मनोज ‘मौन’
Thursday 06 June 2013 07:52:23 AM
नई दिल्ली। भारत के विशाल भाग में हिमालय की बहुत ही अहम भूमिका है, जिसके आधार पर यह राष्ट्र विश्व में आकर्षक राष्ट्र के रूप में प्रसिद्ध है। पर्यावरण की दृष्टि से यदि देखा जाए तो उत्तरीय भाग में हिमालय का अंशदान पर्यावरण का एक विराट संरक्षक है, वहीं पर दक्षिण भाग में कम ऊंचे, परंतु हरे-भरे वनों का भंडार केरल के तटवर्ती इलाकों में भी है, इसके बाद भी भूकंप का एक विशाल जाल है, जो हिमालय के इर्दगिर्द इन दिनो मंडरा रहा है। हाल ही में इरान और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित खार में 7.8 की रिक्टर तीव्रता का भूकंप 16 अप्रैल 2013 को आया, जो पृथ्वी की सतह से 82 किलोमीटर नीचे स्थित था, इसीक्रम में चीन में 19 अपैल 2013 को सिचुआन स्थित चेंगुडु में 5.3 की रिक्टर तीव्रता का भूकंप 13 किलोमीटर नीचे स्थित था, 24 अपैल 2013 को हिंदूकुश अफगानिस्तान में 5.6 रिक्टर तीव्रता का भूकंप पृथ्वी की सतह से 62.1 किलोमीटर नीचे स्थित था।
भारत की भूमि भी इन भूकंपों से अछूती नहीं रही है, क्योंकि इनका असर गुजरात, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमांचल प्रदेश, जम्मू काश्मीर, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में हुआ, जो कि लगभग आधे भारत के बराबर का क्षेत्र है। दिनांक 16 अप्रैल 2013 को ही सुबह गुवाहाटी क्षेत्र भी नहीं बचा था, यहां पर भी भूकंप का प्रकोप हुआ। इन भूकंपों की कड़ी कुछ इस तरह है कि यह स्वतः ही भारतीय भू-भाग के हिमालय की ओर खिसकने की बात की पुष्टि करता है। दिनांक 1 मई को भारत के जम्मू और हिमांचल की सीमा से लगे बादरवा इलाके में 5.8 की तीव्रता वाले भूकंप का झटका आया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत जम्मू के किश्तवाड़ में हो गई, जिसका प्रभाव क्षेत्र राजधानी दिल्ली समेत श्रीनगर, जम्मू, शिमला, चंडीगढ़, पंजाब हरियाणा रहा। इसी क्षेत्र मे अप्रैल माह में 24 अप्रैल को5.7 व 16 अप्रैल को 7.8 की तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र इरान में था।
दिनांक 21 अप्रैल को सिचुआन प्रांत के लुशान में प्रातः 8 बजे 7.0 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 2500 हजार से भी अधिक लोग घायल हुए। लुशान और लोंगमेन में पुराना शहर होने के कारण काफी इमारतें ध्वस्त हुईं। भूकंप के दौरान काफी भू-स्खलन हुआ, जिससे सड़क मार्ग भी अवरूद्ध हो गया और राहत कार्य भी प्रभावित हुआ, फिर भी उच्च स्तरीय राहत कार्य के चलते ही वहां घायलों को इलाज मुहैया कराने में सुविधा हुई और लोगों को सही समय पर राहत सुविधा के तौर पर 30,000 तंबू 50,000 कंबल व 10,000 बिस्तर 6000 राहतकर्मी के साथ मिल सके।
भूकंप से बचाव के लिए सदैव ही तैयार रहना चाहिए। यहां पर कुछ उपाय सुझाए जा रहे हैं, जिनका प्रयोग आप भूकंप के दौरान कर सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं। भूकंप के दौरान किए जाने वाले उपाय इस प्रकार हैं-जैसे परेशान होकर हड़बड़ाएं नहीं और शांत रहें, यदि आप इस दौरान घर के अंदर हैं तो कांच व इससे बनी हुई वस्तुओं और लटकने वाली वस्तुओं से दूर रहे और मजबूत फर्नीचर या सीढ़ियों के नीचे जाकर अपने को सुरक्षित करें, मगर अपना धैर्य बनाए रखें, यदि आप घर से बाहर की ओर हैं, तो इस दौरान आप बिजली के तारों और भवनों से दूरी बनाकर खुले या पार्क जैसे स्थान की ओर चले जाएं। साथ ही बिल्डिंग से बाहर की ओर भागने हेतु भगदड़न मचायें, यदि आप वाहन चला रहे हैं, तो वाहन को धीरे से सामान्य प्रक्रिया से रोक दें और जबतक कंपन्न जारी है, वाहन में ही बने रहें, यदि आप लिफ्ट में हैं तो यथाशीघ्र ही लिफ्ट से बाहर की ओर आ जायें, यदि आप किसी टनल से गुजर रहे हैं तो शीघ्र ही वहां से बाहर की ओर निकलें, ऐसा करके आप सुरक्षित हो सकते हैं।
भूकंप के उपरांत किए जाने वाले उपाय इस प्रकार हैं-दुर्घटना से बचाव हेतु मदद की मांग करें, यदि आप को गैस के रिसाव होने, पानी के रिसाव का आभास हो तो अवश्य ही सूचित करें और यदि हो सके तो उसके बहाव के मुख्य स्थान से बंद करने का प्रयास जरूर करें। गैस रिसाव की दशा में बिजली के किसी भी स्विच को आन न करे साथ ही आग का किसी भी प्रकार का प्रयोग न करें। ऐसे स्थान से फोन का प्रयोग भी न करें, पहले उस स्थान से दूर सुरक्षित स्थान की ओर जाएं फिर सूचना दें। किसी भी क्षतिग्रस्त इमारत से दूरी को बनाए रखें, क्योंकि भूकंप के बाद आने वाले झटकों से इमारत के गिरने का अंदेशा सदैव ही बना रहता है। यहां एक बात और भी ध्यान देने वाली है कि यदि भूकंप प्रभावित क्षेत्र यदि समुद्र तटीय है तो ऐसी दशा में भूकंप के बाद सुनामी का भी खतरा बना रहता है, ऐसी स्थिति में आपको किसी उंचे स्थान की ओर चले जाना चाहिए, जिससे कि जान के होने वाले नुकसान से बचा जा सके। यहां यह बात ध्यान देने वाली है कि यदि कांकरीट की बनी बहुमंजिला इमारत पास हो उसमें शरण नहीं लेना चाहिए।
भारत एक धार्मिक देश है, जिससे यहां पर लोग भूकंप से बचने के लिए जम्मू परिक्षेत्र में जहां पर हिंदुओं समुदाय द्वारा पूजा अर्चना की जा रही है, वहीं पर मुस्लिम समुदाय द्वारा बलि देकर अल्लाह से दुआएं मांगी गई हैं कि इस परिक्षेत्र को भूकंप से बचाए रखे, जिससे कि जान माल की क्षति न हो और लोग सुखी जीवन यापन करने पाएं। इससे प्रतीत होता है कि हिमालयी क्षेत्र में लोग कितने भयातीत हैं, कि यहां पर भूकंप कभी भी अपना कोप फैला सकता है।