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Wednesday 3 May 2023 11:34:55 AM
माले/ नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मालदीव की अपनी 3 दिवसीय यात्रा के दौरान मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल को एक तेज गश्ती जहाज और एक लैंडिंग क्राफ्ट आक्रमण जहाज सौंपा है, जो फास्ट पेट्रोल वेसल उच्चगति पर तटीय और अपतटीय निगरानी में सक्षम है और उसे एमएनडीएफ के तटरक्षक जहाज 'हुरवी' के रूपमें कमीशन किया गया। इस अवसर पर मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और रक्षामंत्री मारिया अहमद दीदी भी उपस्थित थीं। राजनाथ सिंह ने उल्लेख कियाकि दोनों मेड इन इंडिया प्लेटफार्मों का सौंपा जाना हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा केप्रति भारत और मालदीव की साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहाकि भारत ने एक मजबूत रक्षा इकोसिस्टम के माध्यम से भागीदार देशों की क्षमता निर्माण को और ज्यादा समर्थन देने केलिए अपनी विनिर्माण क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत हाल के वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूपमें उभरा है, एक रक्षा निर्माण इकोसिस्टम बनाया गया है, जिसे प्रचुर मात्रा में तकनीकी मानवशक्ति का लाभ मिला है। उन्होंने कहाकि हम न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करने केलिए, बल्कि निर्यात केलिए भी विश्वस्तरीय उपकरणों का उत्पादन करते हैं। उन्होंने कहाकि भारत मैत्रीपूर्ण देशों को एक बेहतर रक्षा साझेदारी प्रदान करता है, जो उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुरूप है, हम सहजीवी संबंध बनाना चाहते हैं, जहां हम एक-दूसरे से सीख सकें, एकसाथ बढ़ सकें और सभी केलिए विजय की स्थिति का निर्माण कर सकें। उन्होंने कहाकि मालदीव को समर्थन देने की भारत की प्रतिबद्धता समय केसाथ और मजबूत होती जाएगी। मालदीव केसाथ भारत के मजबूत रक्षा सहयोग पर राजनाथ सिंह ने कहाकि आपसी संबंध पड़ोसी प्रथम और सागर (क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास) की दो नीतियों पर आधारित हैं।
राजनाथ सिंह ने जून 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव की यात्रा को याद किया, जिसके दौरान उन्होंने कहा थाकि पड़ोसी प्रथम हमारी प्राथमिकता है और पड़ोस में मालदीव प्राथमिकता है। रक्षामंत्री ने क्षेत्र के समक्ष मौजूद आम चुनौतियों का समाधान करने केलिए हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्रों केबीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि हिंद महासागर हमारा साझा क्षेत्र है, क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि की प्राथमिक जिम्मेदारी उन लोगों की है, जो इस क्षेत्र में रहते हैं। उन्होंने कहाकि एक क्षेत्र की शांति और सुरक्षा क्षेत्रीय शक्तियों के सहयोग और सहकार से सबसे अच्छी तरह से सुनिश्चित होती है। राजनाथ सिंह ने ध्यान दिलायाकि हिंद महासागर क्षेत्र में सामना की जानेवाली सबसे महत्वपूर्ण आम चुनौती संसाधनों का सतत समुपयोग और जलवायु परिवर्तन को बताया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने केलिए सहयोगी प्रयासों का आह्वान कियाकि हिंद महासागर का समुद्री विस्तार शांतिपूर्ण है और संसाधनों का क्षेत्रीय समृद्धि केलिए इष्टतम उपयोग किया जाता है।
रक्षामंत्री ने कहाकि समुद्री संसाधनों का सतत समुपयोग हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्रों के निरंतर वृद्धि और विकास केलिए एक महत्वपूर्ण साधन है। जलवायु परिवर्तन पर रक्षामंत्री ने कहाकि इसका समुद्री पर्यावरण पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है और इसके प्रभाव राष्ट्रीय और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। यह इंगित करते हुएकि मालदीव विशेष रूपसे जलवायु परिवर्तन की अनियमितताओं से जुड़ी असुरक्षितता का सामना करता है उन्होंने अनुकूलन और शमन केलिए अपने पड़ोसी देशों केसाथ काम करने की भारत की इच्छा पर बल दिया। उन्होंने कहाकि भारत पिछले कई वर्ष में इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मानवीय सहायता और आपदा राहत आवश्यकताओं में प्रमुखता से मदद पहुंचता रहा है और हम सहयोगी संबंधों से एक-दूसरे की विशेषज्ञता का निर्माण करने केलिए तत्पर हैं। इससे पहले दिन में राजनाथ सिंह ने मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाकात की। इस दौरान चल रही परियोजनाओं और रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई।
मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने विभिन्न क्षेत्रों में मालदीव को भारत की निरंतर सहायता और समर्थन केलिए आभार व्यक्त किया और कहाकि यह राष्ट्र केलिए नई दिल्ली के विशेष सम्मान का एक वसीयतनामा है। उन्होंने इस संबंध को मजबूत करने की दिशा में मालदीव की प्रतिबद्धता से भी अवगत कराया। रक्षामंत्री ने मालदीव में भारत की विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं की प्रगति के बारेमें बात की और निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया। गौरतलब हैकि राजनाथ सिंह 1 मई 2023 को माले पहुंचे थे। अपने कार्यक्रमों के पहले दिन उन्होंने मालदीव के अपने समकक्ष और मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद केसाथ बातचीत की थी।