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दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय इंजीनियरिंग-प्रौद्योगिकी मेला

'इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षेत्र में भारत की विकास गाथा का उत्सव'

राष्ट्रपति ने देश की इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी उपलब्धियों को देखा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 16 February 2023 03:41:42 PM

president looked at the country's engineering and technology achievements

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी मेला-2023 का उद्घाटन किया और कहाकि भारत अपने उत्कृष्ट विनिर्माण अनुभव, उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभा और अत्याधुनिक उन्नत प्रौद्योगिकी उपलब्धियों का लाभ उठाते हुए अपने वैश्विक जुड़ाव का विस्तार करने के मिशन पर है, ऐसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं, जहां इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आनेवाली पीढ़ियों केलिए एक समृद्ध और सुरक्षित जगह बनाने केलिए दुनिया में बदलाव लाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही हैकि आईईटीएफ द्विवार्षिक कार्यक्रम का रजत जयंती संस्करण मना रहा है, जिसने 1975 में अपनी शुरुआत के बादसे एक दिलचस्प रास्ता तय किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि इस वर्ष यह आयोजन न केवल इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षेत्रमें भारत की विकास गाथा का उत्सव है, बल्कि उन्नत प्रौद्योगिकियों में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ केसाथ देश के सहयोग काभी एक प्रमाण है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि इसकी शुरुआत भारत के विनिर्माण कौशल को एक ऐसे चरण में प्रदर्शित करने केसाथ हुई है, जब देश अभीभी विकसित देशों की औद्योगिक क्रांतियों केसाथ तालमेल बिठाने केलिए संघर्ष कर रहा था। उन्होंने उल्लेख कियाकि वह शीत युद्ध का दौर था, जब दुनिया दो खेमों में बंटी हुई थी, वैश्वीकरण और आर्थिक एकीकरण दूर की अवधारणाएं थीं, ऐसे कठिन समय में आईईटीएफ की स्थापना वास्तव में एक प्रशंसनीय कदम था, जिसने शुरुआत मेही अपनी प्रतिध्वनि पाई। राष्ट्रपति ने कहाकि वास्तव में आईईटीएफ की यात्रा पथ प्रभावशाली है और इस आयोजन को भारत के विकास केलिए अग्रणी प्रौद्योगिकी और नवाचार मंच के रूपमें विकसित करने केलिए आईईटीएफ और भारतीय उद्योग परिसंघ की सराहना की। उन्होंने कहाकि अंतर्राष्ट्रीय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी मेले में 34 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और 25 देशों के लगभग 400 प्रदर्शक इस आयोजन को भव्य रूपसे सफल बनाने केलिए उत्साहपूर्वक योगदान दे रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहाकि 1985 में आईईटीएफ ने विदेशी भागीदारी को प्रोत्साहित करने केलिए एक भागीदार देशकी अवधारणा विकसित की, इटली तब उद्यमियों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की एक बड़ी टुकड़ी भेजकर पहला भागीदार देश बना। उन्होंने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि जापान ने आईईटीएफ आयोजनों में सर्वाधिक बार भागीदार देश बनने का गौरव अर्जित किया है इस वर्ष फिनलैंड ने आईईटीएफ केलिए दूसरीबार भागीदारी की है और हम कई क्षेत्रोंमें भारत-फिनलैंड के आर्थिक संबंधों को गहराते हुए देख रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि इस अवधि के दौरान इंजीनियरिंग उद्योग ने नई ऊंचाई हासिल की है, आज यह भारत के उद्योग का एक मजबूत, बहुस्तरीय, विविध खंड है, जो विकास को चलाने, रोज़गार सृजित करने और निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहाकि हाल के दिनों में अपनाई गई नीतियों ने अभूतपूर्व समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है, अर्थव्यवस्था के तेजीसे डिजिटलीकरण और सामाजिक स्तरपर इसकी स्वीकृति ने एक नई क्षमता को उजागर किया है, जिसने उच्च विकास के नए रास्ते बनाए हैं, यह अकारण नहीं हैकि स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के विकास में भारत तीसरे देश के रूपमें रैंक करता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि आज भारत का विनिर्माण क्षेत्र विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी और संपन्न है, रक्षा एयरोस्पेस जैसे अत्यधिक परिष्कृत क्षेत्रों से लेकर मोबाइल फोन के निर्माण तक भारत सबसे पसंदीदा गंतव्य के रूपमें उभरा है। उन्होंने कहाकि भारत केपास अंतर्राष्ट्रीय बाजारों केसाथ जुड़ने की महत्वपूर्ण क्षमता है। उन्होंने कहाकि स्वच्छ ऊर्जा केप्रति हमारी प्रतिबद्धता हमारे हरित विकास को चला रही है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना की जाती है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत 2070 में शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को प्राप्त करने केलिए दृढ़ता से आगे बढ़ रहा है और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में तेजी से प्रगति केलिए हमें दुनियाभर में सराहना मिल रही है, हम इस खूबसूरत ग्रह को आनेवाली पीढ़ियों केलिए बचाने केलिए प्रकृति के उपहार के संरक्षण केप्रति समान रूपसे जागरुक हैं। उन्होंने कहाकि पवित्र गंगा नदी को साफ करने का अभियान और देशभर में जल निकायों के संरक्षण पर जोर देना इसी दिशामें एक कदम है, इसी तरह हरघर में नल का पानी पहुंचाने के सबसे बड़े अभियान ने ग्रामीण क्षेत्रों में 11 करोड़ से अधिक घरों में पाइप से पानी की आपूर्ति करके अपना महत्वपूर्ण उद्देश्य हासिल कर लिया है, भारत इस क्षेत्र में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए दूसरे देशों से सीख रहा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि जर्मनी ने जल प्रौद्योगिकी और अपशिष्ट प्रबंधन को प्रदर्शित करने केलिए मंच स्थापित किए हैं। राष्ट्रपति ने मानवता की सामूहिक भलाई केलिए इस तरह के अनुकरणीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहाकि इसमें कोई शक नहीं हैकि तकनीक हमारे जीने के तरीके को बदलने जा रही है, इस मेले में उभरती प्रौद्योगिकियों के 11 क्षेत्र शामिल हैं, जिनका हमारी अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ेगा, उदाहरण केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, जो आनेवाले समय में मान्यता से परे स्वास्थ्य सेवा में क्रांति लाने जा रहा है, इसी तरह औद्योगिक स्वचालन और रोबोटिक्स नाटकीय रूपसे विनिर्माण को इस तरह से बदल देंगे, जो एक दशक पहले अकल्पनीय था। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है, दुनिया एक बड़े संकट से बाहर आ रही है, कोविड महामारी के दौरान कई तरह की तकनीकों ने अपनी उपयोगिता साबित की है और आनेवाले वर्षों में इस क्षेत्रपर फोकस प्राथमिकता बनी रहेगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दोहरायाकि हमें सामाजिक परिवर्तन केलिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए और कोईभी तकनीक जो खुदको लोगों के एक वर्ग तक सीमित रखती है, वह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी, दूसरी ओर सामान्य लोगों के जीवन को सकारात्मक तरीके से बदलने वाली प्रौद्योगिकियां कर्षण प्राप्त करती हैं। उन्होंने कहाकि भारत में दुनिया के सबसे बड़े डिजिटलीकरण अभियान की व्यापक स्वीकृति समाज द्वारा लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लानेवाली तकनीकों को आसानी से अपनाने का एक प्रमुख उदाहरण है। उन्होंने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हुई हैकि मेले में प्रकृति और विज्ञान केबीच सामंजस्य को बढ़ावा देने वाली इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकियों के कारनामों को प्रदर्शित करने का दृढ़ प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें लगता हैकि मानव प्रतिभा का सबसे अच्छा उपयोग तब किया जाना चाहिए, जब वह प्रकृति का पोषण करने केलिए उन्मुख हो, क्योंकि पर्यावरण के दोहन केलिए विज्ञान के उपयोग से विनाश होगा।

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