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Monday 23 January 2023 04:42:28 PM
पोर्ट ब्लेयर/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पराक्रम दिवस पर आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की और अपने एक ट्वीट के जरिए भारत के इतिहास में नेताजी के अद्वितीय योगदान को याद किया। उन्होंने कहाकि औपनिवेशिक शासन केप्रति नेताजी के उग्र प्रतिरोध केलिए उन्हें याद किया जाएगा, उनके विचारों से गहराई से प्रभावित होकर हम भारत केप्रति उनके दृष्टिकोण को साकार करने की दिशामें कार्य कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर एक कार्यक्रम में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जन्म जयंती है, जिसे देशभर में पराक्रम दिवस के रूपमें मनाया जा रहा है। उन्होंने कहाकि आज अंडमान निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण हुआ है, इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा, जिस द्वीप पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस रहे थे, वहां उनके जीवन और योगदानों को समर्पित एक प्रेरणास्थली स्मारक काभी शिलान्यास हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज केदिन को आज़ादी के अमृतकाल के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूपमें आनेवाली पीढ़ियां याद करेंगी, नेताजी का ये स्मारक शहीदों और वीर जवानों के नामपर ये द्वीप हमारे युवाओं केलिए आने वाली पीढ़ियों केलिए एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अंडमान निकोबार में पहलीबार मुक्त तिरंगा फहरा था, इस धरती पर पहली आज़ाद भारतीय सरकार का गठन हुआ था, इस सबके साथ वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश केलिए तप, तितिक्षा और बलिदानों की पराकाष्ठा को छुआ था। उन्होंने कहाकि सेल्यूलर जेल की कोठरियां, उस दीवार पर जड़ी हुई हर चीज आजभी अप्रतिम पीड़ा केसाथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर वहां पहुंचने वाले हर किसीके कान में सुनाई पड़ते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से स्वतंत्रता संग्राम की उन स्मृतियों की जगह अंडमान की पहचान को गुलामी की निशानियों से जोड़कर रखा गया था, हमारे आइलैंड्स के नामों तकमें गुलामी की छाप थी, पहचान थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनका सौभाग्य हैकि चार-पांच साल पहले जब वे पोर्ट ब्लेयर गए थे तो वहां उन्हें तीन मुख्य आइलैंड्स को भारतीय नाम देने का अवसर मिला था, आज रॉस आइलैंड नेताजी सुभाषचंद्र बोस द्वीप बन चुका है, हेवलॉक और नील आइलैंड स्वराज और शहीद आइलैंड्स बन चुके हैं और इसमें भी दिलचस्प येकि स्वराज और शहीद नाम तो खुद नेताजी का दिया हुआ था, इसको भी आजादी केबाद महत्व नहीं दिया गया था, जब आजाद हिंद फौज की सरकार के 75 वर्ष पूरे हुए तो हमारी सरकार ने इन नामों को फिरसे स्थापित किया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज 21वीं सदी का ये समय देख रहा हैकि कैसे जिन नेताजी सुभाष को आजादी केबाद भुला देने का प्रयास हुआ, आज देश उन्हीं नेताजी को पल-पल याद कर रहा है, अंडमान में जिस जगह नेताजी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, वहां आज गगनचुम्बी तिरंगा आज़ाद हिंद फ़ौज़ के पराक्रम का गुणगान कर रहा है। उन्होंने कहाकि देश के कोने-कोने से जब लोग यहां आते हैं तो समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देखकर उनके दिलों में देशभक्ति का रोमांच भरजाता है, अब अंडमान में उनकी याद में जो म्यूज़ियम और स्मारक बनने जा रहा है, वो अंडमान की यात्रा को और भी स्मरणीय बनाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि 2019 में नेताजी से जुड़े ऐसेही एक म्यूज़ियम का लोकार्पण दिल्ली के लाल किले में भी हुआ था, लाल किला जानेवालों केलिए वह एक प्रकार से हर पीढ़ी केलिए प्रेरणा स्थली की तरह है, इसी तरह बंगाल में उनकी 125वीं जयंती पर विशेष आयोजन हुए थे, देश ने इस दिनको पूरे धूमधाम से सेलिब्रेट किया था और उनके जन्मदिवस को पराक्रम दिवस के रूपमें घोषित किया गया यानी बंगाल से दिल्ली और अंडमान तक देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जो नेताजी को नमन न कर रहा हो, उनकी विरासत को संजो न रहा हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि बीते 8-9 वर्ष में नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जुड़े ऐसे कितने ही काम देश में हुए हैं, जिन्हें आज़ादी के तुरंत बादसे हो जाना चाहिए था, लेकिन उस समय नहीं हुआ, देश के एक हिस्से पर आज़ाद भारत की पहली सरकार 1943 में भी बनी थी, इस समय को अब देश ज्यादा गौरव केसाथ स्वीकार कर रहा है। उन्होंने कहाकि जब आज़ाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे हुए, तब लालकिले पर देश ने झंडा फहराकर नेताजी को नमन किया, दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग हो रही थी, ये कामभी देश ने पूरी श्रद्धा केसाथ आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सामने कर्तव्यपथ परभी नेताजी बोस की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है और मैं समझता हूंकि ये काम देशहित में बहुत पहले हो जाने चाहिएं थे, क्योंकि जिन देशों ने अपने नायक-नायिकाओं को समय रहते जनमानस से जोड़ा, सांझे और समर्थ आदर्श गढ़े, वो विकास और राष्ट्र निर्माण की दौड़ में बहुत आगे गए, इसलिए यही काम आज़ादी के अमृतकाल में भारत कर रहा है, जीजान से कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इन 21 द्वीपों के नामकरण मेभी गंभीर संदेश छिपे हैं, ये संदेश है-'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना, 'देश केलिए दिएगए बलिदान की अमरता का संदेश और भारतीय सेना के अद्वितीय शौर्य और पराक्रम का संदेश है। प्रधानमंत्री ने कहाकि परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से इन द्वीपों को जाना जाएगा, जिन्होंने मातृभूमि के कण-कण को अपना सब-कुछ माना था, उन्होंने भारत मां की रक्षा केलिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था, वे भारतीय सेना के वीर सिपाही देश के अलग-अलग राज्यों से थे, अलग-अलग भाषा, बोली, और जीवनशैली के थे, लेकिन मां भारती की सेवा और मातृभूमि केलिए अटूट भक्ति उन्हें एक करती थी, उनका एक लक्ष्य, एक राह, एक ही मकसद और पूर्ण समर्पण था। प्रधानमंत्री ने कहाकि जैसे समंदर अलग-अलग द्वीपों को जोड़ता है, वैसेही 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' का भाव भारत मां की हर संतान को एककर देती है, मेजर सोमनाथ शर्मा, पीरू सिंह, मेजर शैतान सिंह से लेकर कैप्टन मनोज पांडे, सूबेदार जोगिंदर सिंह और लांस नायक अल्बर्ट एक्का तक, वीर अब्दुल हमीद और मेजर रामास्वामी परमेश्वरन से लेकर सभी 21 परमवीर, सबके लिए एकही संकल्प था-राष्ट्र सर्वप्रथम! इंडिया फ़र्स्ट!
प्रधानमंत्री ने कहाकि उनका ये संकल्प अब इन द्वीपों के नाम से हमेशा केलिए अमर हो गया है, करगिल युद्ध में ये दिल मांगे मोर का विजयघोष करनेवाले कैप्टन विक्रम के नाम पर अंडमान में एक पहाड़ी भी समर्पित की जा रही है। उन्होंने कहाकि द्वीपों का नामकरण भारतीय सेनाओं काभी सम्मान है, पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, दूर-सुदूर, समंदर हो या पहाड़, इलाका निर्जन हो या दुर्गम, देश की सेनाएं देश के कण-कण की रक्षा में तैनात रहती हैं, आज़ादी के तुरंत बाद से ही हमारी सेनाओं को युद्धों का सामना करना पड़ा, हर मौके पर हर मोर्चे पर हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य को सिद्ध किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये देश का कर्तव्य हैकि राष्ट्र रक्षा अभियानों में स्वयं को समर्पित करने वाले जवानों, सेना के योगदानों को व्यापक स्तरपर पहचान दी जाए, आज देश उस कर्तव्य और ज़िम्मेदारी को पूरा करने का हर प्रयास कर रहा है, आज जवानों और सेनाओं के नाम से देश को पहचान दी जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अंडमान में पानी, प्रकृति, पर्यावरण, पुरुषार्थ, पराक्रम, परंपरा, पर्यटन, प्रबोधन और प्रेरणा सबकुछ है, देश में ऐसा कौन होगा, जिसका मन अंडमान आने का नहीं करता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अंडमान का सामर्थ्य बहुत बड़ा है, यहांपर अथाह अवसर हैं, हमें इन अवसरों, सामर्थ्य को जानना है, बीते 8 वर्ष में देश ने इस दिशा में लगातार प्रयास किए हैं। उन्होंने कहाकि कोरोना के झटकों के बादभी पर्यटन क्षेत्र में अब इन प्रयासों के परिणाम दिखाई देने लगे हैं, 2014 में देशभर से जितने पर्यटक अंडमान आते थे, 2022 में उससे करीब-करीब दोगुने लोग यहां आए हैं यानी पर्यटकों की संख्या दोगुनी हुई है तो पर्यटन से जुड़े रोज़गार और आय भी बढ़े हैं, इसके साथही पहले लोग केवल प्राकृतिक सौंदर्य के बारेमें सोचकर अंडमान आते थे, लेकिन, अब अंडमान से जुड़े स्वाधीनता इतिहास को लेकर भी उत्सुकता बढ़ रही है, अब लोग इतिहास को जानने और जीने केलिए भी यहां आ रहे हैं। उन्होंने कहाकि अंडमान निकोबार के द्वीप हमारी समृद्ध आदिवासी परंपरा की धरती भी रहे हैं, अब नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्मारक और सेना के शौर्य को देखने आने वालों से यहां पर्यटन और रोज़गार केभी असीम अवसर पैदा होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमारे देश की पहले की सरकारों में खासकर विकृत वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कम समझा है, चाहे हमारे हिमालयी राज्य हों, विशेषकर पूर्वोत्तर के राज्य हों या फिर अंडमान निकोबार जैसे समुद्री द्वीप क्षेत्र, इन्हें लेकर ये सोच रहती थीकि ये तो दूर-दराज के दुर्गम और अप्रासंगिक इलाके हैं, इसके कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई, इनके विकास को नज़रअंदाज किया गया, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह इसका भी साक्षी रहा है। उन्होंने कहाकि दुनिया में ऐसे कई देश, कई विकसित द्वीप हैं, जिनका आकार हमारे अंडमान निकोबार सेभी कम है, चाहे सिंगापुर, मालदीव्स, सेशेल्स हो ये देश अपने संसाधनों के सही इस्तेमाल से टूरिज्म का एक बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र बनगए हैं, दुनियाभर से लोग इन देशों में पर्यटन और बिज़नेस से जुड़ी संभावनाओं केलिए जाते हैं, ऐसा ही सामर्थ्य भारत के द्वीपों केपास भी है, हमारे यहां कितने द्वीप, कितने टापू हैं, इसका हिसाब-किताब तक नहीं रखा गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अब देश इस ओर आगे बढ़ रहा है, अब देश में प्राकृतिक संतुलन और आधुनिक संसाधनों को एकसाथ बढ़ाया जा रहा है, हमने 'सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर' के जरिए अंडमान को तेज इंटरनेट से जोड़ने का काम शुरू किया है, अब अंडमान मेभी बाकी देश की तरहही तेज इंटरनेट पहुंच रहा है, डिजिटल पेमेंट और दूसरी डिजिटल सेवाओं काभी तेजीसे विस्तार हुआ है, इसका भी बड़ा लाभ अंडमान आने-जाने वाले टूरिस्टों को हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अतीत में अंडमान निकोबार ने आज़ादी की लड़ाई को नई दिशा दी थी, उसी तरह भविष्य में ये क्षेत्र देश के विकास कोभी नई गति देगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं, जो सक्षम होगा, समर्थ होगा और आधुनिक विकास की बुलंदियों को छुएगा। वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से हुए इस कार्यक्रम में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल, चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ़, तीनों सेनाध्यक्ष, महानिदेशक भारतीय तटरक्षक, कमांडर-इन-चीफ अंडमान एवं निकोबार कमांड, अधिकारी, परमवीरचक्र से सम्मानित वीर जवानों के परिजन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।