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Tuesday 21 March 2023 02:11:01 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया ने सीएपीए इंडिया के एविएशन समिट-2023 को संबोधित करते हुए भारतीय विमानन उद्योग के विकास के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख किया है। उन्होंने कहाकि एक समय था जब हवाई अड्डों पर यात्रियों की संख्या लगभग नगण्य होती थी और आज हम एकदिन में 4.56 लाख घरेलू यात्रियों के आंकड़े को पार करचुके हैं। उन्होंने कहाकि सिर्फ वित्तीय वर्ष 2024 में भारत में 140 मिलियन से अधिक यात्री होंगे, वित्तीय वर्ष 2014 से वित्तीय वर्ष 2020 तक के छह वर्ष में घरेलू यात्रियों की संख्या 14.5 प्रतिशत के सीएजीआर पर 120 मिलियन से दोगुने से अधिक बढ़कर लगभग 275 मिलियन हो गई है और अगर कोविड प्रकोप नहीं होता तो हम लगभग 18-20 प्रतिशत के सीएजीआर तक पहुंच गए होते। इस क्षेत्र में वृद्धि के दायरे पर नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहाकि सीट क्षमता के मामले में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय सीट क्षमता के मामले में हम अभीभी 18वें स्थान पर हैं, इसलिए बाजार में लंबे समय तक निरंतर वृद्धि की संभावना बहुत मजबूत दिखाई देती है।
नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहाकि वित्तीय वर्ष 2030 में भारत की वास्तविक जीडीपी लगभग 252 ट्रिलियन रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है और प्रति व्यक्ति जीडीपी एक निम्न मध्यम आय वाले देश से बढ़कर एक उच्च मध्यम आय वाले देशमें परिवर्तित हो जाएगी। उन्होंने कहाकि भारत में शहरीकरण बढ़ रहा है और इसके 2030 में अनुमानित 40 प्रतिशत होने की उम्मीद है, मध्यम और उच्च आय वाले परिवारों की उपयोग करने योग्य आय राष्ट्रीय औसत से बहुत तेजी से बढ़ रही है एवं भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी होने जा रही है, जिसमें आमतौर पर यात्रा करने की अधिक इच्छा होती है। आपूर्तिपक्ष की चुनौतियों का समाधान करने पर उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार क्षमता निर्माण, बाधाओं को दूर करने और प्रक्रियाओं को सरल बनाने केलिए अभूतपूर्व कदम उठा रही है, ताकि देश में आवश्यक विमानन बुनियादी ढांचा तैयार हो सके। उन्होंने कहाकि सरकार का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर हैकि 2047 में जब देश अपनी स्वतंत्रता का 100 वर्ष मनाएगा तो उसके पास एक ऐसी विमानन प्रणाली हो, जो 20 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था का समर्थन कर सके।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि इस दृष्टिकण के एक अंग के रूपमें सरकार ने पिछले 8.5 वर्ष में हवाईअड्डों की संख्या को 2014 में 74 से बढ़ाकर अब 148 कर दिया है, केंद्र सरकार इस क्षेत्रमें व्यापार को आसान बनाने केलिए नियमों को सरल बना रही है। उन्होंने कहाकि देश में पायलटों, केबिन क्रू, इंजीनियरों आदि की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने केलिए नीतियों को उदार बनाया गया है, मात्र पिछले तीन वर्ष में एटीसीओ स्टाफ की स्थिति में लगभग 33 प्रतिशत का सुधार हुआ है और 2019 में 2702 पदों की तुलना में आज 3692 से अधिक पदों पर नियुक्ति की गई है, इसके अलावा हम आशा कर रहे हैंकि इस वर्ष एटीसी में और 396 कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि लंबे समय तक पायलट प्रशिक्षण क्षमता बढ़ाने केलिए सरकार ने एफटीओ नीति को उदार बनाया है, जिसके परिणामस्वरूप हम देश में एफटीओ का प्रसार देख रहे हैं। उन्होंने बतायाकि एयरपोर्ट रॉयल्टी की अवधारणा को समाप्त कर दिया गया है और भूमि के किराये को युक्तिसंगत बनाया गया है, वर्तमान में हमारे पास 35 एफटीओ हैं, 5 हवाईअड्डों पर 9 अन्य एफटीओ आ रहे हैं, एएआई ने 5 हवाई अड्डों पर 6 एफटीओ स्लॉट दिए हैं, जो दिसंबर 2023 तक कार्यांवित हो जाएंगे।
एयरोस्पेस विनिर्माण और एमआरओ पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि मेक इन इंडिया अभियान के हिस्से के रूपमें सरकार यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैकि भारत विमानन उद्योग वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बने। उन्होंने कहाकि एयरबस-टाटा संयुक्त उद्यम का सी-295 परिवहन विमान केलिए निजी निर्माण का शुभारंभ करना आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशामें एक प्रमुख पहल है। उन्होंने कहाकि भविष्य में भारतीय वाहकों के लगभग 1500 से 1700 विमानों का ऑर्डर देने की आशा केसाथ हमें भारत को एक एयरोस्पेस विनिर्माण बेस बनाना है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि हमने विमानों केलिए एमआरओ हेतु एक इकोसिस्टम विकसित करने केलिए कदम उठाए हैं, एमआरओ सेवाओं पर जीएसटी दरों को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है और इस क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी है, सरकार ने एमआरओ दिशानिर्देशों को भी उदार बनाया। उन्होंने कहाकि जीएसटी को घटाकर 25 प्रतिशत करने से एमआरओ में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, एमआरओ उद्योग से व्यापक दृष्टिकोण रखने, वैश्विक रूपसे विचार करने और वैश्विक कार्य करने का आग्रह किया, क्योंकि इस क्षेत्र का कारोबार 2 बिलियन अमरीकी डालर के करीब है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहाकि हमारी कार्यसीमा बाजार के 15 से 20 प्रतिशत तक सीमित है, जिसे हमें सुनिश्चित करने की आवश्यकता हैकि इसका पूरी तरह से दोहन किया जा सके। देश में ड्रोन उद्योग के विकास पर उन्होंने कहा कि ड्रोन बाजार का आकार 2020 में 2900 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 80 प्रतिशत सीएजीआर पर लगभग 77,300 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है और 2030 तक 2,95,000 करोड़ रुपये तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहाकि रोज़गार क्षमता के मामले में यह विनिर्माण और ड्रोन फ्लाइंग दोनों में 3 लाख लोगों को रोज़गार देने के करीब है एवं भारतीय अर्थव्यवस्था केलिए ड्रोन क्षमता का पूरी तरह से उपयोग करने केलिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें नए ड्रोन नियम 2021 की अधिसूचना शामिल है, जिसके तहत कई लाइसेंस, फीस और फॉर्म को समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने कहाकि ड्रोन एयरस्पेस मैप 24 सितंबर 2021 को प्रकाशित किया गया था, जिसमें भारत का 90 प्रतिशत हिस्सा अब एक ग्रीन ज़ोन है, जहां ड्रोन संचालित करने केलिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहाकि ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने केलिए पीएलआई योजना कार्यांवित है, इसके परिणामस्वरूप हम देशभर में विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूपसे ड्रोन को अपनाते हुए ड्रोन निर्माण में वृद्धि के साक्षी बन रहे हैं।