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Tuesday 21 February 2023 11:57:03 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूकंप प्रभावित तुर्किए और सीरिया में 'ऑपरेशन दोस्त' में शामिल राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के कर्मियों का अभिनंदन करते हुए भूकंप प्रभावित तुर्किए और सीरिया में किएगए शानदार बचाव कार्यों केलिए उनकी प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने एनडीआरएफ टीम से बातचीत में कहाकि आप मानवता केलिए एक बहुत बड़ा काम करके लौटे हैं, ऑपरेशन दोस्त से जुड़ी टीम एनडीआरएफ, आर्मी, एयरफोर्स या हमारी दूसरी सेवाओं के साथी हों सभी ने बहुतही बेहतरीन काम किया है और यहां तककि हमारे बेज़ुबान दोस्तों कुत्तों के दस्ते के सदस्यों ने भी अद्भुत क्षमता का प्रदर्शन किया है, आप सभीपर देशको बहुत गर्व है। प्रधानमंत्री ने भारत की वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा के बारेमें चर्चा करते हुए कहाकि तुर्किए और सीरिया में भारतीय दल ने हमारे लिए पूरी दुनिया एक परिवार है की भावना का प्रकटीकरण किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक आपदा के समय जल्द प्रतिक्रिया के महत्व पर प्रकाश डालते हुए 'गोल्डन ऑवर' का जिक्र किया और कहाकि तुर्किए में एनडीआरएफ टीम जितनी जल्दी वहां पहुंची, इसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। उन्होंने कहाकि यह दल की तैयारी और प्रशिक्षण की कुशलता को दिखाता है, ऑपरेशन दोस्त मानवता केप्रति भारत के समर्पण और संकट में फंसे देशों की मदद केलिए तत्काल खड़े होने के हमारे कमिटमेंट को भी दर्शाता है। उन्होंने कहाकि दुनिया में कहीं भी आपदा हो भारत फर्स्ट रिस्पॉंडर के रूपमें तैयार मिलता है, नेपाल का भूकंप हो, मालदीव, श्रीलंका में संकट हो भारत सबसे पहले मदद केलिए आगे आया था और अबतो भारत की सेनाओं केसाथ एनडीआरएफ परभी देश के अलावा दूसरे देशों का भरोसा बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री ने एक मां की तस्वीर की चर्चा की, जो टीम के सदस्यों का माथा चूमकर आशीर्वाद दे रही थी। उन्होंने कहाकि प्रभावित क्षेत्रों से बचाव और राहत कार्यों की आनेवाली तस्वीरों को देखने केबाद हर भारतीय ने गर्व का अनुभव किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि बेजोड़ पेशेवर अंदाज केसाथ-साथ मानवीय संवेदनाओं का जो समावेश किया गया, वह अतुलनीय है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यह तब औरभी महत्वपूर्ण हो जाता है, जब व्यक्ति अपना सबकुछ खो चुका होता है और सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐसे समय में सेना के अस्पताल और हमारे कर्मियों ने जिस संवेदना से काम किया, वहभी प्रशंसनीय है। गुजरात में 2001 में आए भूकंप केबाद एक स्वयंसेवक के तौरपर अपने समय को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने मलबे को हटाने और उसके नीचे दबे लोगों को ढूंढने के काम में आनेवाली मुश्किलों को रेखांकित किया। उन्होंने बतायाकि कैसे पूरी चिकित्सा व्यवस्था तबाह हो गई थी, क्योंकि भुज में अस्पताल ही ढह गया था। प्रधानमंत्री ने 1979 में मच्छु बांध त्रासदी कोभी याद किया और उन आपदाओं में अपने अनुभवों को याद करते हुए एनडीआरएफ टीम की कड़ी मेहनत, जज्बे और भावनाओं की सराहना की और सैल्यूट किया। उन्होंने कहाकि जब कोई अपनी मदद खुद कर सकता है तो उन्हें आत्मनिर्भर कह सकते हैं, लेकिन जब कोई दूसरों की मदद करने में सक्षम होता है तो वह नि:स्वार्थ होता है। उन्होंने कहाकि यह बात केवल व्यक्तियों पर ही नहीं, राष्ट्रों परभी लागू होती है, इसलिए भारत ने बीते वर्षों में आत्मनिर्भरता केसाथ नि:स्वार्थ देश की पहचान को भी सशक्त किया है।
यूक्रेन में तिरंगा की भूमिका का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि तिरंगा लेकर हम जहांभी पहुंचते हैं, वहां एक आश्वासन मिल जाता हैकि अब भारत की टीमें आ चुकी हैं, हालात ठीक होना शुरू हो जाएंगे। उन्होंने स्थानीय लोगों केबीच तिरंगे को मिले सम्मान का जिक्र किया और याद कियाकि कैसे ऑपरेशन गंगा के दौरान यूक्रेन में भारतीय नागरिकों केसाथ दूसरे देशों के नागरिकों केलिए भी तिरंगा ढाल बना, इसी तरह ऑपरेशन देवी शक्ति में अफगानिस्तान से भी बहुत विपरीत परिस्थितियों में हम अपनों को सकुशल लेकर वापस आए। प्रधानमंत्री ने कहाकि यही प्रतिबद्धता कोरोना वैश्विक महामारी में दिखी, अनिश्चितताभरे माहौल में भारत ने एक-एक नागरिक को स्वदेश लाने का बीड़ा उठाया और जरूरतमंद देशों को दवाएं और वैक्सीन पहुंचाई। प्रधानमंत्री ने आपदा के समय राहत और बचाव की भारत की क्षमता को मजबूत करने की जरूरत पर बल देते हुए कहाकि हमें दुनिया की सर्वश्रेष्ठ राहत और बचाव दल की अपनी पहचान को सशक्त करना होगा, हमारी खुदकी तैयारी जितनी बेहतर होगी, हम दुनिया कीभी उतनीही अच्छी तरीके से सेवा कर पाएंगे। प्रधानमंत्री ने एनडीआरएफ दल के प्रयासों और अनुभवों की सराहना की और कहाकि भलेही वे वहां बचाव अभियान चला रहे थे, लेकिन वह स्वयं पिछले 10 दिन से लगातार दिल और दिमाग से उनसे जुड़े हुए थे।