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Monday 20 March 2023 03:26:31 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहा हैकि बुद्धिजीवी वर्ग और जनमानस को उन लोगों से सचेत रहने की आवश्यकता है, जो भारत के विरोध में खतरनाक विमर्श को मिलकर हवा दे रहे हैं। उन्होंने कहाकि भारत जितनी तेजीसे उन्नति कर रहा है, ऐसी उन्नति उसने कभी नहीं की और यह बढ़ोतरी अबाध है, भारत का वैश्विक महत्व और पहचान उस स्तरपर है, जो पहले कभी नहीं थी, यह उन्नति भीतर और बाहर की चुनौतियों केसाथ है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि यहीं पर बुद्धिजीवी और मीडिया के लोग तस्वीर में आते हैं, हम सभीको भारत विरोधी ताकतों के इनक्यूबेटरों और वितरकों के उद्भव केबारे में जागरुक होने की जरूरत है, जो हमारे विकास को कम करने और हमारे कार्यात्मक लोकतंत्र एवं संवैधानिक संस्थानों को बदनाम करने केलिए नुकसान पहुंचाने वाली बातें कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह जरूरी हैकि हम सभी अपने राष्ट्र और राष्ट्रवाद में विश्वास करें और ऐसे दुस्साहसों को बेअसर करने में जुट जाएं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने कहाकि लोकतंत्र में सभी समान रूपसे कानून केप्रति जवाबदेह हैं, कानून द्वारा किसी कोभी विशेषाधिकार प्राप्त नहीं हो सकता है, अन्यथा लोकतंत्र का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा यदि ए और बी केबीच, ए को कानून द्वारा एक अलग चश्मे से देखा जाएगा। उन्होंने कहाकि आप कितने ऊंचे हैं, कानून हमेशा आपसे ऊपर है, यह हम सभी जानते हैंकि ऐसे कोई विशेषाधिकार नहीं हो सकते, इन विशेषाधिकारों का अमल नहीं हो सकता, कानून की कठोरता सभी पर लागू होती है, दुर्भाग्यवश कुछ लोग सोचते हैंकि वे हैं अलग या उनसे अलग तरह से निपटा जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा हमारा सबसे जीवंत और कार्यात्मक लोकतंत्र है, समानता एक ऐसी चीज है, जिससे हम कभीभी समझौता नहीं कर सकते और कानून का पालन वैकल्पिक नहीं है, कुछ लोगों को इसे महसूस करना होगा, खुफिया और मीडिया को इसके बहुत मायने देखने होंगे।
जगदीप धनकड़ ने कहाकि लोकतंत्र में शासन की गतिशीलता हमेशा चुनौतीपूर्ण होगी, संवैधानिक संस्थाओं के सामंजस्यपूर्ण कामकाज की आवश्यकता होती है, यह हमेशा होता रहेगा। उन्होंने कहाकि विधायिका कार्यपालिका और न्यायपालिका मुद्दे हमेशा रहेंगे और हमारे पास कभी ऐसा दिन नहीं होगा, जब हम कह सकेंकि कोई समस्या नहीं होगी, क्योंकि हम एक गतिशील समाज हैं, ऐसा होना तय है। जगदीप धनकड़ ने कहाकि जो लोग इन संस्थाओं के मुखिया हैं, उनके लिए टकराव करने या शिकायतकर्ता होने का कोई स्थान नहीं है, जो लोग कार्यपालिका, विधायिका या न्यायपालिका के मुखिया हैं, वे आत्मसंतुष्ट नहीं हो सकते, वे टकराव की स्थिति में कार्य नहीं कर सकते, उन्हें सहयोग से कार्य करना होगा और एकसाथ समाधान खोजना होगा।
उपराष्ट्रपति ने इस सम्बंध में सुझाव दियाकि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका जैसे शीर्ष संस्थानों केबीच व्यवस्थित संवाद आधारित प्रणाली बनाई जानी चाहिए। जगदीप धनकड़ ने कहाकि जनादेश का प्रतिनिधित्व करने वाली संसद संविधान की सर्वोच्च और विशिष्ट संरचना है। उपराष्ट्रपति ने ये महत्वपूर्ण बातें तमिलनाडु के राज्यपाल रहे और लेखक पीएस राममोहन राव के संस्मरण 'गवर्नरपेट टू गवर्नर्स हाउसः अ हिक्स ऑडेसी' के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में योगदान और संस्मरण में अपने अनुभवों को साझा करने केलिए पीएस राममोहन राव का अभिनंदन किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति रहे वेंकैया नायडू, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, सांसद के केशव राव, वाईएस चौधरी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।