स्वतंत्र आवाज़
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माओवादी गैर कानूनी-सर्वदलीय बैठक

जिराम घाटी नक्‍सली हिंसा के खिलाफ प्रस्‍ताव पास

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 11 June 2013 05:01:44 AM

manmohan singh chairing the all party meeting on naxal violence

नई दिल्‍ली। नक्‍सली हिंसा पर सोमवार को नई दिल्‍ली में हुई सर्वदलीय बैठक में सर्वसम्‍मति से प्रस्‍ताव पारित किये गए, जिनमें सभी राजनीतिक दलों ने छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर जिले की जिराम घाटी में 25 मई 2013 को भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (माओवादी) द्वारा राजनीतिक नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्‍याओं की कड़े शब्‍दों में निंदा की है। राजनीतिक आयोजन से लौट रहे एक शांतिपूर्ण काफिले पर हुए इस नृशंस हमले में 26 लोगों को जान गवांनी पड़ी थी, जिनमें ज्‍यादातर कांग्रेस पार्टी के सदस्‍य, कुछ सुरक्षाकर्मी और मासूम ग्रामीण शामिल थे। प्रस्‍ताव में मृतकों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्‍यक्‍त करते हुए घायलों के शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना की गई है।
प्रस्‍ताव में कहा गया है कि भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (माओवादी) एक गैर-कानूनी संगठन है, यह संगठन सुरक्षाकर्मियों, पुलिस के कथित मुखबिरों, छोटे कारोबारियों और सरकारी कर्मचारियों को निशाना बनाकर बेरहम हिंसक गतिविधियों को अंजाम देता है। पच्‍चीस मई 2013 को राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमला सोची-समझी साजिश के तहत किया गया था, जिसका मकसद इस क्षेत्र के सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को डराना और भयभीत करना तथा लोगों को राजनीतिक रूप से एकजुट करने के प्रयास को नाकाम करना था, यह लोकतंत्र, आजादी, बोलने तथा अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता पर हमला था, संसदीय लोकतंत्र तथा भारत के संविधान को हिंसक तरीके से पराजित करने के भ्रमित लक्ष्‍य की प्राप्ति की कोशिश में भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (माओवादी) की बगावत से ज्‍यादा खतरनाक हमारे गणतंत्र के लिए और कुछ नहीं हो सकता, भारत माओवादियों के घातक सिद्धांत को स्‍वीकार नहीं कर सकता और वह ऐसा कभी नहीं करेगा, भारतीय कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (माओवादी) को हिंसा और तबाही का रास्‍ता छोड़ना होगा, इस बारे में कोई समझौता नहीं किया जा सकता।
सर्वदलीय बैठक में सभी राजनीतिक दलों ने संविधान और संसदीय लोकतंत्र की रक्षा का संकल्‍प लिया। संसदीय लोकतंत्र में असंतुष्‍टों और मतभेद रखने वालों शिकायतों के निवारण तथा गरीब और वंचित वर्ग की वकालत करने के लिए पर्याप्‍त स्‍थान है। प्रस्‍ताव में प्रभावित राज्‍यों के युवाओं से अपील की गई है कि वे हिंसा छोड़ें और अपने लक्ष्‍यों को कानूनी तथा लोकतांत्रिक तरीकों से प्राप्‍त करने की कोशिश करें। उन्‍हें भरोसा दिलाया गया है कि सरकार उनकी चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहेगी और किसी भी तरह के अलगाव तथा अतीत में हुए अन्‍याय का निवारण करेगी, सभी दल विकास को गति प्रदान करने, सामाजिक समावेश और आर्थिक सशक्तीकरण के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।
प्रस्‍ताव में कहा गया है कि राज्‍य सरकारों और केंद्र सरकार को माओवादी प्रभाव वाले इलाकों को उनके प्रभाव से मुक्‍त कराने तथा प्रभावशाली शासन और त्‍वरित विकास के लक्ष्‍यों को पूरा करने के प्रयासों के तहत निरंतर कार्रवाई करने के लिए द्विआयामी रणनीति अपनानी होगी, उनसे अनुरोध किया गया है कि वे सभी कानूनी तरीकों को अपनाकर देश तथा उसकी संस्‍थाओं की रक्षा करें तथा सशस्‍त्र बगावत और हिंसा को नाकाम करें। राज्‍य सरकारों से यह भी अनुरोध किया गया है कि वे अपने संसाधनों के साथ-साथ केंद्र सरकार के उपलब्‍ध संसाधनों का इस्‍तेमाल करते हुए प्रभावित राज्‍यों में कानून के शासन को एक बार फिर से स्‍थापित करें तथा विकास की गतिविधियों में तेजी लाएं।

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