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Tuesday 4 April 2023 12:38:23 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के हीरक जयंती समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा हैकि सीबीआई का नाम हर किसी की जुबान पर रहता है और सीबीआई सच्चाई एवं इंसाफ केलिए एक ब्रांड है। उन्होंने कहाकि सीबीआई ने देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी के रूपमें 60 वर्ष की यात्रा पूरी कर ली है और बीते छह दशक में अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सीबीआई ने अपनी कार्यप्रणाली, सक्षमता और कौशल के माध्यम से आम नागरिकों का विश्वास अर्जित किया है। उन्होंने कहाकि आजभी जब कोई अनसुलझा हुआ मामला सामने आता है तो उसको सीबीआई को सौंपने केलिए आम सहमति बनती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहाकि कभी-कभी किसी मामले को सीबीआई को सौंपने केलिए शहरों में विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो जाते हैं, किसी-किसी समय पंचायत स्तरपर जब कोई मामला उठता है तो नागरिकों केबीच एक आपसी समझ बनती है, जो सीबीआई जांच की मांग करती है। प्रधानमंत्री ने 60 साल की ऐतिहासिक यात्रा में सीबीआई से जुड़े सभी कर्मियों की सराहना की और सीबीआई को स्वयं को उन्नत बनाते रहने को कहा।
सीबीआई की कार्यप्रणाली की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि सीबीआई ने बहुआयामी और बहु अनुशासनात्मक अन्वेषण एजेंसी के रूपमें प्रतिष्ठा प्राप्त की है। उन्होंने इसके विस्तारित क्षेत्र का उल्लेख किया और कहाकि सीबीआई की मुख्य जिम्मेदारी भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराना है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भ्रष्टाचार करना कोई साधारण प्रकार का अपराध नहीं है, यह गरीबों के अधिकार छीनता है, कई अन्य अपराधों का मार्ग प्रशस्त करता है, वास्तव में भ्रष्टाचार नैतिक पतन करता है और यह न्याय तथा लोकतंत्र के मार्ग में आने वाला सबसे बड़ा रोड़ा है। उन्होंने कहाकि सरकारी तंत्र में होनेवाला भ्रष्टाचार लोकतांत्रिक व्यवस्था में रुकावटें उत्पन्न करता है, इसके असर से सबसे पहले युवाओं के सपने चूर-चूर हो जाते हैं, क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में एक खास तरह का इकोसिस्टम फलता-फूलता होता है, जो प्रतिभाओं का दमन करता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भाई-भतीजावाद और एक वंशवादी व्यवस्था इस तरह के तंत्र को बढ़ावा देती है, जो राष्ट्र की शक्ति को कम करता है तथा देश के विकास में गंभीर रूपसे बाधा पहुंचाता है। प्रधानमंत्री ने स्मरण करते हुए कहाकि दुर्भाग्य से देश को अपनी स्वतंत्रता के समय भ्रष्टाचार की विरासत मिली थी, जिसको दूर करने के स्थान पर कुछ लोग इस व्याधि को पोषित करते रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ एक दशक पहले होनेवाले घोटालों को याद किया, जिसने सरकारी तंत्र को बर्बाद कर दिया और नीतिगत पक्षाघात के माहौल ने विकास की गति को करीब-करीब ठप कर दिया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि साल 2014 केबाद उनकी सरकार का पहला दायित्व व्यवस्था में विश्वास बहाल करना था, इसके लिए सरकार ने मिशन मोड में कालेधन व बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी तथा भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाना प्रारंभ कर दिया, साथही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देनेवाले कारणों परभी प्रहार किया गया। नरेंद्र मोदी ने सरकारी निविदा जारी करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने को याद किया और कहाकि सरकार ने व्यवस्थाओं में सर्वोच्च पारदर्शिता सुनिश्चित की है और टू जी तथा फाइव जी स्पैक्ट्रम के आवंटन की प्रक्रिया इसका उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि केंद्र सरकार के हर विभाग में खरीदारी करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करने केलिए गवर्नमेंट ईमार्केटप्लेस पोर्टल की शुरुआत की गई है, आज की इंटरनेट बैंकिंग और यूपीआई प्रणाली पहले की 'फोन बैंकिंग' की दुर्दशा से बहुत बेहतर है। उन्होंने कहाकि पिछले वर्ष में वर्तमान सरकार ने कठिन परिश्रम करके बैंकिंग क्षेत्र को संकट से बाहर निकाला है। उन्होंने भगोड़े आर्थिक अपराधी के खिलाफ बनाए गए अधिनियम का उल्लेख किया, जिसकी सहायता से अबतक भगोड़े अपराधियों की 20 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है।
नरेंद्र मोदी ने सरकारी खजाने को लूटने के दशकों पुराने तरीकों में से एक का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि भ्रष्टाचारी सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को भेजी जाने वाली सहायता राशि को लूटने की हदतक चले जाते थे, चाहे वह राशन देना हो, घर उपलब्ध कराना हो, छात्रवृत्ति देनी हो, पेंशन की व्यवस्था हो या कोई अन्य सरकारी योजना हो उनका मूल लाभार्थी हरबार ठगा हुआ महसूस करता था। नरेंद्र मोदी ने प्रत्यक्ष लाभ अंतरण का उदाहरण देते हुए कहाकि उनकी सरकार अबतक 27 लाख करोड़ रुपये गरीबों को हस्तांतरित कर चुकी है और यदि इस व्यवस्था में भ्रष्टाचार दूर न किया जाता तो एक रुपये में 15 पैसे पहुंचने के सिद्धांत के आधार पर 16 लाख करोड़ रुपये पहले ही गायब हो जाते। प्रधानमंत्री ने इस बातका जिक्र कियाकि जनधन आधार मोबाइल की त्रिमूर्ति हर लाभार्थी केलिए पूर्ण लाभ सुनिश्चित कर रही है, इसी क्रम में 8 करोड़ से अधिक फर्जी लाभार्थियों को प्रणाली से हटा दिया गया है, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के कारण ही देशका करीब 2.25 लाख करोड़ रुपया गलत हाथों में जाने से बचा है। नरेंद्र मोदी ने साक्षात्कार के नाम पर भर्तियों में होनेवाले भ्रष्टाचार को भी याद किया, जिसको दूर करने केलिए केंद्र में ग्रुप सी और ग्रुप डी सेवाओं में इंटरव्यू प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है, इसी तरह यूरिया की नीम-कोटिंग कर यूरिया केलिए होनेवाले घोटालों पर नियंत्रण पाया गया है।
प्रधानमंत्री ने रक्षा सौदे में बढ़ती पारदर्शिता और रक्षाक्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने पर बल देने की भी बात कही। उन्होंने किसीभी जांच में देरी की वजह से उत्पन्न होने वाली समस्याओं जैसे दोषियों को सजा मिलने में विलंब और निर्दोषों को प्रताड़ित किए जाने पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इसके लिए जांच प्रक्रिया को तेज करने, सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय कार्यप्रणालियों को अपनाने और भ्रष्ट व्यक्तियों को शीघ्रता से जवाबदेह ठहराने का रास्ता साफ करने के उद्देश्य से अधिकारियों के बीच क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि वर्तमान सरकार के अंदर देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने केलिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है। उन्होंने सीबीआई अधिकारियों से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बिना किसी हिचकिचाहट के कार्रवाई करने का आह्वान किया, फिर चाहे वह व्यक्ति कितना भी रसूखदार क्यों न हो। नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों की ताकत के इतिहास और उनके द्वारा जांच एजेंसियों को कलंकित करने केलिए बनाए गए तंत्र से विचलित नहीं होने कोभी बात कही। उन्होंने कहाकि ये लोग आपका ध्यान भटकाते रहेंगे, लेकिन आपको अपने काम पर पूरा ध्यान देना होगा, किसीभी भ्रष्ट व्यक्ति को क्षमा नहीं करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में हमारे प्रयासों में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए, यही राष्ट्र की अभिलाषा है और यही देशवासियों की चाह है, देश कानून एवं संविधान आपके साथ है। उन्होंने इस दिशा में बेहतर परिणाम प्राप्त करने केलिए विभिन्न एजेंसियों केबीच दूरियों को समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन और भौगोलिक सीमाओं के बाहर भी बड़े पैमाने पर लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने आगाह कियाकि भारत के सामाजिक ताने-बाने, राष्ट्रीय एकता एवं भाईचारे, भारत के आर्थिक हितों और भारतीय संस्थाओं पर हमले भी बढ़ सकते हैं, इसपर भ्रष्टाचार का पैसा खर्च होगा, अपराध एवं भ्रष्टाचार की बहुराष्ट्रीय प्रकृति को समझने और इसका अध्ययन करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने जांच में फोरेंसिक विज्ञान के इस्तेमाल को और अधिक विस्तारित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहाकि भलेही आधुनिक तकनीक के कारण अपराध वैश्विक हो रहे हैं, लेकिन इसके समाधान भी इसी में ही निहित हैं।
प्रधानमंत्री ने साइबर अपराधों से निपटने केलिए एक अभिनव दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने तकनीक सक्षम उद्यमियों एवं युवाओं को जोड़ने तथा ब्यूरो में तकनीकी जानकार युवा अधिकारियों का बेहतर उपयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने सीबीआई में ऐसी 75 प्रक्रियाओं और प्रणालियों को संकलित करने केलिए सीबीआई की सराहना की, जिन्हें व्यवस्था से बाहर किया जा सकता है। उन्होंने इसपर समयबद्ध तरीके से कार्य करने केलिए कहा। गौरतलब हैकि सीबीआई की स्थापना 1 अप्रैल 1963 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के स्वीकृत एक प्रस्ताव केसाथ की गई थी। हीरक जयंती समारोह में प्रधानमंत्री ने सीबीआई केलिए विशिष्ट सेवाएं देनेवाले कर्मियों को राष्ट्रपति पुलिस पदक और ब्यूरो के सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए। प्रधानमंत्री ने शिलांग, पुणे और नागपुर शहर में सीबीआई के नवनिर्मित कार्यालय परिसरों का भी उद्घाटन किया। उन्होंने सीबीआई के हीरक जयंती समारोह वर्ष के अवसर को यादगार बनाते हुए एक डाक टिकट, स्मारक सिक्का जारी किया और ब्यूरो के ट्विटर हैंडल की भी शुरुआत की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीआई की अद्यतित प्रशासन नियमावली, बैंक धोखाधड़ी पर एक तिथिपत्र-मामले की जानकारी और उससे मिली सीख, न्याय केलिए किएगए प्रयास-सीबीआई मामलों में उच्चतम न्यायालय के निर्णय एवं विदेशों से प्राप्त खुफिया जानकारी तथा साक्ष्य के आदान-प्रदान केलिए अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग पर एक पुस्तक भी जारी की। प्रधानमंत्री ने ब्यूरो से संबंधित कुछ मामलों केलिए उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का एक संग्रह भी लॉंच किया है, जो हमें सीबीआई के इतिहास की एक झलक देता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कुछ शहरों में शुरू होनेवाले चाहे नए कार्यालय हों, ट्विटर हैंडल हो या अन्य जोभी सुविधाएं ये सभी सीबीआई को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहाकि विकसित भारत का निर्माण पेशेवर तथा प्रभावशाली संस्थानों के बिना संभव नहीं है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सीबीआई की जिम्मेदारी काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। इस अवसर पर केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और सीबीआई के निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल भी उपस्थित थे।