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Thursday 9 February 2023 01:35:40 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब देते हुए कहा हैकि वह एक राजवंश के बजाय 140 करोड़ भारतीयों के परिवार के सदस्य हैं और उनका आशीर्वाद ही उनका सुरक्षा कवच है। प्रधानमंत्री ने भारत को लोकतंत्र की जननी बताते हुए इस तथ्य को रेखांकित कियाकि एक मजबूत लोकतंत्र केलिए रचनात्मक आलोचना महत्वपूर्ण है, आलोचना एक 'शुद्धि यज्ञ' की तरह है, रचनात्मक आलोचना के बजाय कुछ लोग बाध्यतावश आलोचना करते हैं। उन्होंने कहाकि पिछले नौ वर्ष के दौरान उन्होंने ऐसे आलोचक देखे हैं, जो रचनात्मक आलोचना के बजाय निराधार आरोप लगाते हैं, इस तरह की आलोचना उन लोगों को सही नहीं मालूम होगी, जो पहलीबार बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्रपति ने दोनों सदनों को अपने दूरदर्शी संबोधन में राष्ट्र को सटीक दिशा दी है, उन्होंने भारत की नारी शक्ति को प्रेरित किया है और भारत के जनजातीय समुदायों में गर्व की भावना उत्पन्न करते हुए उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अपनी विजनरी भाषण में राष्ट्रपति ने हम सबका मार्गदर्शन किया है, गणतंत्र के मुखिया के रूपमें उनकी उपस्थिति ऐतिहासिक है और देशकी कोटि-कोटि बहन-बेटियों केलिए बहुत बड़ा प्रेरणा का अवसर भी है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आदिवासी समाज का गौरव तो बढ़ाया ही है, लेकिन आजादी के इतने सालों केबाद आदिवासी समाज में जो गौरव की अनुभूति हो रही है, उनका जो आत्मविश्वास बढ़ा है, इसके लिए ये सदन और देशभी उनका आभारी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने राष्ट्र के संकल्प से सिद्धि का विस्तृत खाका प्रस्तुत किया है और तरह-तरह की चुनौतियां आ सकती हैं, लेकिन 140 करोड़ भारतीयों के दृढ़ संकल्प से देश, हमारे रास्ते में आनेवाली सभी बाधाओं को पार कर सकता है। उन्होंने कहाकि सदी में एकबार आनेवाली आपदा और युद्ध के दौरान देश को सटीक ढंग से संभालने से हर भारतीय आत्मविश्वास से भरा हुआ है, व्यापक उथल-पुथल केदौर मेभी भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। उन्होंने कहाकि आज विश्व में भारत को लेकर सकारात्मकता और आशा है, इस सकारात्मकता का श्रेय स्थिरता, भारत की वैश्विक साख, भारत की बढ़ती क्षमता और भारत में उभरती नई संभावनाओं को दिया। उन्होंने देश में भरोसे के माहौल पर प्रकाश डालते हुए कहाकि भारत में स्थिर और निर्णायक सरकार है और सुधार मजबूरी से नहीं, बल्कि दृढ़ विश्वास से लागू किए जाते हैं, दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देख रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 से पहले के दशक कीओर ध्यान दिलाया और कहाकि 2004 से 2014 केबीच के साल घोटालों से भरेरहे और साथही देशके कोने-कोने में आतंकवादी हमले हो रहे थे, इस दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी गई और वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज़ बहुतही कमजोर हो गई, वह युग मौके में मुसीबत वाला था। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया आशाभरी नज़रों से भारत की ओर देख रही है, इसका श्रेय दुनिया भारत की स्थिरता एवं संभावनाओं को देती है। उन्होंने कहाकि यूपीए केतहत भारत को खोया हुआ दशक कहा जाता था, जबकि आज लोग वर्तमान दशक को भारत का दशक कह रहे हैं। प्रधानमंत्री ने वंचित और उपेक्षित लोगों केप्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहाकि सरकार की योजनाओं का सबसे बड़ा लाभ दलितों, आदिवासियों, महिलाओं और कमजोर वर्गों को मिला है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की नारी शक्ति को सशक्त बनाने केलिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई है, जब भारत की माताएं सशक्त होती हैं तो लोग सशक्त होते हैं और जब लोग सशक्त होते हैं तो यह समाज को सशक्त बनाता है, जिससे देश सशक्त होता है। उन्होंने इस तथ्य कोभी रेखांकित कियाकि सरकार ने मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को पूरा किया है और उनकी ईमानदारी केलिए उन्हें सम्मानित भी किया है। प्रधानमंत्री ने इस बातपर जोर दियाकि भारतीय समाज में नकारात्मकता से निपटने की क्षमता है, लेकिन वह इस नकारात्मकता को कभी स्वीकार नहीं करता है। उन्होंने कहाकि राजनीतिक और विचारधाराओं में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन ये देश अजर-अमर है, आओ हम चल पड़ें-2047, आजादी के 100 साल मनाएंगे, एक विकसित भारत बनाकर रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहाकि वोट बैंक की राजनीति ने देश के सामर्थ्य को कभी-कभी बहुत बड़ा गहरा धक्का पहुंचाया है और उसीका परिणाम हैकि देश में जो होना चाहिए, जो समय पर होना चाहिए था, उसमें काफी देर हो गई। उन्होंने कहाकि देश को आगे बढ़ाना है तो भारत को आधुनिकता की तरफ ले जाए बिना कोई चारा नहीं है और समय की मांग हैकि अब समय नहीं गंवा सकते, इसलिए हमने इंफ्रास्ट्रक्चर की तरफ बहुत बड़ा ध्यान दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मुझे सार्वजनिक जीवन में 4-5 दशक हो गए और मैं हिंदुस्तान के गांवों से गुजरा हुआ इंसान हूं, 4-5 दशक तक उसमें से एक लंबा कालखंड परिव्राजक के रूपमें बिताया है, हर स्तर के परिवारों से बैठने-उठने, बात करने का अवसर मिला है, इसलिए भारत के हर भू भाग को समाज की हर भावना से परिचित हूं और मैं इसके आधार और बड़े विश्वास से कह सकता हूंकि भारत का सामान्य मानवी सकारात्मकता से भरा हुआ है, सकारात्मकता उसके स्वभाव, उसके संस्कार का हिस्सा है। उन्होंने कहाकि भारतीय समाज नकारात्मकता को सहन कर लेता है, स्वीकार नहीं करता है, ये उसकी प्रकृति नहीं है, भारतीय समुदाय का स्वभाव खुशमिजाज है, स्वप्नशील समाज है, सत्कर्म के रास्ते पर चलने वाला समाज है, सृजन कार्य से जुड़ा हुआ समाज है। उन्होंने विपक्षियों पर कटाक्ष करते हुए कहाकि मैं आज कहना चाहूंगा जो लोग सपने लेकर के बैठे हैंकि कभी यहां बैठते थे, फिर कभी मौका मिलेगा, ऐसे लोग जरा 50 बार सोचें, अपने तौर-तरीकों पर जरा पुनर्विचार करें, लोकतंत्र में आपको भी आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।