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Sunday 12 March 2023 01:45:21 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान' विषय पर बजट उपरांत वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा हैकि कुशल कारीगर आत्मनिर्भर भारत की सच्ची भावना के प्रतीक हैं और हमारी सरकार ऐसे लोगों को नए भारत का विश्वकर्मा मानती है। उन्होंने कहाकि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना विशेष रूपसे उनके लिए शुरू की गई है, जिसके तहत गांवों और शहरों के उन कुशल कारीगरों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, जो अपने हाथों से काम करके अपना जीवनयापन करते हैं। प्रधानमंत्री ने कौशल भारत मिशन और कौशल रोज़गार केंद्र के माध्यम से करोड़ों युवाओं को कौशल प्रदान करने और रोज़गार के अवसर सृजित करने का उल्लेख करते हुए एक विशिष्ट और लक्ष्य केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना इसी सोच का परिणाम है। इसकी आवश्यकता और 'विश्वकर्मा' नाम के औचित्य केबारे में प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतीय लोकाचार में भगवान विश्वकर्मा की उच्च स्थिति और उन लोगों के सम्मान की एक समृद्ध परंपरा रही है, जो औजार केसाथ अपने हाथों से काम करते हैं। उन्होंने कहाकि जहां कुछ क्षेत्रों के कारीगरों पर ध्यान दिया गया, वहीं बढ़ई, लुहार, मूर्तिकार, राजमिस्त्री और अन्य कारीगर जैसे कई वर्ग, जो समाज के अभिन्न अंग हैं तथा बदलते समय केसाथ देश की जरूरतों को पूरा करने केलिए खुदको तैयार कररहे हैं की उपेक्षा की गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि छोटे कारीगर स्थानीय शिल्प के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और पीएम विश्वकर्मा योजना उन्हें सशक्त बनाने पर केंद्रित है। उन्होंने बतायाकि प्राचीन भारत में कुशल कारीगर निर्यात में अपने-अपने तरीके से योगदान देते थे। उन्होंने खेद व्यक्त कियाकि इस कुशल कार्यबल को लंबे समय तक उपेक्षित रखा गया और गुलामी के लंबे काल के दौरान उनके काम को गैर-महत्वपूर्ण माना गया। उन्होंने वेबिनार में हितधारकों से एक मजबूत रूपरेखा तैयार करने का अनुरोध किया और कहाकि सरकार देश के दूर-दराज इलाकों में लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है और उनमें से कई लोगों को पहलीबार सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है, अधिकांश कारीगर दलित, आदिवासी, पिछड़े समुदायों से हैं या महिलाएं हैं और उनतक पहुंचने और उन्हें लाभ प्रदान करने केलिए एक व्यावहारिक रणनीति की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के स्वतंत्र होने केबाद भी उनकी बेहतरी केलिए सरकार की ओरसे कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया, परिणामस्वरूप कारीगरी और शिल्प कौशल के कई पारंपरिक तरीकों को कुछ परिवारों ने छोड़ दिया, ताकि वे किसी अन्य क्षेत्र में अपना जीवनयापन कर सकें। प्रधानमंत्री ने रेखांकित कियाकि इस श्रमिक वर्ग ने सदियों से पारंपरिक तरीकों का उपयोग करने के अपने शिल्प को संरक्षित रखा है और वे अपने असाधारण कौशल और अनूठी रचनाओं केसाथ अपनी पहचान बना रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने मनुष्य की सामाजिक प्रकृति के बारेमें कहाकि सामाजिक जीवन की कई धाराएं होतीं हैं, जो समाज के अस्तित्व और संपन्नता केलिए आवश्यक हैं, प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव के बावजूद ये कार्य प्रासंगिक बने हुए हैं। उन्होंने कहाकि पीएम विश्वकर्मा योजना विभिन्न क्षेत्रों में फैले ऐसे कारीगरों पर केंद्रित है। महात्मा गांधी की ग्राम स्वराज की अवधारणा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि केसाथ-साथ ग्रामीण जीवन में इन व्यवसायों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि भारत की विकास यात्रा केलिए गांव का विकास जरूरी है और इसके लिए गांव के हर वर्ग को सशक्त बनाना आवश्यक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पीएम स्वनिधि योजना के माध्यम से रेहड़ी विक्रेताओं को मिलने वाले लाभ के समान पीएम विश्वकर्मा योजना से कारीगरों को फायदा होगा। उन्होंने विश्वकर्मा की जरूरतों के अनुरूप कौशल अवसंरचना प्रणाली को फिरसे तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने मुद्रा योजना का उदाहरण दिया, जहां सरकार बिना किसी बैंक गारंटी के करोड़ों रुपये का कर्ज उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कहाकि इस योजना से हमारे विश्वकर्मा को अधिकतम लाभ प्रदान किया जाएगा। उन्होंने विश्वकर्मा साथियों केलिए प्राथमिकता देकर डिजिटल साक्षरता अभियान की आवश्यकता पर भी बल दिया।
हाथ से बने उत्पादों के निरंतर आकर्षण का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार देश के प्रत्येक विश्वकर्मा को समग्र संस्थागत सहायता प्रदान करेगी, यह आसान ऋण, कौशल, तकनीकी सहायता, डिजिटल सशक्तिकरण, ब्रांड प्रचार, विपणन और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि योजना का उद्देश्य पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों की समृद्ध परंपरा को बनाए रखते हुए उन्हें विकसित करना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा उद्देश्य हैकि आज के विश्वकर्मा कल के उद्यमी बनें, इसके लिए उनके व्यापार मॉडल में स्थायित्व आवश्यक है। उन्होंने कहाकि ग्राहकों की जरूरतों का भी ध्यान रखा जा रहा है, क्योंकि सरकार न केवल स्थानीय बाज़ार पर नज़र रख रही है, बल्कि वैश्विक बाज़ार कोभी लक्षित कर रही है। उन्होंने हितधारकों से अनुरोध कियाकि वे विश्वकर्मा सहयोगियों की मदद करें, उनकी जागरुकता बढ़ाएं और इस तरह उन्हें आगे बढ़ने में सहायता प्रदान करें, इसके लिए आपको इन विश्वकर्मा साथियों केबीच जाना होगा। उन्होंने कहाकि पिछले तीन वर्ष से बजट प्रस्तुति केबाद हितधारकों केसाथ संवाद की परंपरा उभरी है, जिसमें हितधारकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया है। उन्होंने कहाकि बजट निर्माण पर चर्चा करने के बजाय हितधारकों ने बजट के प्रावधानों को लागू करने के सर्वोत्तम संभव तरीकों पर चर्चा की है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि बजट उपरांत वेबिनार की श्रृंखला एक नया अध्याय है, जहां संसद के अंदर सांसदों की चर्चा हितधारकों द्वारा की जारही है, इनके मूल्यवान सुझाव प्राप्त करने का यह बहुत उपयोगी तरीका है। उन्होंने कहाकि यह वेबिनार करोड़ों भारतीयों के कौशल और विशेषज्ञता केप्रति समर्पित है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यदि कारीगर और शिल्पकार मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनते हैं तो उन्हें मजबूत किया जा सकता है और उनमें से कई हमारे एमएसएमई क्षेत्र केलिए आपूर्तिकर्ता और उत्पादक बन सकते हैं, उन्हें उपकरणों और प्रौद्योगिकी की मदद से अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि उद्योग इन लोगों को कौशल और गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करके तथा इन्हें अपनी जरूरतों से जोड़कर अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने सरकारों केबीच बेहतर समन्वय पर जोर दिया, जो बैंकों की परियोजनाओं के वित्तपोषण में सहायक होगा। उन्होंने कहाकि यह प्रत्येक हितधारक केलिए एक जीत की स्थिति हो सकती है, कॉरपोरेट कंपनियों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिलेंगे, बैंकों का पैसा उन योजनाओं में लगेगा, जिनपर भरोसा किया जा सकता है, इससे सरकार की योजनाओं का व्यापक प्रभाव दिखेगा। उन्होंने कहाकि स्टार्टअप ई-कॉमर्स मॉडल से शिल्प उत्पादों केलिए एक बड़ा बाजार बना सकते हैं और बेहतर तकनीक, डिजाइन, पैकेजिंग और वित्तपोषण आदि में भी मदद कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि पीएम-विश्वकर्मा के माध्यम से निजी क्षेत्र केसाथ साझेदारी को और मजबूत किया जाएगा, ताकि निजी क्षेत्र की नवाचार शक्ति और व्यापार कौशल को अधिकतम किया जा सके। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष केतौर पर कहाकि इसके लिए हमें मिशन मोड में समयबद्ध तरीके से काम करना होगा।