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Monday 17 April 2023 04:37:29 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस समारोह में 'पंचायतों को प्रोत्साहन' विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया और उत्कृष्ट सरपंचों, ग्राम प्रधानों एवं पंचायत प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार देकर सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहाकि गांव विकसित देश की आधारभूत इकाई हैं। उन्होंने राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित सरपंचों, ग्राम प्रधानों एवं पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी और अपने प्रयासों के बलपर अपनी पंचायत को विकास के शिखर पर पहुंचाने केलिए उनकी प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने उनसे आशा भी व्यक्त कीकि भविष्य में भी उनकी पंचायत विकास के नए प्रतिमान स्थापित करती रहेगी और दूसरी पंचायतों केलिए उदाहरण प्रस्तुत करेगी। उन्होंने कहाकि भारत गांवों का देश है, देश की आत्मा गांवों में बसती है और बीते कुछ दशक के दौरान शहरीकरण में आई तेजी के बावजूद अधिकांश जनता आज भी गांवों में ही निवास करती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि शहरों में रहनेवाले अधिकांश लोग भी किसी न किसी तरह से गांवों से जुड़े हैं, गांव वह आधारभूत इकाई है जिसके विकसित होने से पूरा देश विकसित बन सकता है, इसलिए हमारे गांवों को विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहाकि गांव के विकास का मॉडल कैसा हो और इसे कैसे कार्यरूप दिया जाए, इसका निर्णय लेने का अधिकार ग्रामवासियों को होना चाहिए। राष्ट्रपति ने उल्लेख कियाकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस बात को बखूबी समझते थे, इसीलिए उन्होंने ग्राम स्वराज के जरिए आदर्श ग्राम के निर्माण की कल्पना की एवं गांधीजी केलिए स्वराज सत्ता नहीं, बल्कि सेवा का साधन था और कालांतर में भी अनेक महापुरुषों ने ग्राम विकास और स्वशासन के मॉडल प्रस्तुत किए एवं गांवों के विकास केलिए प्रयास किए। उन्होंने कहाकि ऐसा ही एक उदाहरण नानाजी देशमुख का है, जिन्होंने ग्रामोदय और स्वालंबन के माध्यम से देश के अनेक गांवों का उत्थान किया।
द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हमारे संविधान निर्माताओं ने ग्राम पंचायतों में स्वशासन के महत्व को रेखांकित करते हुए संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में ग्राम पंचायतों के संगठन, उन्हें शक्तियां और अधिकार प्रदान करने का उल्लेख किया है और इसी प्रावधान को मूर्त रूप देने केलिए भारत सरकार ने 73वें संविधान संशोधन अधिनियम केतहत पंचायत संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रत्येक पांच वर्ष में पंचायत प्रतिनिधियों का चुनाव का प्रावधान है, जिससे समाज के हर वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित हो सके, लेकिन यह देखा गया हैकि ये चुनाव लोगों में कभी-कभी कटुता भी उत्पन्न करते हैं, जिसको ध्यान में रखते हुए पंचायत चुनावों को राजनीतिक पार्टियों से अलग रखा गया है। उन्होंने इस संदर्भ में गुजरात सरकार के वर्ष 2001 के बजट में शुरू कीगई समरस ग्राम योजना का उल्लेख किया, जिसके तहत उन पंचायतों को पुरस्कृत करने का प्रावधान था, जिन्होंने अपने प्रतिनिधियों का चुनाव सर्वसम्मति से यानि बिना चुनाव के किया हो, इस योजना के पीछे सोच यह थीकि गांव में शांति और सद्भावना बनी रहे।
राष्ट्रपति ने कहाकि उनका मानना हैकि गांव परिवार काही विस्तृत रूप है, परिवार में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए, सारे सामुदायिक कार्य यथासंभव आम सहमति से होने चाहिएं, अगर चुनाव की नौबत भी आए तो ये चुनाव ग्रामवासियों में विभाजन न लाएं। उन्होंने कहाकि संयुक्तराष्ट्र ने अधिक संपन्न, अधिक समतावादी और अधिक संरक्षित विश्व की रचना केलिए वर्ष 2030 तक 17 सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया है, जिनकी प्राप्ति केलिए भारत सरकार भी प्रतिबद्ध है, वस्तुत: सरकार की ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ की भावना इसी प्रतिबद्धता का परिचायक है। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें बताया गया हैकि पंचायती राज मंत्रालय ने संयुक्तराष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीयकरण केतहत 9 विषयवस्तु में समाहित किया है और आज इनके आधार परही राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि पंचायतीराज मंत्रालय का यह कदम सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस मौके पर केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राजमंत्री गिरिराज सिंह और सहयोगियों की भी प्रशंसा की। उन्होंने जिक्र कियाकि संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में उल्लेखित 29 कार्यकारी विषयों पर पंचायतों को कार्य करने की शक्ति दी गई है, इन विषयों के अंतर्गत आनेवाली योजनाओं और कार्यक्रमों का क्रियांवयन विभिन्न मंत्रालय और विभाग करते हैं। उन्होंने कहाकि किसीभी समाज के सर्वांगीण विकास केलिए महिलाओं की भागीदारी अत्यंत आवश्यक होती है, उनके पास अपने और अपने परिवार तथा समाज की भलाई केलिए अधिक से अधिक निर्णय लेने के अधिकार होने चाहिएं, यह अधिकार परिवार और ग्राम स्तरपर उनके सशक्तीकरण से प्राप्त होगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि देश में 2.75 लाख से अधिक स्थानीय ग्रामीण निकायों के 31.5 लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों में 46 प्रतिशत महिला प्रतिनिधि हैं। गौरतलब हैकि पंचायती राज मंत्रालय राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल 2023 के क्रम में आजादी का अमृत महोत्सव 2.0 के हिस्से के रूपमें 17 से 21 अप्रैल के दौरान राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार सप्ताह का आयोजन कर रहा है, जो आज नई दिल्ली में पंचायतों के प्रोत्साहन-सह-पुरस्कार समारोह पर राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन केसाथ प्रारम्भ हुआ।
द्रौपदी मुर्मु ने बहनों और बेटियों से अपील कीकि वे ग्राम पंचायतों के कार्यों में सक्रिय रूपसे भागीदारी करें और उनके परिवार से भी अपील कीकि वे अपने घर की महिलाओं के इन प्रयासों में सहयोग दें। राष्ट्रपति ने कहाकि पंचायतें केवल सरकार की योजनाओं और कार्यक्रमों के कार्यांवयन का स्थान ही नहीं हैं, बल्कि वे नए-नए नेतृत्वकर्ता, योजनाकार, नीति निर्माता और अन्वेषक पैदा करने का स्थान भी हैं। उन्होंने कहाकि एक पंचायत की सर्वोत्तम प्रथाओं को अन्य पंचायतों में अपनाकर हम अपने गांवों को तेजी से विकसित और समृद्ध बना सकेंगे। उन्होंने कहाकि आगामी चार दिनतक विषय आधारित सम्मेलनों में पंचायतों की उपलब्धियों और उनके योगदान पर चर्चा होगी और आशा हैकि इस मंथन से निकला अमृत देशकी पंचायतों के विकास एवं ग्रामीणों के कल्याण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।