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Thursday 2 February 2023 04:55:50 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान स्वतंत्र प्रभार एवं प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि विश्व भारत की ब्लू इकोनॉमी संसाधनों को पहचानता है और जमैका में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण द्वारा आधिकारिक तौरपर भारत को विशेष हितों वाले 'अग्रणी निवेशक' की श्रेणी में नामित किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। राज्यमंत्री ने यह बात अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण के महासचिव माइकल डब्ल्यू लॉज से मुलाकात के दौरान कही। माइकल लॉज केसाथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी था, जिसने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ एम रविचंद्रन के नेतृत्व में भारतीय टीम केसाथ एक विस्तृत बैठक की। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहलीबार ब्लू इकोनॉमी को उच्च प्राथमिकता दी गई है और अब इसे विश्वस्तर पर मान्यता मिल रही है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री ने 2021-2022 में लगातार दो साल अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में भारत के डीप सी मिशन का जिक्र किया है।
अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने डॉ जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में पीएमएन (पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स) अन्वेषण विस्तार अनुबंध का आदान-प्रदान किया। अनुबंध पर शुरुआत में 25 मार्च 2002 को 15 साल की अवधि केलिए हस्ताक्षर किएगए थे, जिसे बादमें अंतर्राष्ट्रीय समुद्री प्राधिकरण ने 2017 और 2022 के दौरान 5 साल की अवधि केलिए दो बार बढ़ाया था। डॉ जितेंद्र सिंह ने प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत किया और कहाकि भारत अपने 7500 किलोमीटर लंबे तटीय क्षेत्र केसाथ समुद्री संसाधनों की खोज और उपयोग में एक हितधारक होने केसाथ एक योगदानकर्ता भी है। उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डालाकि भारत का डीप सी मिशन नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख परियोजनाओं मेसे एक है। उन्होंने कहाकि मिशन केलिए 600 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है, जो भारत की समुद्री क्षमताओं को सामने लाएगी। राज्यमंत्री ने कहाकि आनेवाले समय में इस सेक्टर का भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान रहने वाला है।
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने समुद्रयान की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं काभी उल्लेख किया, जो भारत को उन देशों की विशिष्ट सूची में शामिल करेगा, जिन्होंने समुद्र की इतनी गहराई तक खोज करने की ऐसी उपलब्धि हासिल की है। डॉ जितेंद्र सिंह ने भारत के विशाल समुद्री हितों पर कहाकि भारत में ब्लू इकोनॉमी का देशके आर्थिक विकास केसाथ एक महत्वपूर्ण संबंध है। उन्होंने कहाकि भारत समुद्री और समुद्री क्षेत्रों में सतत विकास का समर्थन करने केलिए दीर्घकालिक रणनीति के एक हिस्से के रूपमें ब्लू ग्रोथ का प्रबल समर्थक है। उन्होंने कहाकि भारत अपनी व्यापक ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी फ्रेमवर्क लाने की प्रक्रिया में है, जिसका उद्देश्य तटीय अर्थव्यवस्था, पर्यटन, समुद्री मत्स्य पालन, प्रौद्योगिकी, कौशल विकास, नौवहन, गहरे समुद्र में खनन और क्षमता निर्माण को समग्र रूपमें कवर करना है। उन्होंने कहाकि ब्लू इकोनॉमी का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र की समुद्री आर्थिक गतिविधियों के भीतर स्मार्ट, टिकाऊ, समावेशी विकास, अवसरों को बढ़ावा देना और समुद्री संसाधनों, अनुसंधान एवं विकास के सतत दोहन केलिए उपयुक्त कार्यक्रम शुरू करना है।
गौरतलब हैकि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय अपने नोडल संस्थान राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान और राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे अन्य संबद्ध राष्ट्रीय संस्थानों के माध्यम से सर्वेक्षण और अन्वेषण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, प्रौद्योगिकी विकास खनन और निष्कर्षण धातुकर्म जैसे घटकों को कवर करते हुए पीएमएन अन्वेषण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम का अंतिम उद्देश्य टेस्ट माइनिंग साइट पर पायलट माइनिंग को प्रदर्शित करने केलिए प्रारंभिक कार्य को पूरा करना है। इसके तहत विभिन्न गतिविधियां कार्यान्वयन के अधीन हैं और प्रारंभिक कार्य की दिशामें महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जिसकी सूचना आईएसए को समय-समय पर वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के माध्यम से दीगई है। आईएसए के महासचिव ने इस अवसर पर कहाकि भारत एनर्जी ट्रांसमिशन के क्षेत्रमें बढ़ने केलिए बहुत अच्छी स्थिति में है और आईएसए आपसी सहयोग को आगे बढ़ाने केलिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय केसाथ सभी संभावित मोर्चों पर काम करने की उम्मीद कर रहा है।