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Tuesday 10 January 2023 12:12:57 PM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया-2023 केलिए नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के आयोजित राजदूतों की गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता की, जिसमें 80 से अधिक देशों के राजदूत, उच्चायुक्त, प्रभारी राजदूत और रक्षा अताशे शामिल हुए। रक्षामंत्री ने उनसे अपनी-अपनी रक्षा और एयरोस्पेस कंपनियों को इस वैश्विक आयोजन में भाग लेने केलिए प्रोत्साहित करने का अनुरोध किया। उन्होंने एशिया के सबसे बड़े और 14वें एयरो शो एयरो इंडिया-2023 में भाग लेने केलिए दुनियाभर के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है, जो 13 से 17 फरवरी 2023 केबीच बेंगलुरु में होगा। रक्षामंत्री ने एयरो इंडिया का एक प्रमुख वैश्विक विमानन व्यापार मेले के रूपमें वर्णन किया, जो एयरोस्पेस उद्योग सहित भारतीय विमानन-रक्षा उद्योग को अपने उत्पादों, प्रौद्योगिकियों और समाधानों का राष्ट्रीय निर्णय निर्माताओं के सामने प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने बतायाकि पांच दिवसीय शो में भारतीय वायुसेना के हवाई प्रदर्शन केसाथ प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा व्यापार प्रदर्शनी का समायोजन देखने को मिलेगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि रक्षा और एयरोस्पेस उद्योगों में प्रमुख उद्यमियों और निवेशकों के अलावा यह आयोजन दुनिया के जानेमाने रक्षा चिंतकों और रक्षा से संबंधित निकायों की भागीदारी काभी साक्षी बनेगा। उन्होंने कहाकि एयरो इंडिया वास्तव में विमानन उद्योग में सूचनाओं, विचारों और नए तकनीकी विकास के आदान-प्रदान केलिए एक विशिष्ट अवसर प्रदान करेगा। एयरो इंडिया-2021 की सफलता का स्मरण करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि इसके पिछले संस्करण में 600 से अधिक प्रदर्शकों की भौतिक रूपसे और 108 से अधिक की वर्चुअल उपस्थिति रही थी। उन्होंने कहाकि इसमें 63 देशों की भागीदारी देखी गई थी और लगभग 3,000 बिजनेस-टू-बिजनेस बैठकें आयोजित की गईं। उन्होंने डेफएक्सपो-2022 की सफलता के बारेमें बतायाकि इसमें 1,340 से अधिक प्रदर्शकों, व्यवसायों, निवेशकों, स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई, सशस्त्र बलों और अनेक देशों के प्रतिनिधियों की अनूठी भागीदारी देखी गई थी। उन्होंने कहाकि 451 समझौता ज्ञापनों का निष्कर्ष, प्रौद्योगिकी समझौतों का हस्तांतरण, उत्पाद लॉंच और घरेलू व्यवसायों केलिए ऑर्डर लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये के रहे थे, जो डेफएक्सपो की सफलता को प्रमाणित करते हैं।
रक्षामंत्री ने एयरो इंडिया-2023 में प्रदर्शकों और मित्र देशों के प्रतिनिधियों की बड़ी संख्या में उपस्थिति की उम्मीद जाहिर करते हुए कहाकि हम उन भागीदारियों का समर्थन करने केलिए प्रतिबद्ध हैं, जो अबतक बनी हैं और हम इस प्रकार भविष्य के विकास केलिए भी नए बंधन बना रहे हैं। राजनाथ सिंह ने भारत की बढ़ती रक्षा औद्योगिक क्षमताओं का व्यापक विवरण देते हुए कहाकि विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की दिशामें जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं, जो विशेष रूपसे ड्रोन, साइबर टेक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रडार आदि के उभरते हुए क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। उन्होंने कहाकि एक मजबूत रक्षा विनिर्माण इकोसिस्टम बनाया गया है, जिसके कारण भारत अभी हालके वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूपमें उभरा है, पांच वर्ष में रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ा है और अब भारत 75 से अधिक देशों को निर्यात कर रहा है। उन्होंने कहाकि हमारी बड़ी आबादी और प्रचुर मात्रा में कुशल कार्यबल की मौजूदगी ने उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में स्टार्ट-अप के नेतृत्व में एक समृद्ध नवाचार इकोसिस्टम का निर्माण किया है, इसके बदले में ये स्थापित अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और उद्योगों केसाथ तुलनात्मक रूपसे कम लागत पर उच्च रक्षा प्लेटफार्मों और प्रणालियों के विकास एवं निर्माण केलिए सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारतीय एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र भविष्य की चुनौतियों से निपटने और उभरते अवसरों का लाभ उठाने केलिए तैयार है।
रक्षामंत्री ने कहाकि भारत ने स्वदेशी रूपसे हल्के लड़ाकू विमान का उत्पादन किया है और देशमें लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर का निर्माण भी किया जा रहा है। राजनाथ सिंह ने कहाकि मेक इन इंडिया की दिशामें सरकार के प्रयास न तो अलगाव को बढ़ाना देने वाले हैं और न ही वे केवल भारत केलिए हैं। उन्होंने कहाकि आत्मनिर्भरता की पहल हमारे भागीदार देशों केसाथ साझेदारी के एक नए प्रकार की शुरुआत है, वैश्विक रक्षा उद्योग के दिग्गजों केसाथ साझेदारी की जा रही है, हालही में हमने भारतीय वायुसेना केलिए सी-295 विमान के निर्माण को लेकर टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एसए केबीच सहभागिता के जरिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहाकि 'मेक इन इंडिया' में 'मेक फॉर द वर्ल्ड' शामिल है। यह सभी केलिए रक्षा अनुसंधान व विकास और उत्पादन में संयुक्त प्रयासों एवं साझेदारी को लेकर एक खुली पेशकश में रूपांतरित हो गया है। रक्षामंत्री ने 'साझेदारी' और 'संयुक्त प्रयास' को दो ऐसे कीवर्ड (सूचक शब्द) बताया, जो अन्य राष्ट्रों केसाथ भारत की रक्षा उद्योग साझेदारी को अलग करता है। उन्होंने इस बात को दोहरायाकि भारत विश्व व्यवस्था की एक सोपानक्रमिक अवधारणा में विश्वास नहीं करता है, जहां कुछ देशों को दूसरों से श्रेष्ठ माना जाता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंध मानव समानता और गरिमा के मूल तत्व से निर्देशित हैं, जो हमारे प्राचीन लोकाचार का एक हिस्सा है, हम ग्राहक या किसी के अधीन राष्ट्र बनाने या बनने में विश्वास नहीं करते हैं और इसलिए जब हम किसी राष्ट्र केसाथ साझेदारी करते हैं तो यह संप्रभु समानता एवं पारस्परिक सम्मान के आधार पर होता है। उन्होंने कहाकि संबंधों को बनाना भारत का स्वभाव है, क्योंकि हम एक सुरक्षित और समृद्ध विश्व के अपने वांछित लक्ष्य की दिशा में काम करते हैं। राजनाथ सिंह ने खरीदार एवं विक्रेता के संबंध को सहविकास और सहउत्पादन प्रारूप से आगे बढ़ाने के सरकार के प्रयास के रूपमें व्याख्या की। उन्होंने कहाकि हम एक प्रमुख रक्षा खरीदार होने केसाथ एक प्रमुख रक्षा निर्यातक भी हैं, जब हम अपने नजदीकी भागीदार देशों से रक्षा उपकरण की खरीद करते हैं, तब अधिकांश अवसरों पर वे तकनीकी जानकारी साझा करते हैं, भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करते हैं और विभिन्न उपप्रणालियों केलिए हमारी स्थानीय कंपनियों केसाथ काम करते हैं और जब हम अपने रक्षा उपकरणों का निर्यात करते हैं, तब तकनीक, प्रशिक्षण, सहउत्पादन आदि को साझा करके खरीदार की क्षमता के विकास केलिए अपना पूरा समर्थन देते हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत एक ऐसी साझेदारी की पेशकश करता है, जिसमें विभिन्न विकल्प शामिल होते हैं, जो राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुकूल हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि हम आपके साथ निर्माण करना चाहते हैं, हम आपके साथ प्रक्षेपण करना चाहते हैं और हम आपके साथ विनिर्माण करना चाहते हैं। उन्होंने कहाकि एक पुरानी अफ्रीकी कहावत हैकि 'अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलें, अगर दूर तक जाना है तो साथ चलें।' हम दूर तक जाने का संकल्प रखते हैं और हम इसे एकसाथ मिलकर करना चाहते हैं, बिल्कुल इसी तरहसे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को संचालित किया जाना चाहिए। रक्षामंत्री ने भारत की जी20 अध्यक्षता पर कहाकि यह शिखर सम्मेलन एक प्रमुख भू-राजनीतिक संकट, खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं, सतत विकास लक्ष्यों पर तुलनात्मक रूपसे धीमी प्रगति, बढ़ते सार्वजनिक ऋण बोझ और तत्काल जलवायु परिवर्तन संबंधी मुद्दों के बड़े संदर्भ में हो रहा है। उन्होंने जी20 देशों केबीच आम सहमति बनाने, अधिक सुरक्षित, समृद्ध, टिकाऊ और न्यायसंगत विश्व के एजेंडे को आकार देने केलिए भारत के प्रयास का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि जी20 अध्यक्ष के रूपमें भारत अपने 3-डी यानी डेवलपमेंट, डेमोक्रेसी और डाइवर्सिटी को विश्व के सामने प्रदर्शित करेगा।
रक्षा सचिव गिरिधर अरमने ने अपनी टिप्पणी में कहाकि जब विश्व अभिनव समाधानों की तलाश कर रहा है, तब भारत एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण के एक केंद्र के रूपमें तेजीसे उभर रहा है। उन्होंने कहाकि एयरो इंडिया-2023 प्रदर्शकों एवं प्रतिभागियों को अपने विचारों के आदान-प्रदान और एयरोस्पेस एवं रक्षा निर्माण में उत्कृष्टता प्राप्त करने केलिए अपनी तलाश को पूरा करने को लेकर सहयोग करने का अवसर प्रदान करेगा। राजदूतों के सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधियों को एयरो इंडिया-2023 का विस्तृत विवरण दिया गया। 'द रनवे टू ए बिलियन अपॉर्चुनिटीज' की विषयवस्तु केसाथ यह पांच दिवसीय कार्यक्रम कर्नाटक के येलहंका में 1.08 लाख वर्गमीटर से अधिक के कुल क्षेत्रफल में वायुसेना स्टेशन में आयोजित किया जाएगा। अबतक इस कार्यक्रम केलिए 645 से अधिक प्रदर्शकों ने अपना पंजीकरण कराया है और 80 देशों ने अपनी भागीदारी की पुष्टि की है, इसके प्रमुख आयोजनों में रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन 'स्पीड' और एक सीईओ गोलमेज सम्मेलन शामिल हैं। सम्मेलन में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, सीडीएस जनरल अनिल चौहान, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल संजय महिंद्रू उपस्थित थे।