवीय परिस्थितियों में उन हालिया बदलावों को ध्यान में रखता है, जिनकी सराहना करने में हम सामूहिक रूपसे विफल रहे हैं। उन्होंने कहाकि हमारे पास लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने केलिए पर्याप्त उत्पादन करने के साधन हैं, हमें अपने अस्तित्व केलिए लड़ने की जरूरत नहीं है, हमारे युग को युद्ध का युग होने की जरूरत नहीं है, ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना कररहे हैं, उनका समाधान आपस में लड़कर नहीं, बल्कि मिलकर काम करके ही निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सौभाग्य से आजकी जो तकनीक है, वह हमें मानवता के व्यापक पैमाने पर समस्याओं का समाधान करने का साधन भी प्रदान करती है, हम जिस विशाल वर्चुअल दुनिया में रहते हैं, वह डिजिटल प्रौद्योगिकियों की मापनीयता को प्रदर्शित करती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत इस सकल विश्व का सूक्ष्मजगत है, जहां विश्व की आबादी का छठवां हिस्सा रहता है और जहां भाषाओं, धर्मों, रीति-रिवाजों और विश्वास की विशाल विविधता है। उन्होंने कहाकि सामूहिक निर्णय लेने की सबसे पुरानी ज्ञात परंपराओं वाली सभ्यता होने के नाते भारत दुनिया में लोकतंत्र के मूलभूत डीएनए में योगदान देता है। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र की जननी के रूपमें भारत की राष्ट्रीय सहमति किसी फरमान से नहीं, बल्कि करोड़ों स्वतंत्र आवाज़ों को एक सुरीले स्वर में मिलाकर बनाई गई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत सबसे तेजीसे बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है और हमारे प्रतिभाशाली युवाओं की रचनात्मक प्रतिभा का पोषण करते हुए हमारा नागरिक केंद्रित शासन मॉडल एकदम हाशिए पर पड़े नागरिकों का भी ख्याल रखता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमने राष्ट्रीय विकास को ऊपर से नीचे की ओरके शासन की कवायद नहीं, बल्कि एक नागरिक नेतृत्व वाला 'जन आंदोलन' बनाने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने ऐसी डिजिटल जनउपयोगिताएं निर्मित करने केलिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है, जो खुली, समावेशी और अंतर संचालनीय हैं, इनके कारण सामाजिक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान जैसे विविध क्षेत्रों में क्रांतिकारी प्रगति हुई है, इन सभी कारणों से भारत के अनुभव संभावित वैश्विक समाधानों केलिए अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि जी20 अध्यक्षता के दौरान हम भारत के अनुभव, ज्ञान और प्रारूप को विशेष रूपसे विकासशील देशों केलिए एक संभावित टेम्प्लेट के रूपमें प्रस्तुत करेंगे, जी-20 प्राथमिकताओं को न केवल हमारे जी-20 भागीदारों, बल्कि वैश्विक दक्षिण में हमारे साथ चलनेवाले देशों, जिनकी बातें अक्सर अनसुनी करदी जाती हैं के परामर्श से निर्धारित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारी प्राथमिकताएं पृथ्वी को संरक्षित करने, सद्भाव पैदा करने और भविष्य को आशांवित करने पर केंद्रित होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अपने प्लेनेट को पोषित करने केलिए हम भारत की प्रकृति की देखभाल करने की परंपरा के आधार पर स्थायी और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साहित करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि मानव परिवार के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने केलिए हम खाद्य, उर्वरक और चिकित्सा उत्पादों की वैश्विक आपूर्ति को गैर-राजनीतिक बनाने की कोशिश करेंगे, ताकि भू-राजनीतिक तनाव मानवीय संकट का कारण न बनें जैसा हमारे अपने परिवारों में होता है, जिनकी जरूरतें सबसे ज्यादा होती हैं, हमें उनकी चिंता सबसे पहले करनी चाहिए। उन्होंने कहाकि हमारी आनेवाली पीढ़ियों में उम्मीद जगाने केलिए हम बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों से पैदा होनेवाले जोखिमों को कम करने और वैश्विक सुरक्षा बढ़ाने पर सर्वाधिक शक्तिशाली देशों केबीच एक ईमानदार बातचीत को प्रोत्साहन प्रदान करेंगे। उन्होंने कहाकि आइए हम भारत की जी20 अध्यक्षता को संरक्षण, सद्भाव और उम्मीद की अध्यक्षता बनाने केलिए एकजुट हों और मानवकेंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को स्वरुप देने केलिए साथ मिलकर काम करें।