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Wednesday 05 June 2013 09:53:55 AM
नई दिल्ली। नक्सल हिंसा और इस जैसी विकट समस्याओं एवं आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सहमति और असहमति के दौर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सभी राज्यों से राजनीति से ऊपर उठ कर उपाय करने पर जोर दिया तो अनेक राज्यों ने इन समस्याओं का ठीकरा केंद्र की नीतियों पर फोड़ा। बैठक में एक भारी गतिरोध के साथ इन समस्याओं के कुछ ही बिंदुओं पर समानता थी, अलबत्ता गैर कांग्रेसी शासित राज्य इन समस्याओं पर प्रधानमंत्री के कुछ तर्कों एवं दावों से सहमत नज़र नहीं आए, इसलिए कुछ औपचारिक रस्मों के साथ हुई यह बैठक किसी खास नतीजे तक नहीं पहुंच सकी, विषय बहुत गंभीर था।
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा कि यह बैठक कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं, कार्यकर्ताओं और उनके सुरक्षा कार्मिकों पर वामपंथी उग्रवादियों के अमानवीय आक्रमण की पृष्ठभूमि में हो रही है, इस तरह की हिंसक कार्रवाई का हमारे लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है, केंद्र और राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसी बातें दोबारा न हों, सहयोग करें। उन्होंने कहा कि मैंने नोट किया है कि इस सम्मेलन की कार्यसूची में एक विशेष अधिवेशन वामपंथी उग्रवादियों के बारे में रखा गया है, मेरा आपसे आग्रह है कि कुछ ठोस सुझाव दें, ताकि नक्सलवाद के खतरे से निपटा जा सके, नक्सलवाद एक चुनौती है, इस चुनौती से निपटने के लिए हमने दोहरी रणनीति अपनाई है-पहली है समयपूर्व कार्रवाई करना और माओवादी उग्रवादियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई का संचालन करना, इसके साथ ही विकास और सुशासन पर भी ध्यान देना, जो वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, इस दोहरी रणनीति के अंग के रूप में अनेक उपाय किए गए हैं, इनमें सुरक्षा तंत्र को मजबूत करना, अधिकांश वामपंथी उग्रवाद प्रभावित 34 जिलों में सड़क संपर्क बेहतर बनाना और प्रभावित इलाकों में विभिन्न विकास स्कीमों के बारे में मापदंडों में उदारता बरतना और 82 चुनिंदा आदिवासी और पिछड़े जिलों में एकीकृत कार्य योजना लागू करना।
प्रधानमंत्री ने दावा किया हमें इन मामलो में कुछ सफलती भी मिली है, पिछले कुछ वर्षों के दौरान वामपंथी उग्रवादी ग्रुपों की कार्रवाई की घटनाओं और इनके कारण मौतों में काफी कमी आई है, साथ ही, बड़ी संख्या में नक्सलवादियों ने आत्मसमर्पण भी किया है, लेकिन पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की घटना की तरह हिंसक आक्रमण होते रहते हैं, इन बड़े हमलों का सफाया करने के लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी तरफ से इस सिलसिले में कदम उठाना शुरू कर दिया है, इस कवायद में मंत्रिमंडल सचिव, गृह सचिव और खुद मेरा कार्यालय शामिल रहे हैं, इससे वामपंथी उग्रवादियों के खिलाफ हमारी रक्षात्मक और आक्रमण संबंधी क्षमताएं मजबूत हुई हैं और मुझे उम्मीद है कि राज्य सरकारें भी हमारे साथ पूरी तरह से सहयोग करेंगी, जिससे हमारे प्रयासों को और धार मिलेगी। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद से निपटने की रणनीति पर एक व्यापक राष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए सरकार ने 10 जून को सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक भी बुलाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 2012 में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला है, सीमा पार से घुसपैठ रोकने की हमारी रणनीति जम्मू-कश्मीर में खुफिया कार्रवाई जवाबी आतंकवाद पर आधारित रही है, इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2012 में 2011 के मुकाबले आतंकवादी हिंसा में एक तिहाई कमी आई, 2012 में राज्य में जितने पर्यटक और तीर्थयात्री आए, वह एक रिकार्ड है और उससे राज्य की सुरक्षा स्थिति में सुधार की भी झलक मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर भारत में भी सुरक्षा की स्थिति जटिल बनी हुई है, वहां अशांति, जबरन धन वसूली और आंदोलन सत्ता विरोधियों द्वारा किए जा रहे हैं, लेकिन अनेक असंतुष्ट समूहों और अलगाववादी ग्रुपों के साथ संवाद में काफी प्रगति हुई है, असम में दीमा हसाओ के दीमा हालम दावोगाह के दोनों गुटों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, फरवरी 2013 में तीन मेतेई विद्रोही समूहों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, नेशनल सोशलिस्ट कॉउंसिल ऑफ नागालैंड के साथ भी वार्ता जारी है, गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) का गठन अगस्त 2012 में गोरखालैंड क्षेत्र के प्रशासन तथा उसका समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए एक स्वायतशासी संस्था के रूप में किया गया था, केंद्र जीटीए क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे को विकसित करने की परियोजनाओं पर तीन साल तक दो सौ करोड़ रूपये सालाना वित्तीय सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम उन सभी गुटों और संगठनों के साथ बातचीत करके किसी संतोषजनक नतीजे तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हिंसा का रास्ता छोड़कर हमारे संविधान के ढांचे के तहत समस्याएं सुलझाना चाहते हैं। हम पूर्वोत्तर राज्यों को उनकी कानून और व्यवस्था लागू करने की क्षमताओं को बढ़ावा देने की सहायता जारी रखने के लिए भी समानरूप से प्रतिबद्ध हैं, ताकि पूर्वोत्तर के लोग लोकतंत्र के और विकास के फायदों का आनंद ले सकें।
उन्होंने बैठक का ध्यान आंतरिक सुरक्षा से जुड़े दो मुद्दों की ओर खींचा। पहला-साल 2012 के दौरान सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की घटनाओं की संख्या और उनकी तीव्रता बढ़ी है, देश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाये रखना बेहद आवश्यक है, राज्य सांप्रदायिक ताकतों से सख्ती से निपटें। इसके साथ ही हमें अपने समाज के अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्गों विशेषकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की विशेष जरूरतों को पहचानने और उन्हें पूरा करने की भी जरूरत है। दूसरा मामला जिस पर हमें सामूहिक कार्रवाई करने की जरूरत है, वह है महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध। राज्य पुलिस बलों का क्षमता निर्माण और आधुनिकीकरण आतंकवाद से लेकर शहर की व्यवस्था करने जैसी आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों से निपटने के लिए नितांत आवश्यक है। राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के काम की अवधि करीब बारह हजार करोड़ रूपये की लागत से पाँच वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है। कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, बंगलुरू, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े महानगरों की व्यवस्था के लिए चार सौ 33 करोड़ रूपये अलग से मुहैया कराये गये हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा प्रबंधन और तटीय सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है, भारत बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने तथा अतिरिक्त सीमा चौकियां बनाने, भारत-चीन, भारत-नेपाल और भारत-भूटान के साथ सड़कों का निर्माण और मरम्मत करने, साथ ही साथ भारत-पाकिस्तान और भारत-नेपाल सीमाओं पर एकीकृत सीमा चौकियों के विकास पर पहले से कहीं ज्यादा ध्यान और प्राथमिकता दी जा रही है, हम सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम तथा तटीय सुरक्षा योजना के चरण-2 का कार्यान्वयन जारी रखे हुए हैं। मनमोहन सिंह ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा और वामपंथी उग्रवाद की चुनौतियों से समग्र रूप से निपटा जाए, मुझे लगता है कि हममें से हरेक को इन मसलों पर पूरी तरह वस्तुनिष्ठ रवैया अपनाना होगा और राष्ट्र के हित में काम करते हुए संकुचित राजनीतिक और विचाराधारा संबंधी मतभेदों से ऊपर उठना होगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और समाज के सभी वर्गों से अपील की कि इन गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए कारगर तरीके और साधन तलाशने हेतु सब मिलकर काम करें।